- डॉर्क जोन पर जा रहा शहर

- 12 सालों में 350 फीट नीचे गिरा जलस्तर

आगरा। प्यास बढ़ती जा रही है और पानी घटता जा रहा है। जिस तरह से हम इसका दुरुपयोग कर रहे हैं और स्त्रोत खत्म करते जा रहे हैं। उसे देखकर लगता है कहीं आने वाला कल प्यासा न रह जाए। पानी को अब सांसों की तरह सहेजना होगा। क्योंकि जैसा रवैया हमारा है, वो तो पानी को तरसा देगा। पानी में प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। मतलब जितना पानी हम बर्बाद कर रहे हैं। उतना ही दूषित भी करते जा रहे हैं। विश्व जल दिवस के अवसर पर पेश है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की विशेष रपट:-

कम बारिश, सूखा, कमेकिलयुक्त और पानी का गिरता स्तर। कुल मिलाकर गंभीर चिंता। सरकार की मानें तो बुंदेलखंड की राह में जिला आगरा भी चल रहा है। जल्दी ही पानी बचत के तरीकों को अपनाया नहीं गया, तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। अब तक भूजल स्तर 30 प्रतिशत नीचे जा चुका है। यह क्रम लगातार जारी है। यह हालात किसी एक दो एरिया का नहीं है बल्कि पूरे जिले का है। यमुना का जल स्तर लगातार कम हो रहा है। तालाब सूख चुके हैं और उनमें बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हो चुकी हैं। बचे पानी के स्त्रोस भी मिटने की कगार पर हैं। अभी तो पूरी गर्मी बाकी है। पिछले 12 सालों में भूजल स्तर 350 फीट नीचे पहुंच चुका है। मतलब साफ है, हालात दिनोंदिन बिगड़ने वाले हैं। संभल जाएं।

विश्व में मच रहा हाहाकार

अभी गर्मी पूरी तरह से नहीं आई है, लेकिन पानी का संकट गहराने लगा है। इसका कुछ वर्षो पहले उदाहरण महाराष्ट्र के लातूर में देखने को मिला, जहां पानी की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार को धारा 144 लगानी पड़ गई थी। महाराष्ट्र ही नहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की भी हालत यही है। एक जानकारी के अनुसार देश में 54 फीसदी भूजल का संकट पैदा हो गया है। झारखंड, ओडि़शा, महाराष्ट्र में सूखे की भयंकर स्थिति बनी हुई है और पानी का स्तर पहले से काफी नीचे चला गया है।

शहर में त्राहिमाम

गर्मी की दस्तक के साथ पानी की समस्या बढ़ने लगी है। ये यमुनापार, वजीरपुरा, ट्रांसयमुना नगर, महर्षिपुरम्, रामनगर, शहदरा के कुछ इलाके सहित दो दर्जन स्थानों पर रहती है। इससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं। यहां के गिरे जल स्तर के कारण बोर और हैंडपंप ने पानी छोड़ दिया है। गर्मी बढ़ते ही पूरी तौर पर टैंकरों पर आश्रित हो जाते हैं। हालात पुराने साल की तरह हुए तो इस बार भी टैंकरों से हर रोज की तरह 400 से अधिक ट्रिप लगाई जाएंगी और वह भी कम पड़ेंगे।

Posted By: Inextlive