क्या इन्हें पढऩे का हक नहीं?
सिर्फ 6 साल की ही तो है सक्रू मुर्मू। नन्हीं सी उम्र में माता-पिता का साया सर से उठ गया।
सक्रू भी तो पढऩा चाहती है। वह तो बस इतना जानती है कि बड़ी होकर उसे ऑफिस में काम करना है। लेकिन कौन पूरी करेगा सक्रू के सपने को। कौन कराएगा उसका एडमिशन किसी अच्छे स्कूल में।
कौन बताएगा उस मासूम को कि उससे किसी को मतलब नहीं। भले ही इंडिया जैसे वेलफेयर स्टेट में छोटे बच्चों के लिए एजुकेशन फंडामेंटल राइट हो, लेकिन यह राइट सक्रू को दिलाएगा कौन। उस नन्हीं सी बच्ची को कौन बताए कि वह अमीरों के बच्चों के साथ एक जगह बैठकर
पढ़ाई नहीं कर सकती। भले ही आरटीई के प्रोविजन के तहत प्राइवेट स्कूल्स में इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन के
बच्चों को 25 परसेंट रिजर्वेशन मिल गया हो। लेकिन इन स्कूल्स में एडमिशन
के लिए उसका बीपीएल सर्टिफिकेट कौन बनवाएगा।
हम भी बड़े स्कूल में जाएंगे और बड़े होकर सर बनेंगे
सिटी में कई ऑरफेनएज होम हैं। इनमें सैकड़ों बच्चे रहते हैं। गोलमुरी स्थित इन्हीं में से एक ऑरफेनएज (आरक्षी निकेतन, जो गवर्नमेंट द्वारा एडेड है) में जाकर आई नेक्स्ट ने इन बच्चों से बात की। 6 साल के समीर पांड्रा के पिता इस दुनिया में नहीं हैं और मां उसे छोडक़र चली गई। समीर ने कहा कि वह बड़े स्कूल में पढक़र सर बनना चाहता है। वह कहता है कि अच्छे लोगों को सर कहा जाता है इसलिए वह भी सर बनेगा।
समीर के साथ ही दुली, सीमा, साहिल और भुगलू जैसे कई बच्चे हैं जिन्हें एजुकेशन पाने का राइट मिला हुआ है। लेकिन इन मासूमों की उंगली पकडक़र साथ ले जाने वाला कोई नहीं।
हैरान कर देने वाला था जवाब
सिटी के प्राइवेट स्कूल्स में इन ऑरफेन बच्चों के एडमिशन के बारे में जब एजुकेशन डिपार्टमेंट के ऑफिसर से बात की गई, तो उनका जवाब इंसानियत को हैरान करने वाला था। उनका कहना था कि इन बच्चों का एडमिशन प्राइवेट स्कूल्स में तभी हो सकता है जब इनके पास इस बात का सर्टिफिकेट हो कि ये इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन के बच्चे हैं। क्या इन बच्चों का ऑरफेन होना इनकी गरीबी का सुबूत नहीं? इसके बावजूद अगर इनसे सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है, तो आखिर यह सर्टिफिकेट बनवाएगा कौन? क्या बिना पैरेंट्स के इन बच्चों के प्रति गवर्नमेंट की कोई जिम्मेवारी नहीं? क्या ये बच्चे सिर्फ इसलिए किसी अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ सकते क्योंकि इनका इस दुनिया में कोई नहीं। आज या कल चाहे जब भी, लेकिन इन सवालों के जवाब तो गवर्नमेंट के उन ऑफिसियल्स को देने ही होंगे जो कुछ भी बोलकर अपनी जिम्मेवारी से बच निकलना चाह रहे।
प्रकाश कुमार, एडीपीओ, एजुकेशन ऑफिस
सवाल : अनाथ बच्चों को क्या क्वालिटी एजुकेशन का हक नहीं?
जवाब : गवर्नमेंट ऑलरेडी अनाथ बच्चों के लिए स्कूल का संचालन कर रही है।
सवाल : सिटी के प्राइवेट स्कूल्स में बीपीएल कैटेगोरी के वेकेंट सीट्स इनके लिए अवेलेबल नहीं हो सकते?
जवाब : प्राइवेट स्कूल्स में रेसिडेंशियल फैसिलिटी का अवेलेबल न होना, इसमें सबसे बड़ा रोड़ा है।
सवाल : तो आप इनके रहने की व्यवस्था नहीं करा सकते?
जवाब : ये मुमकिन नहीं है क्योंकि बच्चों को स्कूल आने-जाने की सुविधा भी तो देनी होगी।
सुशील कुमार, डीएसई