- 19 के बाद नवंबर में नहीं है कोई साया

- गुरु और शुक्र हो रहे हैं अस्त, इसलिए शुभ नहीं माने जाते विवाह

आगरा। देवोत्थान के साथ ही करीब चार माह से बंद मांगलिक कार्य प्रारंभ हो गए हैं। देवों के जागने के साथ ही सोमवार से कस्बा हो या फिर गांव सभी जगहों पर शहनाई की गूंज सुनाई देगी। शहरी क्षेत्रों में शहनाई की गूंज के बीच जाम के हालात पैदा होना निश्चित है। एमजी रोड व माल रोड सहित शहर के हर हिस्से में हर साल जाम अक्सर लगता आया है। जिससे निजात पाने के लिए पुलिस प्रशासन ने कोई प्लान तैयार नहीं किया है। इसे ध्यान में रखते हुए जरूरी काम से ही निकले तो बेहतर होगा।

सहालग का है पहला दिन

आज सहालग का पहला दिन है। देवोत्थान के पहले दिन बड़ा साया माना जाता है। इस दिन बडे़ स्तर पर शादी होती हैं। हर व्यक्ति शादी विवाह समारोह में अपने अपने वाहनों से पहुंचते हैं। जिसके कारण जाम की स्थिति ज्यादा पैदा हो जाती है। अन्य दिनों में विवाह नहीं बनता है तो देवोत्थान के दिन ही शादी तय कर दी जाती है। इस कारण से भी देवोत्थान के दिन अधिक शादी होती है।

पार्किंग की नहीं होती है व्यवस्था

मैरिज होम के पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। जो भी व्यक्ति शादी विवाह में शामिल होने के लिए जाता है वह अपने वाहन को सड़क पर ही खड़ा कर देता है, जिसके कारण जाम के हालात पैदा हो जाते हैं। वहीं होटलों में भी उतनी व्यवस्था नहीं हो पाती है, जितने वाहन पहुंचते हैं। ऐसे होटल और मैरिज होम के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

यहां पर जूझना पडे़गा जाम

रामबाग, बाटर व‌र्क्स, बोदला, सिकंदरा, शाहगंज, बिजली घर, मधु नगर, भगवान टॉकीज, शाहदरा, राजपुरचुकी, लोहामंडी, पचकुइयां, कमला नगर, बल्केश्वर आदि क्षेत्रों में जाम से जूझना पड़ सकता है।

इसलिए है बड़ा सहालग

एकादशी का सहालग इसलिए महत्वपूर्ण है कि इस दिन किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं पड़ती है। देवोत्थान के दिन अनसूझा (इसके लिए कोई मुहूर्त नियत न हो पाए, वो भी विवाह भी हो जाता है) विवाह। इस बारे में पंडित आचार्य देवांश ने बताया कि 19 नवम्बर के बाद आगे कोई मुहूर्त नहीं है। दिसंबर में केवल 13 का मुहूर्त है। चूंकि इस बार गुरु और शुक्र अस्त हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में विवाह शुभ नहीं माने जाते हैं।

Posted By: Inextlive