दिवंगत फलस्तीनी नेता यासिर अराफात की मौत के कारण से संबंधित नए दावों के बाद फलस्तीनी अधिकारी अंतरराष्ट्रीय जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं.

एक टीवी डाक्यूमेंटरी में दावा किया गया है कि अराफात को जहर देकर मारा गया था। स्विटजरलैंड के वैज्ञानिकों ने समाचार चैनल अल-जजीरा को बताया कि अराफात की मौत के बाद उनकी पत्नी को जो सामान सौपे गए थे, उनमें रेडियोएक्टिव पोलोनियुम-210 भी शामिल था।

उस वक्त अराफात की पत्नि ने अराफात के शव के पोस्टमोर्टम का विरोध किया था, लेकिन अब वह चाहती हैं कि अराफात के शव को खोद कर बाहर निकाला जाए, ताकि जांच हो सके। यासिर अराफात के स्वास्थ्य रिकार्डों के अनुसार उनके खून में गड़बड़ी के कारण उन्हें दौरा पड़ा था।

'जांच में बाधा नहीं'

अराफात के पूर्व सहयोगी और फलस्तीन के वर्तमान राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबू ने कहा, “ऐसी कोई राजनीतिक या धार्मिक बाधा नहीं है जो इस मामले की जांच या शव के परीक्षण में रूकावट पैदा करती हो.” हालांकि इसके लिए अराफात के परिजनों की तरफ से जांच की मांग किया जाना जरूरी है। एक अन्य फलस्तीनी अधिकारी, सइब एरेकात ने कहा कि सबसे जरूरी बात है कि इस मामले की जांच संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद या अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत से करवाई जाए।

कई फलस्तीनी अब भी मानते हैं कि अराफात को इसरायल ने जहर दिया था, क्योंकि इसरायल को लगता था कि अराफात शांति वार्ता में बड़ी बाधा है। अराफात को नजरबंद भी रखा गया। हालांकि इसरायल ने हमेशा ही इन आरोपों का खंडन किया है। वैसे यह भी कहा जाता है कि अराफात को एड्स था।

वर्ष 2004 में मौतपैतीस वर्षों तक पैलेस्टाइन लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन का नेतृत्व करने और साल 1996 में पहली बार पैलेस्टाइन अथॉरिटी का राष्ट्रपति बनने के बाद अराफात की तबीयत साल 2004 के अक्तूबर में बेहद खराब हो गई।

इसके दो हफ्तों बाद उन्हे पेरिस स्थित फ्रांसीसी सैन्य अस्पताल ले जाया गया जहां 75 साल की उम्र में 11 नवंबर साल 2004 के दिन उनकी मौत हो गई। संवेदनशील सूचनाओं पर गोपनियता की नीति के तहत फ्रांसीसी डॉक्टरों ने अराफात के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक नहीं की।

मंगलवार को अल-जजीरा ने स्विटजरलैंड के लुजाने यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट आफ रेडिएशन फिजिक्स के वैज्ञानिकों के हवाले से खबर दी थी कि अराफात के बहुचर्चित कैफिए सहित अन्य सामान में पोलोनियम -210 पाया गया था।

इंस्टिट्यूट के निदेशक फ्रांकोस बाश ने अल-जजीरा से कहा, “मैं पुष्टि करता हूं कि अराफात के सामान पर मौजूद जैविक तरल में से हमें पोलोनियम -210 मिला है। यह कैसे आया, यह एक सवाल है.”

पोलोनियम -210हालांकि इंस्टिट्यूट के प्रवक्ता डार्सी क्रिस्चियन ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि अराफात की रिपोर्ट में उल्लेखित लक्ष्णों में पोलोनियम -210 का कोई जिक्र नहीं हैं। साल 2006 में लंदन में रूसी जासूस एलेक्जेंडर लित्विनेंन्को को मारने में पोलोनियम -210 का इस्तेमाल हुआ था। ब्रितानी सरकार ने उस समय रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी के पूर्व अधिकारी आंद्रेई लुगोवोई को इसके लिए दोषी करार दिया था। लित्विनेंन्को की चाय में यह पदार्थ मिलाया गया था।

वहीं डॉकटरों का कहना है कि यासिर अराफात की मौत पोलोनियम-210 दिए जाने से हुई या नहीं इसकी पुष्टि के लिए उनके शव का परीक्षण किए जाने की जरूरत है। साल 2005 में न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार को यासिर अराफात की स्वास्थ्य रिकार्ड मिली थी, जिसके अनुसार अराफात की मौत हैमरेज से हुई। हैमरेज के लिए अराफात के खून में एक अज्ञात इन्फेक्शन को जिम्मेदार माना गया। इन रिकार्डों की जांच करने वाले स्वतंत्र विशेषज्ञों ने अखबार को कहा कि ऐसा लगता नहीं कि अराफात की मौत एड्स की बिमारी या जहर दिए जाने से हुई।

Posted By: Inextlive