- पानी की टंकी बनकर तैयार, नहीं हो रही पानी की सप्लाई

- चार साल पहले जर्जर घोषित कर दी गई टंकी, आज तक नहीं बनी

- जलकल विभाग की हीलाहवाली से परेशानी झेल रहे लाखों लोग

mayank.srivastava@inext.co.in

LUCKNOW: जल संकट से राजधानी जूझ रही है। यह कड़वा सच है। इससे परे एक और हकीकत है कि लचर सरकारी व्यवस्था से शहर के लाखों लोग पेयजल संकट से परेशान हैं। टैक्स देने के बाद भी उन्हें सुविधा उपलब्ध नहीं है। राजधानी के दो एरिया पहला पीजीआई रोड स्थित एल्डिको कॉलोनी, जहां पानी सप्लाई के लिए टंकी बनकर तैयार खड़ी है। मगर वाटर सप्लाई बंद है। दूसरी तस्वीर है सीतापुर रोड योजना अलीगंज की, जहां सालों से पानी की टंकी को जर्जर घोषित कर दिया गया है। वहां टंकी का निर्माण कराया गया है। दोनों एरिया में आलम यह है कि जैसे-तैसे पानी मिल रहा है। प्रेशर इतना कम है कि दूसरी मंजिल तक पानी पहुंचता ही नहीं। पानी मिल भी रहा है तो वह पीने लायक नहीं है। सिटी के दो किनारों पर बसे इस आबादी के लिए पेयजल संकट को बयां करती यह रिपोर्ट

सीतापुर रोड योजना अलीगंज-

चार साल पहले जर्जर घोषित हो गई टंकी

सीतापुर रोड योजना अलीगंज में करीब एक लाख आबादी रहती है। विभाग ने यहां पानी की टंकी भी बनवाई थी। वर्ष 1985 में टंकी को आवासीय निर्माण कराने वाले विभाग ने हैंडओवर भी कर दिया था। इसके बाद साल 2011 में पानी की टंकी को जर्जर घोषित कर दिया गया था। जर्जर घोषित होते ही इस टंकी से घरों में पानी की सप्लाई बंद कर दी गई। पानी की टंकी जर्जर घोषित होने के बाद जलकल द्वारा चार पंप लगाए गए। हालांकि, मगर ये पंप लोगों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। वाटर प्रेशर इस कदर कम है कि ऊपरी मंजिल में पानी पहुंचता नहीं। आए दिनों लोगों के घरों में झगड़ा होने की नौबत रहती है।

पानी के लो प्रेशर का दर्द

सीतापुर रोड योजना द्वितीय में हजारों मकान हैं। एक मात्र टंकी से ही उन मकानों में पानी की सप्लाई होती थी। पिछले चार साल से एरिया में रहने वाले लोग पानी के लो प्रेशर के दर्द से भी जूझ रहे है। गर्मी में वाटर लेबल गिरने से अक्सर पानी की सप्लाई ठप रहती है जबकि एरिया के लोग हर मौसम में लो प्रेशर से परेशान रहते हैं।

'कहीं टंकी न गिर जाए'

एक तरफ जल संकट तो दूसरी तरफ टंकी गिरने का डर लोगों को सताता रहता है। जलकल ने टंकी को जर्जर तो घोषित कर दिया है, लेकिन उसे हटाने का काम पिछले चार साल में शुरू नहीं किया जा सका है। टंकी धीरे-धीरे टूट रही है। भूकंप के झटके आने के बाद स्थानीय लोगों में और ज्यादा डर बैठ गया है क्योंकि टंकी अगर गिरी तो आस-पास रहने वाले लोगों को जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है।

पीजीआई स्थित एल्डिको कॉलोनी

हाथी दांत बनी है पानी की टंकी

पीजीआई के पास एलडीए ने एल्डिको कॉलोनी का निर्माण कराया है। पेयजल के लिए विभाग ने पानी की टंकी का निर्माण करा जलकल विभाग को सौंप दिया था। साल 2013 में टंकी टूट गई थी। इसके बाद शुरू हुआ लोगों को पेयजल का संकट। पिछले दो साल तक पानी की सप्लाई के लिए टंकी बनाने के लिए विवादों का दौर चलता रहा। हालांकि, किसी तरह टंकी बनकर तैयार हुई तो आज तक आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी।

