देर से ही सही चलो जू एडमिनिस्ट्रेशन को होश तो आया. कई जानवरों की मौत के बाद जू एडमिनिस्ट्रेशन उनकी हेल्थ को लेकर अलर्ट हो गया है.


इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो सालों के कम्पैरिजन में इस साल जानवरों के एंटीबॉयटिक मेडिसिन पर कम खर्च किया गया, जबकि हेल्थ केयर पर खर्च होने वाली मेडिसिन का खर्च बढ़ा है.

Antibiotics की जरूरत नहीं पड़ी

देर से ही सही आखिर जू एडमिनिस्ट्रेशन जानवरों की सेहत को लेकर अलर्ट हो गया है। इस वजह से हर जानवर की देखभाल पर खास ध्यान दिया जा रहा है। इस कारण मेडिसिन की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ी है। 2008-09 में जहां जू के जानवरो पर एंटीबॉयटिक का खर्च करीब 13 हजार रुपए आया था। वहीं 2009-10 में इसका खर्च सिर्फ 9 हजार रुपए ही रहा. एक तरफ जहां जू के 1295 जानवरों पर एंटीबॉयटिक मेडिसिन का खर्च कम हुआ है, लेकिन हेल्थ टॉनिक और वैक्सीनेशन का खर्च बढ़ा है। जू के डॉक्टर्स ने बीते साल हेल्थ टॉनिक और वैक्सीनेशन पर खास ध्यान दिया। हेल्थ टॉनिक और वैक्सीनेशन के साथ ही जानवरों की चोट पर लगाई जाने वाली मेडिसिन, बैंडेज और कॉटन का खर्च भी बढ़ा है। जानवरों की आपस में लड़ाई होने की वजह से वो अक्सर घायल हो जाते हैं.

Posted By: Inextlive