कंप्यूटर और स्मार्टफोन निर्माता एप्पल और गूगल के बीच तकनीकी के साथ कानूनी लड़ाई लगातार जारी है। इन दोनों के बीच होने वाली जंग पर राबर्ट स्‍कोबल ने एक किताब rise of contextual computing पब्‍लिश्‍ा की थी। जिसमें उन्‍होंने इस नए इरा में गूगल ग्‍लास जैसी कई डिवासेस के बारे में लिखा था। इसमें उपभोक्ता प्रौद्योगिकी के परिदृश्य को भी परिभाषित किया गया है। हालांकि अब तो केवल इन दिनों गूगल और एप्‍पल के बीच टक्‍कर चल रही है। ये दोनों ही ही एक से बढ़ एक मोबाइल टेक्‍नोलॉली कान्‍टेक्‍सट पर खुद को मजबूत बना रही हैं। जिससे तय है कि आने वाले समय में अब इनके कान्‍टेक्‍सट से मोबाइल का भविष्‍य निश्‍चित होगा...


ओके गूगल: गूगल की ओर से इन दिनों फोन पर ओके गूगल एप्लीकेशन काफी तेजी से दौड़ रहा है। गूगल नेक्सस-5 फोन पर यह एप्लीकेशन लोगों के लिए काफी आरामदायक हो गया है, क्यों कि ऐप सिर्फ आवाज पर काम रहा है। लोगों को कम्यूटर और लैपटॉप की जरूरत नहीं पड़ती है। एक स्मार्टफोन से सारे काम आसानी से हो रहे हैं। अगर सो भी जाए तो ओके-गूगल नाऊ कहते ही एक्टिव हो जाता है। वहीं एप्पल भी आईफोन 5 जैसे स्मार्टफोन उतारकर लोगों को अपने एप्लीकेशन से अपनी ओर खींचने का प्लान कर रहा है। गूगल सर्च:


गूगल सर्च ऑप्शन भी काफी बेहतर है। यह आपको बिल्कुल गाइड करने वाला काम करता है। इसके अलावा यह एक बेस्ट सर्विस प्रोवाइडर भी कहा जा सकता है। आप कहीं जाते हैं तो इसमें आपको रास्ता बताने के आलावा और भी कई फूड होटल रेस्टोरेंट के लिए आर्डर जैसी कई सारे काम आसानी से हो जाते हैं। कई बार आप कहीं घूमने जाते हैं तो यह आपको वहां की लोकेशन तक बताता है. इस क्षेत्र में भी एप्पल अपने कई ऐप से ग्राहकों को सुविधा दे रहा है।ऐप्पल भी अपने कस्टमर्स को ऐसी ही बेहतर सुविधाएं देने की कोशिश में लगा है।एपीआई सर्विस:

एपीआई का मतलब एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस होता है।यह बिजनेस के क्षेत्र में काफी पसंद किया जा रहा है। एपीआई दूसरे सॉफ्टवेयर के साथ बातचीत दौरान उसे एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कनवर्ट करता है। जो कि विदेशी मुद्रा व्यापार को बाजार के हिसाब से इंटरफेस के लिए कैपेबल बनाता है। जिससे यह विदेशी मुद्रा मूल्य कोटेशन, व्यापार निष्पादन और व्यवस्था और व्यापार की सारी जानकारी मुहैया कराता है।वहीं ऐप्पल भी अब और आगे इसमें कुछ नया करने की कोशिश में हैं।गूगल ग्लास:

हालांकि इस दौरान गूगल हो या एप्पल ये जिस तरह से नई डिवाइसेस या ऐप को लाने की जुगत करते हैं, उसी तरह से कई बार उन्हें मात भी खानी पड़ जाती है। ऐसे में गूगल का गूगल ग्लास भी मार्केट में तेजी से आने के बाद अचानक से साइलेंट मोड में चला गया। हालांकि अब इसे फिर से लॉन्च करने की तैयारी मे है। गूगल इस प्रोजेक्ट को इस बार काफी गंभीरता और सतर्कता के साथ रिलॉन्च करना चाहता है ताकि इसे दोबारा इसकी आलोचना न हो, बल्िक लोग इसे अच्छके से पसंद करें। बताते चलें कि 2012 में गूगल ने इस उपकरण को एक लाइव स्काई डाइविंग डेमो के साथ लांच किया। लोग इसके लिए काफी क्रेजी हो गए थे, लेकिन इसमें निजता का हनन होने के साथ और भी कई प्राब्लम्स लोगों के सामने आ रही थीं। जिससे यह कटमर्स के बीच अपनी जगह बनाने में असफल रहा।एप्पल की आईवॉच:एप्पल की आई वॉच की तुलना में गूगल की सर्विस काफी अच्छी दे रहा है। एप्पल की आई वॉच लोगों के बीच अभी पसंद की जा रही है। इसने गूगल की अपेक्षा एप्पल को अच्छा फायदा हुआ, क्योंकि एप्पल की आईवॉच कंपनी की तरफ से पहली वियरेबल गैजेट है। सबसे खास बात तो यह है कि इसे लोगो को हाथ में पहनने में कोई प्राब्लम नहीं होती है। इसके अलावा यह स्मार्टफोन जैसा ही हाथ में काम करती है। इसे अलग से पकड़ने की जरूरत नही होती है।ios 8 के साथ कम्पैटिबल होने के साथ ही काफी स्मूद बताई जा रही है। एप्पल का एप्पल का वॉइस पर्सनल असिस्टेंट सिरी इसका नेचुरल यूजर लैंग्वेज में कमांड्स लेता है। इसके अलावा ई-वॉलेट फीचर की सुविधा के साथ ही कई हेल्थ और फिटनेस ऐप्स  भी दिए गए हैं।

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Posted By: Shweta Mishra