नॉर्मल से नीचे वाटर का लेवल फिर भी नहीं बदल रहे बरेलियंस के तेवर
पिछले एक साल में इतना कम हुआ वाटर लेवल
1. 4 से 5 मीटर सिविल लाइन्स क्षेत्र में पहले था, अब 6.5 हो गया है. 2 . 5 मीटर रामपुर गार्डन में पहले था, अब 6 से 6.5 मीटर हो गया है. 3. 4.5 मीटर राजेंद्र नगर में पहले था, अब 6.5 मीटर हो गया है. यह भी जानें 2 से 3 फीसदी की वाटर लेवल में कमी आई पिछले एक साल में 136 लीटर पानी शहर मे खर्च करता है एक व्यक्ति 2.5 मीटर से 3 मीटर तक वाटर लेवल सामान्य होता है. -सिटी के कई एरियों में गिरा वाटर लेवल, फिर भी नहीं किया जा वाटर स्टोर -चार साल पहले रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का हुआ था आदेश, पर अभी तक नहीं लगेबरेली : बेतहाशा पानी की बर्बादी से बरेलियंस को भविष्य में बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज होना पड़ सकता है. गर्मी आने से पहले वाटर लेवल गिरना चिंता की बात है, लेकिन इसको लेकर न तो पब्लिक अवेयर है और न ही सरकारी विभाग. एक ओर पब्लिक जहां पानी बर्बाद करने से बाज नहीं आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन भी इसको लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है. हाइड्रोजियोलॉजिकल विभाग के अनुसार सिटी के कई एरिया में वाटर लेवल सामान्य से नीचे चला गया है. शहरी क्षेत्र में 2.5 मीटर से 3 मीटर का अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल सामान्य माना जाता है, लेकिन पिछले एक साल में दो से तीन मीटर की कमी आई है.
इन एरिया में घटा वाटर लेवल शहर के पॉश एरिया में शामिल सिविल लाइंस, रामुपर गार्डन, राजेंद्र नगर और बदायूं रोड पर बनी कॉलोनियों में पिछले एक वर्ष में अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल में 2.5 से 3 फीसदी की कमी आई है, जो कि भविष्य में विकराल हो सकती है. लाखों लीटर होता बर्बाद जल निगम के अनुसार एक व्यक्ति करीब 136 लीटर पानी डेली खर्च करता है. साथ ही शहर में रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है. मॉडर्न कल्चर को अपनाते हुए शहर में ज्यादातर घरों में इंग्लिश टॉयलेट लगे हुए हैं. इसमें एक बार में पांच से सात लीटर पानी वेस्ट होता है. वहीं दूसरी तरफ शहर में 50 से 60 से गाड़ी धुालाई के सेंटर हैं, जिनमें काफी पानी बर्बाद होता है. घरों और सरकारी दफ्तरों में अक्सर नलों की टोटियां खुली छोड़ दी जाती हैं, जिससे हजारों लीटर पानी वेस्ट हो जाता है. पीजो मीटर हो गए गायबशहर में विकास भवन परिसर, कमिश्नरी और बीसलपुर चौराहे के पास दो साल पहले जमीन का वाटर लेवल नापने के लिए पीजो मीटर लगाए गए थे. भू-गर्भ जल विभाग इससे ही जलस्तर की माप करता था. इन मीटरों की देखरेख की जिम्मेदारी जल निगम की थी, लेकिन विभाग की अनदेखी के चलते अब जगह पर कहीं बिल्डिंग बन गई है तो कहीं किसी काम में यूज किया जा रहा है.
रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी नहीं चार साल पहले शासन की ओर से हर सरकारी और गैर सरकारी विभागों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का आदेश जारी हुआ था. सरकारी विभागों नोटिस भी जारी किए गए. इसके बाद कुछ जगह पर लगाए गए, लेकिन देखरेख न होने से वह भी ठप पड़े हुए हैं. यह है कमी 1. कई जगहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगा है, जहां लगा वह बंद है. 2. सैकड़ों तालाबों को पाटकर बना दी गई बिल्डिंग 3. पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रशासन सख्त नहीं है. 4. टपकती टोटियों और टूटी वाटर पाइप लाइन से रोजाना हजारों लीटर बह जाता है. ऐसे करें बचाव 1. वाहनों को सप्ताह में एक बार ही धोएं.2. नहाते और ब्रश करते जितना पानी जरूरत हो बाल्टी में भरकर यूज करें.
3. कपड़े धोने में यूज किए गए पानी को गार्डन में यूज करें. 4. घर में पानी की टंकी अलार्म लगाएं जिससे टंकी भरने पर पता चल सके. वर्जन ::: सिटी के पॉश एरिया में पिछले एक साल से अंडर ग्राउंड वाटर लेवल सामान्य से काफी नीचे आ गया है. जो कि चौंकाने वाला ग्राफ है. अत्यधिक पानी की बर्बादी रोकने के लिए विभागों को ठोस कदम उठाने चाहिए. जेम्स लॉयल, पूर्व क्षेत्रीय सहायक भू गर्भ जल विभाग.