AGRA: इन दिनों जिसकी बिक्री से दुकानदारों को पसीने छूटने लगते थे। दिन भर बिक्री के लिए दुकानदारों को एक पल के लिए फुर्सत नहीं मिलती थी। खरीदार इतने कि दोपहर का खाना खाना तक मुश्किल होता था। लेकिन इस बार सर्दी न पड़ने से सिमटे बैठे हैं। न ग्राहक है न ही आगे ज्यादा कोई उम्मीद।

सर्दी शुरू होने से पहले हो गई खत्म, न बारिश न कोहरा

जितनी ज्यादा सर्दी पड़ती है उतनी ज्यादा ही सर्दियों की मेवा यानि गुड़, तिल और पोस्ता का यूज किया जाता है। लेकिन इस बार सर्दियां शुरू ही नहीं हो पाई है पूरा दिसम्बर निकल गया। जनवरी का पहला सप्ताह भी बीत गया लेकिन अभी तक ठंड का मौसम न के बराबर ही है। न तो कोहरा ही पड़ा, न ही बारिश हुई।

आधी भी नहीं हुई सेल

तिली व्यापारी राजकुमार करीरा के अनुसार इस बार सर्दियों में तिल का करीब 40 से 50 लाख का टर्नओवर होता था लेकिन अगर सर्दी अच्छी पड़ती तो इसका टर्नओवर डबल हो सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तिल की अच्छी पैदावार होने के कारण रेट भी आधे हो गए हैं। जो तिल पिछली साल 180 रुपये थे वह इस बार मात्र 60 रुपये सिमट कर रह गए हैं। इसके बावजूद भी इस बार बाजार में खरीदार नहीं हैं।

गुड़ की मिठास भी गायब

यही हाल गुड़ का है। सर्दियों में गुड़ तिल के लड्डू खाने से सर्दियों का असर कम होता है। इस वजह से लोग इसे सर्दियों में यूज करते थे। लेकिन इस बार इसकी सेल भी फीकी है। रिटेलर राजकुमार के अनुसार सर्दी न पड़ने से जो गुड़ एक दिन में करीब 10 भेली बिक जाती थी इस बार इसकी संख्या घटकर मात्र चार से पांच ही रह गई है। गुड़ का रेट पिछली साल भी 32 था। इस बार भी 32 रुपये ही है।

बादाम की ताकत हुई कम

न तो इस बार सर्दी बढ़ी, न ही इसके ग्राहक लेकिन बादाम के रेट में जरूर बढ़ गए। रिटेलर अमन गोयल के अनुसार बादाम के भी इस बार खरीदार कम ही आ रहे हैं। वैसे तो बादाम की बिक्री ज्यादातर ग्राम में ही होती है लेकिन फिर भी एक दिन में करीब चार से पांच किलो बिक्री होना आम बात थी लेकिन इस बार बिक्री सिर्फ मिठाई विक्रेता और शादी विवाह के कार्यक्रम में ही होकर रह गया है।

पोस्ता को भूले लोग

पोस्ते का यूज हलवा बनाने के लिए किया जाता है। जिसे इस बार बहुत कम मात्रा में खरीदारी की जा रही है। बाजरा का आटा भी पिछली साल की अपेक्षा कम ही बिक रहा है।

Posted By: Inextlive