पश्विम बंगाल सरकार और विवादों में चोली दामन का साथ हो गया है. विवादों के इस सिलसिले में देशभक्‍त क्रांतिकारियों को रिवॉल्यूशनरी टैरेरिस्‍ट कहने वाला विवाद भी शामिल हो गया है.


किताबों में क्रांतिकारियों बन गए आतंकवादीममता बनर्जी सरकार एक नए विवाद में फंसती नजर आ रही है.  वेस्ट बंगाल में आठवीं कक्षा के बच्चे देश के लिए जान देने वाले नौजवानों को आतंकवादियों के रूप में देख रहे है. दरअसल आठवीं कक्षा की इतिहास की किताबों में खुदीराम बोस, प्रफुल्ला चाकी और जतींद्र मुखर्जी जैसे अमर शहीदों को रिवॉल्यूश्नरी टेररिज्म चैप्टर के अंदर जगह मिली है. अगर रिवॉल्यूश्नरी टेरेरिज्म पाठ को हिंदी में अनुवाद किया जाए तो यह क्रांतिकारी आतंकवाद कहलाता है. क्या कहना है इतिहासकारों का
पश्चिम बंगाल सरकार के इस कदम की देश के प्रमुख इतिहासकारों ने घोर भर्त्सना की है. इतिहासकारों के अनुसार यह तथ्य ब्रिटिश शासन के हिंदुस्तानी क्रांतिकारियों के प्रति रवैये को मान्यता देता है. गौरतलब है कि ब्रिटिश शासन ने हिंदुस्तानी देशभक्तों को आतंकवादी कहा था. इसके साथ ही इतिहासकारों ने कहा है कि अगर खुदीराम बोस एक क्रांतिकारी आतंकवादी हैं तो राज्य सरकार सुभाषचंद्र बोस को सरकार किस शब्द से पुकारेंगे. इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को पाठ्यपुस्तकों में शब्दों का चुनाव काफी देख समझ कर करना चाहिए. यहां पर यह बात भी देखने लायक है कि ममता बनर्जी ने सत्ता संभालने के 10 महीने के अंदर ही हायर सेकेंडरी एजुकेशन के स्लेबस से कार्ल मार्क्स रिलेटेड चैप्टर्स हटवा दिए थे.  क्या कहना है राज्य सरकार काइस बारे में राज्य सरकार के इतिहासकारों ने कहा है कि इन शब्दों का प्रयोग एक प्रयोजन के कारण किया गया है. इन शब्दों के प्रयोग द्वारा छात्रों को एक काल विशेष की रियल स्थितियों को दर्शाने की कोशिश की गई है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra