केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि वो समलैंगिक संबंधों को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से काफी निराश हैं. उन्होंने ये भी कहा है कि इस फ़ैसले के साथ ही भारत वापस 1860 के दौर में चला गया है.


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वयस्क समलैंगिकों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंध को गैर-कानूनी करार दिया था.इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने धारा 377 को दोबारा वैध करार देते हुए कहा कि इस मसले पर किसी भी बदलाव के लिए अब केंद्र सरकार को विचार करना होगा.पी चिदंबरम ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा कि एलजीबीटी समुदाय एक ऐसी वास्तविकता है जिसका अस्तित्व शताब्दियों से है.लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय को सम्मलित रूप से एलजीबीटी कहा जाता है.पुनर्विचार का अनुरोधचिदंबरम ने कहा, "इस फैसले के साथ हम एक बार फिर 1860 के दौर में वापस चले गए हैं.""कानूनी याचिका में समय लग सकता है लेकिन में इससे इनकार नहीं कर रहा हूं. यूपीए सरकार सभी विकल्पों पर विचार करेगी."-पी चिदंबरम, केंद्रीय वित्त मंत्री


उन्होंने एनडीटीवी से कहा इस बारे में "कानूनी याचिका में समय लग सकता है लेकिन में इससे इनकार नहीं कर रहा हूं. यूपीए सरकार सभी विकल्पों पर विचार करेगी."उन्होंने अपनी बात में यह भी जोड़ा कि अटार्नी जनरल इस मामले को एक बड़ी खंडपीठ के सामने ले जाने के लिए क्यूरेटिव पेटिशन (उपचारात्मक याचिका) के विकल्प पर भी विचार करेंगे.

इस बारे में सरकार एक उपचारात्मक याचिका दायर करर पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ से इस मामले में फिर से विचार करने के लिए कह सकती है.चिदंबरम ने कहा है कि सरकार कानून में कोई बदलाव करने नहीं जा रही है क्योंकि इसकी कोई ज़रूरत नहीं है.विरोध में प्रतिक्रियासुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सोशल मीडिया में कड़ा ऐतराज़ जताया गया है.इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन जुलाई, 2009 को समलैंगिक संबंधों पर अपने फैसले में कहा था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस प्रावधान से, जिसमें समलैंगिकों के बीच सेक्स को अपराध करार दिया गया है, मूलभूत मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है.इसे भारत में सांस्कृतिक दृष्टि से एक ऐतिहासिक फ़ैसले के रूप में देखा गया था लेकिन कई धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.समलैंगिक यौन संबंधों को ग़ैर कानूनी बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. बहुत से लोगों ने माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर अपना विरोध जताया है.

फ़ैसला आने के बाद बीबीसी मॉनिटरिंग सर्विस ने क्रिमसन हेक्सागन टूल की मदद से पहले चार घंटे में ट्विटर पर आई करीब 20 हज़ार भारतीय प्रतिक्रियाओं को आंकने के बाद पाया है कि 90 फ़ीसदी से ज्यादा ट्वीट फ़ैसले के विरोध में आए, जबकि अदालत के फ़ैसले का महज़ तीन फ़ीसदी लोग समर्थन कर रहे हैं.

Posted By: Subhesh Sharma