प्यासी है काशी
-शहर के ज्यादातर मोहल्ले में है पानी की समस्या
-हर रोज हो रहा धरना-प्रदर्शन, जलकल विभाग मौन -एक बाल्टी पानी के लिए लगती है लम्बी-लम्बी लाइन गंगा किनारे बसी काशी प्यासी है. इस भीषण गर्मी में दो बूंद पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. शहर को पानी देने की जिम्मेदारी जिन पर है वो कान में तेल डाले पड़े हैं. हर रोज पानी का लिए धरना-प्रदर्शन हो रहा है लेकिन कोई भी समस्या के समाधान को लेकर गंभीर नहीं है. जलकल कुछ जगहों पर वाटर टैंकर भेजकर अपनी भूमिका भी इतिश्री कर ले रहा है. सप्लाई सिर्फ नाम कीशहर में पेयजल की सप्लाई करने वाले जलकल का दावा है कि सुबह और शाम दो-दो घंटे पानी की सप्लाई कर रहा है. हकीकत यह है कि पानी महज कुछ इलाकों तक पहुंचा रहा है. तमाम एरिया ऐसे हैं जहां अरसे से नलों से पानी निकला ही नहीं. जहां पहुंच रहा उनमें भी कई इलाकों में दूषित पेयजल आपूर्ति की शिकायत है. पानी के लिए सुबह-शाम जलकल डिपार्टमेंट के कंट्रोल रूम का फोन घनघना रहा है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पानी की निर्बाध आपूर्ति के लिए युद्धस्तर पर प्रयास जारी है.जोनवार अभियान चलाकर पानी टैंकर और अतिरिक्त जलापूर्ति करने की कोशिश हो रही है. ट्यूबवेल और ओवरहेड में आई तकनीकी खराबी को दूर कराया जा रहा है.
लिकेज से पानी हो रहा बर्बाद -बनारस में जिन पाइपों के सहारे घरों तक पानी पहुंचता है वो अंग्रेजों के जमाने की हैं. -दशकों से जमीन के नीचे पड़ी पाइप जर्जर हो चुकी हैं जिससे लिकेज होता है. -खुद जलकल की रिपोर्ट बताती है कि हर रोज 35 एमएलडी से अधिक पानी लिकेज से बर्बाद हो जाता है. -शहर का विस्तार तो खूब हुआ, लेकिन अंग्रेजों की जमाने की पाइप लाइन को पूरी तरह से नहीं हटाया जा सका है. -सारनाथ के बरईपुर में 100 एमएलडी का डब्ल्यूटीपी लगा हुआ है. - डब्ल्यूटीपी से वरुणापार के 50 हजार घरों को पानी की सप्लाई की जाती है पर यह नाकाफी है. इन इलाकों में समस्या में ज्यादा नगवां, रविदास गेट प्रफुल्ल नगर कालोनी, अस्सी, खोजवां, नरिया, चौक, लक्ष्मीकुंड, दनियालपुर, कोनिया, ककरमत्ता, इंदिरा नगर चितईपुर, संजय नगर पहडि़या आंखों में गुजरती है रातजिन इलाकों में पानी की समस्या है वहां के रहने वालों की रात लगभग जागते हुए गुजरती है. उन्हें इस चिंता में नींद नहीं आती कि सुबह पानी जरूरत के लिए पानी का इंतजाम कहां से करेंगे. चौक के अधिकतर मोहल्लों में सुबह पानी के लिए हैण्डपम्प या पानी के टैंकर के आगे लाइन लगती है. नरिया, नगवां, खोजवां, सरायनंदन, जिवधीपुर, बजरडीहा, लक्ष्मीकुंड, दनियालपुर में बेहद धीमी रफ्तार से पानी आने के कारण लोग देर तक मशक्कत करते हैं तब उन्हें मुश्किल से दो बाल्टी पानी मिल पाता है. दनियालपुर, सरैया, नक्खीघाट, कोनिया, पहाडि़या आदि कई आसपास इलाकों में तो पेयजल की आपूर्ति ही दूषित है.
प्रोडक्शन से ज्यादा खपत शहर में वाटर सप्लाई और डिमांड को लेकर करीब एक दशक पूर्व एक सर्वे हुआ था. इसे सर्वे में सामने आया था कि बनारस में 360 एमएलडी वाटर का प्रोडक्शन रोजाना होता है. उस वक्त रोजाना की खपत में 276 एमएलडी दर्शाया गया. देखा जाए तो तब से अब तक सप्लाई में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं है. लेकिन खपत डेढ़ से दो गुना तक बढ़ चुका है. जानकारों की माने बनारस में पानी की मौजूदा रोजाना की खपत करीब 400 एमएलडी है. पानी का हाल 360 एमएलडी वाटर का है प्रोडक्शन शहर में 145 एमएलडी प्रोडक्शन गंगा वाटर से होता है 155 एमएलडी पानी ट्यूबवेल और ओवरहेड टैंक से सप्लाई होती है 60एमएलडी वाटर प्रोडक्शन अदर सोर्स से होता है
35 एमएलडी वाटर लिकेज में होता है बर्बाद 400 एमएलडी वाटर की रोजाना की है डिमांड 20 टैंकर है जलकल के पास जिन एरिया में पानी की किल्लत है वहां टैंकर से पानी पहुंचाया जा रहा है. विभाग के सभी जेई अपने क्षेत्रों में पानी की समस्या को दूर करने में जुटे हैं. जल्द ही शिकायतें दूर कर ली जाएंगी नीरज गौड़, जीएम जलकल विभाग