-कचरे से पटा है हरुनगला का मुख्य नाला

-कभी भी टूट सकती है कचरा रोकने के लिए लगी जाली

फैक्ट फाइल

120 नाले हैं शहर में

17 बड़े नालों की संख्या

113 छोटे नाले हैं शहर में

बरेली : एक ओर नदियों की साफ सफाई के लिए शासन से योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं नगर निगम के अफसरों की लापरवाही के कारण शहर भर का लाखों टन कचरा कभी भी रामगंगा में समा सकता है. हरुनगला में नकटिया नदी में गिर रहा नाला कचरे से पटा पड़ा है, लेकिन नगर निगम के अफसर इसे साफ करवाने की सुध नहीं ले रहे हैं. ऐसे में कचरा रोकने के लिए नाले पर लगाई गई जाली कभी टूट सकती है और जाली टूटते ही लाखों टन कचरा नकटिया नदी के जरिए रामगंगा में समा जाएगा.

आधे शहर का आता है कचरा

शहर भर के बड़े नाले नकटिया और किला नदी में गिर रहे हैं. नकटिया नदी में गिर रहे नाले की बात करें तो इसमें दस से ज्यादा छोटे नालों के जरिए एजाज नगर गौटिया, हरुनगला, नई बस्ती, पवन बिहार, जगतपुर, कटरा चांद खां, सतीपुर, मीरा की पैठ समेत लगभग आधे शहर की गंदगी और कचरा इस नाले में पहुंचता है.

सबसे ज्यादा पॉलीथिन

कचरे से पटे हरुनगला नाले में सबसे ज्यादा पॉलीथिन ही दिखाई दे रही है. नाले चोक होने के लिए यही पॉलीथिन सबसे बड़ा कारण है. प्रदेश भर में पॉलीथिन बेचने और यूज करने पर प्रतिबंध है, बावजूद इसके इस पर न तो नगर निगम रोक लगा पा रहा है और न ही प्रशासन.

जलीय जीवों के लिए खतरा

नियमानुसार नालों का पानी नदियों में छोड़ने से पहले उसका ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए. इसके साथ ही नालों के जरिए नदियों में कचरा न पहुंचे इसके लिए भी इंतजाम किए जाने चाहिए, लेकिन नगर निगम ने नालों में लोहे की जाली लगाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है. इसके चलते गंदा पानी सीधे नदियों में गिर रहा है, जिससे जलीय जीवों के लिए भी खतरा बना हुआ है.

450 मीट्रिक टन कूड़ा डेली निकलता है शहर से

निगम के आंकड़ों के अनुसार 450 मीट्रिक टन कूड़ा डेली शहर से निकलता है. कूड़े का निस्तारण करने के लिए लगाया गया सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बंद हुए करीब चार साल बीत चुके हैं. लेकिन नगर निगम न तो दूसरा प्लांट लगा पा रहा है और न ही नालों में पहुंच रहे कचरे को रोकने के लिए कोई व्यवस्था कर पा रहा है.

एक करोड़ से साफ होने हैं नाले

फरवरी में हुई बोर्ड बैठक में शहर में 1 करोड़ का बजट सिर्फ नाला सफाई और मेंटिनेंस के लिए प्रस्तावित किया गया था जिसमें बड़े नालों की सफाई एजेंसी के जरिए कराई जानी है और छोटे नालों की सफाई निगम को खुद करानी है, लेकिन निगम की ओर से तर्क दिया जा रहा है बड़े नालों की सफाई कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी की जानी थी लेकिन अचार संहिता के चलते काम लटक गया. इसलिए सफाई नहीं हो सकी.

वर्जन

बड़े नालों की सफाई के लिए अचार संहिता के चलते टेंडर प्रक्रिया नहीं हो सकी. छोटे नालों की सफाई जारी है. अगर जाली जर्जर हो गई है तो टीम को भेजकर निरीक्षण कराया जाएगा. जालियों को दुरुस्त भी किया जाएगा.

सैमुअल पॉल एन, नगर आयुक्त.

Posted By: Radhika Lala