-एनएमसीएच में 3000 और एसजीजीएस सदर अस्पताल में 800 पेशेंट पहुंचे

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PATNA: एनएमसीएच और गुरु गो¨वद सिंह सदर अस्पताल में होली के बाद बड़ी संख्या में पेशेंट आने से अफरा -तफरी का माहौल रहा. सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए महिला-पुरुष एवं बच्चे और परिजनों की लंबी कतार लगी रही. भीड़ के बीच धक्का-मुक्की और अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही. सुरक्षा कर्मी भीड़ को नियंत्रित करने में जूझते रहे. एनएमसीएच की इमरजेंसी में मरीजों की संख्या अधिक हो जाने के कारण जमीन पर लिटाकर मरीजों का इलाज किया गया.

संक्रमण का खतरा

डॉक्टरों ने मरीजों को बेड नहीं मिलने पर ¨चता जताते हुए कहा कि जमीन पर लेटे इमरजेंसी के मरीजों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इलाज व जांच करने में भी परेशानी होती है. स्वास्थ्य प्रबंधक के दूसरे काम में व्यस्त रहने के कारण मरीजों एवं परिजनों की स्वास्थ्य संबंधित मदद नहीं हो पा रही थी. इमरजेंसी के रजिस्ट्रार डॉ. अर¨वद कुमार ने कहा कि मरीज अधिक हो जाने से यह समस्या उत्पन्न हुई है. इन्हें बेड उपलब्ध कराने का प्रयास जारी है. स्वास्थ्य प्रबंधक को सहायता में लगाया गया है.

घंटों खड़े रहे परिजन

अस्पताल के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एनएमसीएच में नये-पुराने करीब 3000 मरीज पहुंचे. वहीं एसजीजीएस सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या 800 तक पहुंच गयी. लंबी कतार में लोगों को घंटों खड़ा रहना पड़ा. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद यह मरीज जब ओपीडी में पहुंचे तो वहां भी अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी. सबसे अधिक समस्या मरीजों को मेडिसिन, हड्डी और सर्जरी विभाग के ओपीडी में झेलनी पड़ी. मरीज के परिजनों ने बताया कि सीनियर डॉक्टर विभाग में लेट से पहुंचे और जल्दी चले गए. जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी की जिम्मेदारी निभायी. इन दोनों अस्पताल के दवा वितरण काउंटर पर भी पेशेंट की कतार लंबी हो गई.

मशीन बंद, कैसे हो अल्ट्रासाउंड

गुरु गो¨वद सिंह अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को इमरजेंसी सेवा 24 घंटे और सातों दिन नहीं मिल पा रही है. नतीजतन दोपहर से रात के बीच अस्पताल आने वाली मरीजों को यहां से लौटना पड़ रहा है. डॉक्टर की कमी है. गर्भवती महिलाओं एवं अन्य मरीजों के लिए आवश्यक अल्ट्रासाउंड की नयी मशीन छह महीनों से अस्पताल के कमरे में बंद है. इससे मरीजों की जांच के लिए अभी तक किसी डॉक्टर या टेक्नीशियन को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. ऐसे कई गंभीर समस्याओं को लेकर सोमवार को एसजीजीएस अस्पताल सुधार समिति का प्रतिनिधिमंडल अनुमंडल प्रशासन एवं अस्पताल प्रशासन से मिला. समिति के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह, सचिव बलराम चौधरी ने कहा कि सदर अस्पताल का दर्जा दिये जाने के बाद भी अपेक्षाकृत यहां मरीजों के लिए कोई चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं. लंबी अवधि से अस्पताल में स्थायी अधीक्षक न होने से पूरी व्यवस्था चरमरायी है कई जांच बाधित है.

Posted By: Manish Kumar