- 2017 इलेक्शन में डाला वोट, इस बार वोटर लिस्ट में नाम ही नहीं

- वोटर पर्ची घर पहुंची तो पता चला कि घर के आधे सदस्यों के नाम कटे

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KANPUR : अपने पसंद की सरकार चुनने का सपना देखने वाले हजारों लोगों के सपने टूटने वाले हैं या टूट चुके हैं. कारण, बीएलओ की लापरवाही. शहर में बहुत लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कट चुके हैं. जब वोटर पर्ची घर पहुंच रही है तो इसका खुलासा हो रहा है. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को ऐसे लोगों ने संपर्क किया, जिनके नाम पहले वोटर लिस्ट में थे, लेकिन अब नहीं है. जबकि वह अभी भी वहीं रह रहे हैं, जिस एड्रेस पर वह वोटर बने हैं.

इन्होंने बताइर् शिकायत

सीसामऊ निवासी अशोक कुमार ने बताया कि मेरे घर में 5 सदस्य हैं, सभी का नाम वोटर लिस्ट में था. लेकिन मेरा, पत्‍‌नी गायत्री और बड़ी बेटी मोनिका का नाम इस बार काट दिया गया है. बेटा आकाश और छोटी बेटी चंचल का नाम अब भी है. 2 की ही वोटर पर्ची घर आई तो पता चला नाम कट गया है. जब बीएलओ घर आई थी तो उन्हें घर में रहने वालों के सभी रिकॉर्ड भी दिखाए थे, बावजूद इसके न जाने किस कारण से नाम काट दिए गए. यही हाल रामलला, रावतपुर निवासी दिनेश सिंह के परिवार के साथ हुआ. उनके घर में तीनों बहुओं के नाम कट गए हैं.

अब कुछ नहीं हो सकता

ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिनके पास वोटर कार्ड है, लेकिन वह वोटर नहीं रहे. अब वह निर्वाचन और एसीएम ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं. हर जगह से एक ही जवाब मिल रहा है अब कुछ नहीं हो सकता, इलेक्शन बाद आना.

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लापरवाही में कटे नाम

निर्वाचन अधिकारियों के मुताबिक हमें रिपोर्ट बीएलओ देते हैं. जो वो रिपोर्ट देते हैं, उसी आधार पर वोटर लिस्ट तैयार की जाती है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीएलओ घर-घर जाकर वोटर्स को वैरीफाई करने के बजाय अपने मन से ही रिपोर्ट तैयार करने में कुछ नाम काट देते हैं. समीक्षा में यह साबित होता है कि बीएलओ ने अच्छा कार्य किया. लेकिन पोल तब खुलती है जब वोटर बने लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कट जाते हैं.

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वोटर लिस्ट में नाम किन कारणों से कटे हैं इसकी समीक्षा की जाएगी. इलेक्शन बाद वोटर लिस्ट में खामियों को गहनता से दूर करने का पूरा प्रयास किया जाएगा.

-केहरी सिंह, उपजिला निर्वाचन अधिकारी, कानपुर.

Posted By: Manoj Khare