-पेपर लीक मामले में परीक्षा निरस्त कराने की मांग को लेकर अड़े हैं अभ्यर्थी

-यूीपीपीएससी की तरफ से अभी तक कार्रवाई न होने पर अभ्यर्थी उठा रहे सवाल

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PRAYAGRAJ: यूपीपीएससी के एलटी ग्रेड पेपर लीक मामले के बाद अभ्यर्थी लगातार परीक्षा निरस्त कराने की मांग कर रहे हैं. लेकिन यूपीपीएससी की तरफ से अभी तक कोई भी निर्णय नहीं हो सका है. दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी अभ्यर्थियों की तरफ से उठाई जा रही है. इस पर भी आयोग मौन है. अभ्यर्थियों की मांग और परीक्षा निरस्त कराने के नियमों को लेकर जब उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केबी पाण्डेय से पूछा गया तो उन्होंने आयोग की कार्यशैली पर विस्तार से चर्चा की. इस चर्चा की खास बातें इस प्रकार रहीं.

आयोग अध्यक्ष के पास विशेषाधिकार

प्रो. केबी पांडेय के मुताबिक यूपीपीएससी देश का पहला लोकसेवा आयोग है, जिसके लिए एक्ट बनाया गया है. इसे विधान सभा से पास कराकर लागू किया गया. उस एक्ट के अनुसार ही आयोग कार्य करता है. एक्ट के अनुसार यूपीपीएससी में एक अध्यक्ष और आठ मेंबर्स के पद हैं. इनके पास विशेषाधिकार है. एक्ट के अनुसार ही अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक कार्य करते है. ऐसे में अगर आयोग अध्यक्ष चाहे तो बहुत ही आसानी से परीक्षा कैंसिल करके फिर एग्जाम करा सकते है. इसमें किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं आएगी. लोक सेवा आयोग अध्यक्ष के निर्णय के खिलाफ सिर्फ कोर्ट का आदेश ही बदलने की ताकत रखता है.

जब हाईकोर्ट ने बदल दिया अपना फैसला

पूर्व अध्यक्ष प्रो. केबी पाण्डेय ने बताया कि जब वह लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष थे तब पीसीएस 2001 परिणाम को लेकर स्केलिंग प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया. आयोग ने कोर्ट के आदेश पर परिणाम जारी करने की तैयारी शुरू कर दी. इसी बीच हाईकोर्ट की डबल बेंच ने परिणाम जारी करने के ठीक पहले स्केलिंग खत्म करने का आदेश दे दिया. आयोग का अध्यक्ष रहते हुए सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चैलेंज करने पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व के हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि आयोग की कमेटी को अधिकार दिया गया है. ऐसे में आयेाग की कमेटी यदि चाहे तो आसानी से पुन: परीक्षा करा सकती है.

भ्रष्टाचार और परीक्षा प्रणाली में फेरबदल बनी मुसीबत

लोकसेवा आयोग में चल रहे विवाद को लेकर प्रतियोगी छात्रों ने बुधवार को अपट्रान चौराहा के पास सभा का आयोजन किया. प्रतियोगियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि यूपीपीएससी ने भ्रष्टाचार की सभी हदें पार कर दी हैं. इससे मेधावी प्रतियोगी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. कभी सीसैट तो कभी परीक्षा प्रणाली में शत-प्रतिशत बदलाव के कारण उम्र सीमा के आखिरी पड़ाव पर खड़े प्रतियोगियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस दौरान 2013 से 2018 तक ओवरएज हो चुके अभ्यर्थियों को आयोग की पीसीएस 2019 व 2020 की परीक्षाओं शामिल किए जाने की मांग की. इस दौरान प्रतियोगियों के बीच आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केबी पाण्डेय भी मौजूद रहे.

Posted By: Vijay Pandey