शुभ फल प्राप्ति के लिए शमी की टहनी रोज रात्रि के पूर्व जलाकर मुख्य द्वार के सामने रखने से कष्ट दूर होता है।

आयुर्वेदिक दृष्टि में शमी को अत्यंत गुणकारी औषधि माना गया है। वैसे तो शमी में कई देवी-देवताओं का निवास होता है, लेकिन इसे भगवान शिव और गणेश का प्रिय माना जाता है। गणेश जी और शनिदेव दोनों को ही शमी बहुत प्रिय है।

शमी के पेड़ की पूजा करने से शनि देव और भगवान गणेश दोनों की ही कृपा प्राप्त की जा सकती है। इस पौधे में भगवान शिव स्वयं वास करते हैं, जो गणेश जी के पिता और शनिदेव के गुरू हैं।

अगर आप पर शनि की ढय्या या साढ़ेसाती चल रही है या फिर आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो ये आसान उपाय कर सकते हैं—

1. शमी के पौधे की जड़ को काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। ऐसा करने से शनिदेव से संबंधित जीवन में जितने भी विकार हैं, उनका शीघ्र ही निवारण होगा।

2. शमी के पंचांग यानी फूल, पत्ते, जड़ें, टहनियां और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से जल्द मुक्ति पाई जा सकती है।

3. नियमित रूप से शमी वृक्ष की पूजा की जाए और इसके नीचे सरसों तेल का दीपक जलाया जाए, तो शनि दोष से कुप्रभाव से बचाव होता है।

4. शुभ फल प्राप्ति के लिए शमी की टहनी रोज रात्रि के पूर्व जलाकर मुख्य द्वार के सामने रखने से कष्ट दूर होता है। शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र-मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है।

5. शमी का वृक्ष घर के ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में लगाना लाभकारी माना गया है। शमी के पेड़ से घर के वास्तु दोष को भी दूर कर सकते हैं।  

 

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Posted By: Kartikeya Tiwari