व्‍यापमं घोटाले में मेडिकल स्‍टूडेंट संतोष चौरसिया की गिरफ्तारी के बाद उसके गांव वालों ने धीरे-धीरे एसकी हकीकत खोलनी शुरू कर दी है. आइये जानें कैसे एक स्‍टूडेंट बन गया डिग्री का दलाल...

गांववालों ने खोली पोल  
गांव वालों को भनक पहले से थी, लेकिन सब खामोश थे. खुल कर तो अब भी कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में मेडिकल स्टूडेंट संतोष चौरसिया की गिरफ्तारी के बाद ग्रामीण धीरे-धीरे उसकी हकीकत खोल रहे हैं. आगरा की बाह तहसील के छोटे से गांव पुरा नरहौली निवासी संतोष की पहचान MBBS की डिग्री दिलवाने वाले डॉक्टर के रूप में बन चुकी थी. व्यापमं घोटाले में धरे गए मास्टरमाइंड दीपक यादव के साथी संतोष की गिरफ्तारी के बाद 'जागरण' ने उसके गांव में कुछ जानकारी जुटाने की कोशिश की, तो पता चला कि संतोष का खेल कोई खास पर्देदारी में नहीं था. हालांकि गांव वाले खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अब तक जो देखा है, वह जरूर बता दिया.
स्टूडेंट बन गया डॉक्टर
ग्रामीणों ने बताया कि संतोष खुद को दिल्ली में डॉक्टर बताता था. यह किसी को नहीं पता था कि वह अभी पढ़ाई ही कर रहा है. इसके अलावा यह मालूम था कि वह भोपाल से MBBS की डिग्री दिलवाता है, क्योंकि मध्य प्रदेश के लोग इनके घर अक्सर आते-जाते रहते थे. एक व्यक्ति हमेशा इसके पास आता था. ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के कुछ लोग काफी हंगामा करने के बाद संतोष को जबरन अपने साथ खींच ले गए थे. मामला कुछ डिग्री का ही बताया गया था.
दलाली करके बन गया अमीर
ग्रामीणों को कुछ गलत का शक इसलिए भी था, क्योंकि कुछ सालों में ही उसकी माली हालत में बड़ा बदलाव आया है. ग्रामीणों के मुताबिक, पहले साधारण परिवार के संतोष की गिनती कुछ साल से गांव के संपन्न परिवारों में होने लगी है. संतोष के पिता शिवचरण चौरसिया बाह के जरार में प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं. शिवचरण चौरसिया से जब कुछ सवाल किए गए तो वह यह कह कर चले गए कि मेरा बेटा कुछ भी करता हो, आपको इससे क्या लेना-देना है. आपको बता दें कि इस घोटाले से मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. विपक्षी कांग्रेस इसको लगातार मुद्दा बनाने में जुटी है.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari