किसी से नजरें मिलते ही मुस्कुरा देना भले ही आपकी social courtesy का हिस्सा हो लेकिन बात अगर दूसरों को impress करने की हो तो ये मुस्कुराहट काम नहीं आएगी. Psychologists के मुताबिक बिना किसी emotion के बस ऐसे ही मुस्कुरा देना fake smiling से ज्यादा कुछ नहीं है और इसे real expression भी नहीं माना जा सकता है.

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. केके मिश्रा के मुताबिक, ‘बगैर इमोशन के मुस्कुराना या हंसना फेशियल एक्सरसाइज से ज्यादा कुछ भी नहीं है. जब आपके इमोशंस और मुस्कुराहट के बीच तालमेल नहीं होता तो इसका असर भी दूसरों पर नहीं होता.’ 
क्या है फेक स्माइलिंग और रियल स्माइलिंग में फर्क और ये हमारी पर्सनालिटी पर कैसे अपना असर छोड़ते हैं? जानिए कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब...
क्या है फेक और रियल स्माइलिंग में फर्क?
हो सकता है कि आपको लगे कि आपकी फेक स्माइल दूसरों को समझ में नहीं आएगी लेकिन बच्चे भी आपकी फेक स्माइल को आसानी से पहचान लेते हैं.
फेक और रियल स्माइल लुकवाइज बिल्कुल अलग होती है. साथ ही फेक और रियल स्माइल का कनेक्शन भी ब्रेन के अलग-अलग हिस्सों से होता है. यही नहीं रियल और फेक स्माइलिंग में मसल्स भी अलग-अलग इन्वॉल्व होते हैं.
रियल स्माइल के लिए जहां लिम्बिक सिस्टम रिस्पांसिबल होता है वहीं फेक स्माइलिंग के लिए मोटर कॉर्टेक्स जिम्मेदार होता है जो कि हमारे कंट्रोल में होता है.

लोग फेक स्माइलिंग क्यों करते हैं?

जब आप ऑन डिमांड मुस्कुराने की कोशिश करेंगे तो यह रियल नहीं हो सकता. क्योंकि रियल स्माइलिंग सिुचएशन आने पर खुद व खुद आपके चेहरे पर आ जाती है. सोशल बनने के लिए ज्यादातर लोग फेक स्माइलिंग करते हैं. इसके अलावा पॉजिटिव इमेज और दूसरों से अपनी परेशानियां छिपाने के लिए भी दिखावे के तौर पर भी मुस्कुराते हैं.
क्या फेक स्माइलिंग के निगेटिव आस्पेक्ट्स भी हैं?
फेक स्माइलिंग का मतलब है कि आप खुद के एक्सप्रेशन को लेकर ईमानदार नहीं हैं. आप लोगों के सामने कर्टसी दिखाने के चक्कर में खुद को गलत रिप्रजेंट कर रहे होते हैं. यह झूठ बोलने जैसा ही है. फेक स्माइल करते हुए आप किसी से मिलते हैं तो उसे अंदाजा लग जाता है कि आप कुछ छिपा रहे हैं.

योगा में अक्सर फेक हंसी की एक्सरसाइज कराई जाती है, क्या यह गलत है?
यहां सभी को पता होता है कि आप फेक हंसी हंस रहे होते हैं. आप यहां इसे रियल हंसी बताकर चीट नहीं कर रहे होते हैं. हां, इससे आपके फेस के मसल्स की एक्सरसाइज जरूर हो जाती है लेकिन इसमें रियल इमोशन नहीं होते हैं इसलिए ये आपको अंदर से खुश नहीं करते.
Benefits of smile....
अगर आपकी स्माइल नेचुरल है तो ये सोशली भी आपके लिए बहुत फायदेमंद है. इससे आपसे बात करने वालों को पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिलता है और वो अच्छा फील करते हैं. आपकी स्माइल फेक है या रियल, ये सामनेवाले को समझते देर नहीं लगती. आप रियल में स्माइल करते हैं तो आपको खुद भी अच्छा फील होता है.
-डॉ. उन्नति कुमार
साइकियाट्रिस्ट

ऐसे भी क्या मुस्कुराना
सेलिब्रिटीज को अक्सर लोगों के लिए मुस्कुराना पड़ता है. पहचानिए कितने रियल हैं इनके एक्सप्रेशंस...

ऐश्वर्या रॉय बच्चन: ऐश मुस्कुराने की कोशिश करती हुई दिख रही हैं लेकिन न तो इनके चीक्स में बहुत मूवमेंट हैं और ना ही आंखों के आस-पास रिंकल्स हैं.
रणबीर कपूर: हालांकि रणबीर नेचुरल स्माइल के काफी करीब हैं लेकिन इनके लिप्स पूरी तरह से खुले नहीं हैं. सो नेचुरल स्माइल के लिए इन्हें पूरे माक्र्स नहीं मिलेंगे.
दीपिका पादुकोण: स्माइलिंग में दीपिका के केवल लिप्स ही इंगेज हैं, बाकी चेहरे पर कोई खास मूवमेंट नहीं है. ऐसा लग रहा है जैसे दीपिका कैमरे के लिए स्माइल पोज दे रही हैं.
क्या आपकी स्माइल रियल है? पहचानिए...

बॉडी लैंग्वेज एक्सपर्ट और ‘यू से मोर दैन यू थिंक’ के ऑथर जैनी ड्राइवर के मुताबिक स्माइलिंग करते वक्त अगर आपके चीक्स ऊपर की तरफ उठते हैं और साथ ही आंखों के बाहरी किनारों पर रिंकल्स आ जाते हैं तो ये रियल स्माइल है. एक बात और रियल स्माइल के ये एक्सप्रेशंस चेहरे पर कुछ सेंकेड्स तक ही होते हैं.जेनुइन और फेक स्माइल के बीच फर्क को समझने के लिए फेशियल एक्शन कोडिंग सिस्टम डेवलप करने वाले यूसी सैनफ्रांसिसको में प्रोफेसर डॉ. पॉल एकमैन के मुताबिक, जेनुइन स्माइल में आईब्रोज और अपर आईलिड के बीच की स्किन में रिंकल्स आ जाते हैं जबकिसोशल या फेक स्माइल में ऐसा पॉसिबल नहीं हो पाता है.फोटोग्राफर लांस वागनर फेक और रियल स्माइल में एक और फर्क बताते हैं. उनके मुताबिक फोटो सेशन के दौरान जब आप क्लिक करने से पहले स्माइल के लिए कहते हैं तो मूवमेंट केवल लिप्स पर देखने को मिलते हैं लेकिन आप रियल स्माइल करते हैं तो इसमें पूरा फेस इंगेज हो जाता है.
Story: Puneet Gupta

Posted By: Surabhi Yadav