We are polysexuals: Kaushik Mukherjee
कौशिक मुखर्जी या क्यू की हाइली कॉन्ट्रोवर्शियल फिल्म गंडू के रास्ते में काफी रुकावटें हैं. यहां है उनके इंटरव्यू का अंश...क्या फिल्म बनाते वक्त आपने सोचा था कि इसके रास्ते में इतनी रुकावटें आएंगी?नहीं. फिल्म का मुद्दा, सेंट्रल प्रिमाइस सेक्सुअलिटी या सेक्सुअल प्रोवोकेशन है और इसके साथ कई एलिमेंट्स भी हैं. ये अटेंशन खींचने का एक आसान हथियार था: वर्ना फिल्म को एक आर्ट हाउस सिनेमा के तौर पर इग्नोर कर दिया जाता.फिल्म को मिल रही शॉक वैल्यू से क्या आप खुश हैं?
पता नहीं ये हमारे लिए शॉकिंग क्यों है? इस तरह के प्रोवोकेशन हर तरह के कल्चर का हिस्सा हैं. मैं अब जो कर रहा हूं वो रिफरेंस है 90 के दशक के उस सिनेमा जो आर्ट का एक बेहद डेवलप फॉर्म है. ये जापान और कोरिया से आया और उसने सबकों चौंका दिया. मेरे लिए ये समझना मुश्किल है कि लोग क्यों कह रहे हैं कि इसमें कुछ नया है. उन्हें बस जरा सर्च करने की जरूरत है.क्या सीन्स शूट करने में अजीब लगा, आपने एक सी सोच वाले एक्टर्स कहां से ढूंढ़े?
कोई अॅकवर्डनेस नहीं थी. ये एक छोटी और कसी हुई टीम थी. उनमें से ज्यादातर फ्रेंड्स हैं. उन्हें मुझ पर यकीन है. इसके अलावा उन्हें एक्सपीरिएंस है और हम सब बड़े हो चुके हैं. हम सब इस तरह की फिल्में देखते हैं.हमने सुना है कि गंडू सीरीज में से पहली है...हां, मेन मुद्दा इस तरह के कंटेंट का प्रोडक्शन है. सिनेमा को कमोडिटी के तौर पर देखा जाता है. जिस तरह की फिल्में बन रही हैं मैं उनसे डरा हुआ हूं. सिनेमा का जो कॉमर्शियल टूल है उसके मुताबिक वो लोगों को प्रोवोक न करे बल्कि एंटरटेन करे. मैं ये मानने से इंकार करता हूं कि ज्यादा लोग नहीं हैं जो मेरी तरह सोचते हैं, और जो एक्शन लेना चाहते हैं. हो सकता है ऐसा हो. लेकिन इसके लिए काफी हिम्मत की जरूरत होती है. ये पारिवारिक माहौल में बड़ा रिस्की है. सवाल ये है कि आप अपनी मॉम को कैसे फेस करेंगे? सच तो ये है कि हम हर वक्त अपनी सेक्सुअलिटी पर शर्मिंदा होते हैं. एक इतनी छोटी फिल्म, ब्लैक एंड व्हाइट, जिसमें सिर्फ एक कलर्ड सेक्स सीन है और डिजिटल एसएलआर से शूट की गई है, क्या आप फिल्म का फाइनल बजट कैल्कुलेट कर सकते हैं?
दरअसल, ये मुझे भी नहीं पता है. सच कहूं तो गंडू का फाइनेंसिंग मोड एक केस स्टडी हो सकता है. आपने क्राउड फंडिंग, सोशल फंडिंग के बारे में सुना होगा. फिल्म एक यूरोपियन मॉडल को-प्रोडक्शन थ्योरी पर बेस्ड है. मैं अवेलेबल रिसोर्सेज के मुताबिक फिल्म और स्क्रिप्ट प्लान करूंगा. इस तरह से ये उल्टा काम होगा. इसलिए इकोनॉमिक्स और अवेलेबल रिसोर्सेज ये तय करेंगे कि फिल्म को कैसे आगे बढऩा है. जैसे आर्टिस्ट्स रिसाइकल प्रोडक्ट्स पर करते हैं ठीक वैसे ही.क्या आप होमोसेक्सुअलिटी को अपनी और भी फिल्मों में एड्रेस करना चाहेंगे?होमोसेक्सुअलिटी सब्जेक्ट पर करने को है ही क्या? ऐसा भी नहीं है कि ये टॉपिक एक-दम हटके है. हम सभी पॉलीसेक्सुअल हैं. ये हमारे कल्चर का हिस्सा है. कामसूत्र, उपनिशद, वैशव बाहबली, शैवक लॉजिक देते हैं कि सेक्सुअलिटी स्मूद है. हमारी फिल्म गंडू जल्द ही सेंसरशिप के लिए जाएगी. इसके अलावा सेंसर तक भेजने से पहले हम खुद इसमें कुछ एडिटिंग करेंगे. फिल्म डीवीडीज में भी रिलीज होगी. कॉन्ट्रोवर्सीज डायवर्ट करने के लिए इसका नाम बदलकर जी या लूजर रखा जाएगा.