सुबह का वक़्त है एक के बाद एक आते जा रहे लोगों के हाथ में खाने का सामान है. कुछ के हाथ में गुड़ की भेलियाँ हैं कुछ के हाथ में घास है लेकिन ज़्यादातर के हाथ में कुछ रोटियाँ हैं.


ये सारे लोग दक्षिण दिल्ली के एक मंदिर के एक खुले अहाते में मौजूद तक़रीबन 700 गायों को खाना खिलाने के लिए इकट्ठा हैं.बहुत से शहरों में इस तरह के कई आश्रय हैं जहाँ बूढ़े और आवारा जानवरों को पनाह दी जाती है ताकि धार्मिक हिंदू उन्हें खाना खिला सकें और उनकी पूजा कर सकें.शायद यही वजह है कि कई लोगों के लिए भारत का  बीफ़ निर्यातक देशों में अग्रणी होना झटका देनी वाली ख़बर है.गृहिणी जागृति चड्ढा कई सालों से गाय का आशीर्वाद लेने के लिए आ रही हैं. वह कहती हैं, "मैं हैरान हूँ."गाय या भैंसभारत हर साल 65 से ज्यादा देशों को 3.2 अरब डॉलर (करीब 19,000 करोड़ रुपए) के भैंस के मांस की बिक्री करता है.भैंस के मांस की मांग बढ़ रही है क्योंकि वो गाय के मांस से सस्ता है.


अल साक़िब एक्सपोर्ट्स के निदेशक साक़िब अख़लाक़ कहते हैं कि उनके पास पहले से ही पाँच प्रोसेसिंग प्लांट हैं और भारी मांग के कारण वो दो और क़त्लगाह तैयार करा रहे हैं.

वे कहते हैं, "भारतीय बीफ़ की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. यह  ब्राज़ील के बीफ़ जितना ही अच्छा होता है. हमें उम्मीद है कि ज़ल्द ही हम और देशों को निर्यात शुरू कर सकेंगे. हमें बहुत अच्छे दाम मिल रहे हैं."बीफ़ निर्यात की आलोचनाहालांकि मांसाहारियों के बीच अब भी चिकन और फिश की खपत ज़्यादा होती है लेकिन इस बात में शायद ही कोई शक़ है कि बीफ़ की लोकप्रियता भी काफ़ी बढ़ रही है.शहाब ख़ान की दुकान पर पहली बार खा रहे अभिजीत जुंगाड़े कहते हैं कि वो पूरी दुनिया में घूमते रहते हैं और उन्होंने अलग-अलग देशों में बीफ़ के बने कई प्रकार के व्यंजन खाए हैं.वे कहते हैं, "मुझे भारत में बीफ़ खाना ज़्यादा पसंद है, बस यह थोड़ा और साफ़-सफ़ाई से बनाया जाए और बेहतर तरीक़े से पेश किया जाए."उनकी सहयोगी ऐश्वर्या बोडके कहती हैं, "मुझे बीफ़ बहुत पसंद है, यह बहुत स्वादिष्ट होता है. मुझे चिकन से ज़्यादा रेड मीट पसंद है. लेकिन मुझे हमेशा ऐसी जगह खोजनी पड़ती है जहाँ यह मिलता हो, क्योंकि भारत में यह आसानी से नहीं मिलता."गोवध के संबंध में भारत के कड़े क़ानून और रेस्तरां में बीफ़ परोसने पर सख्ती के बावजूद ऐसा महसूस नहीं होता कि इसका बाज़ार पर कोई असर पड़ रहा है.

लेकिन इस बात को लेकर थोड़ी चिंता ज़रूर दिख रही है कि अगर भाजपा सत्ता में आ गई तो क्या होगा? अगर भाजपा अपनी बीफ़ विरोध नीति पर टिकी रही हो तो भारत का बीफ़ उद्योग अपनी चमक खो सकता है.

Posted By: Subhesh Sharma