एक हजार परिवार की आपूर्ति

एल्डिको कॉलोनी में पानी की टंकी से करीब एक हजार परिवारों को पानी की सप्लाई की जानी थी। टंकी के चालू न होने से आपूर्ति पिछले दो साल से बंद है। कहने को तो नलकूप से आपूर्ति की जाती है, लेकिन न तो लोगों को पानी का प्रेशर मिलता है और न ही टाइम से पानी। मजबूरी में लोगों ने अपने घरों में मोटर लगवाई है। पानी की टंकी तो हाथी दांत बन ही गई है। एरिया के लोगों को जो पानी सप्लाई भी किया जा रहा है वह कितना शुद्ध है यह तो जलकल विभाग का टेक्निकल डिपार्टमेंट भी नहीं जानता है। नलकूप में लगा क्लोरिन मिक्चर मशीन पिछले एक साल से खराब है। पंप ऑपरेटर संतोष कुमार का कहना है कि मशीन खराब होने के चलते एक साल से उसने क्लोरिन नहीं मिलाया है।

कॉलिंग- (सीतापुर रोड योजना कॉलोनी अलीगंज)

चार साल पहले ही टंकी को जर्जर घोषित कर दिया गया था। लेकिन, आज तक एरिया में न तो कोई टंकी बनाई गई और न ही पब्लिक की परेशानी का हल निकाला गया। इस प्रॉब्लम से मेयर से लेकर अफसर तक सभी वाकिफ हैं।

-केके सिंह

स्थानीय निवासी

टंकी न होने से पानी की दिक्कत एरिया में रहने वाले हजारों परिवार झेल रहे हैं। सबमर्सिबल से पानी सप्लाई किया जा रहा है। वह पानी इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त नहीं है। वाटर प्रेशर न होने से ऊपरी मंजिल में रहने वालों के घरों में पानी नहीं पहुंच पाता है।

-बीपी श्रीवास्तव

स्थानीय निवासी

पानी के संकट के साथ-साथ कॉलोनी के लोगों को हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं जर्जर टंकी मकानों पर न गिर जाए। ऐसा हुआ तो जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता है। भूकंप के झटके के बाद से डर और ज्यादा बढ़ गया है। सरकारी विभाग कम से कम जर्जर टंकी को ही हटा दें तो भी मेहरबानी होगी।

-कुसुमलता द्विवेदी

स्थानीय निवासी

सबमर्सिबल से पानी की सप्लाई की जा रही है। घरों में पानी का प्रेशर रहता नहीं है। सुबह और शाम टाइम से निर्धारित है। मतलब जरा से चूकने पर दिनभर पानी के लिए तरसना पड़ता है। एरिया में लाखों लीटर की पानी की टंकी हाथी दांत की तरह खड़ी है।

-किरन यादव

स्थानीय निवासी

(पीजीआई के पास एलडीए कॉलोनी)

बीते चार साल से यहां के लोग पहले टंकी का इंतजार करते रहे। फिर टंकी बनी और शुरू होने से पहले ही टूट गई। दो साल फिर लग गए टंकी बनने को लेकर। आज तक सप्लाई शुरू नहीं हो सकी। जिन घरों में सबमर्सिबल है, वहां तो काम चल जाता है, लेकिन जहां नहीं है वहां पानी की बड़ी दिक्कत है।

-राजेश तिवारी

स्थानीय निवासी

डिपार्टमेंट बस वाटर टैक्स समय पर चाहता है। सुविधा तो भगवान भरोसे है। एरिया में पानी की सप्लाई की हालत यह है कि प्रेशर न होने के चलते दूसरी मंजिल तक पानी पहुंचता ही नहीं है। गर्मी के दिनों में समस्या बढ़ जाती है। पानी खरीदकर पीने के लिए लोग मजबूर हैं।

-पीके विश्वास

स्थानीय निवासी

गर्मी के मौसम में हर बार पानी का संकट बढ़ जाता है। सप्लाई तो गड़बड़ है ही, साथ ही पानी की क्वालिटी भी घटिया है। इस कारण परेशानी दोगुना हो जाती है। जब हर बार की यही परेशानी है तो विभाग करोड़ों रुपए खर्च करता भी है और दिक्कत तक दूर नहीं कर पा रहा है। यह तो अपने आपमें बड़ा सवाल है।

संतोष कुमार सिंह

स्थानीय निवासी

पानी की टंकी का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। टेस्टिंग के लिए टंकी में पानी भी भरा जा चुका है। मगर अभी तक विभाग से सप्लाई का आदेश नहीं हुआ है। इस कारण लोगों के घरों में पानी सप्लाई नहीं किया जा रहा है। फिलहाल, नलकूप के जरिए सीधे सप्लाई की जा रही है।

-संतोष कुमार

पंप ऑपरेटर

Posted By: Inextlive