गैरों की संपत्ति की रक्षा करने वाली पुलिस खुद अपनी ही संपत्ति को सुरक्षित नहीं रख सकी

- 1.5 लाख से खरीदी गई थीं 58 साइकिलें

- 2 साल तक पुलिस लाइन में धूल खाती रहीं साइकिलें

- 14 रेंजर और 44 नार्मल साइकिलें आई थीं

- तत्कालीन एसएसपी यशस्वी यादव ने साइकिल पुलिसिंग की की थी शुरुआत

- दो साल तक पुलिस लाइन में धूल खाने के बाद अब इन साइकिलों की किसी को जानकारी नहीं

साइकिलें पुलिस लाइन में धूल फांकती
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LUCKNOW : गैरों की संपत्ति की रक्षा करने वाली पुलिस खुद अपनी ही संपत्ति को सुरक्षित नहीं रख सकी। तीन साल पहले साइकिल पुलिसिंग के एजेंडे के तहत करीब डेढ़ लाख रुपये कीमत की 58 साइकिलें सरकारी खजाने से खरीदी गई थीं। तीन साल में न तो साइकलिंग पुलिसिंग हुई और न ही साइकिल का पता चला। दो वर्ष तक तो साइकिलें पुलिस लाइन में धूल फांकती रहीं, लेकिन अब वह कहां हैं, इसका किसी को कोई पता नहीं है।

तत्कालीन एसएसपी ने की थी शुरुआत
13 मार्च 2015 को केडी सिंह बाबू स्टेडियम से एक साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाते हुए पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने साइकिलिंग के फायदे बताए थे। उन्होंने राजधानी को साइकिल फ्रेंडली शहर बनाने की बात कही थी। तत्कालीन एसएसपी यशस्वी यादव ने राजधानी में साइकिल पुलिसिंग की शुरुआत की थी। राजधानी के कई इलाकों में साइकिल पर पुलिस ने गश्त भी की, लेकिन उनके जाते ही इन साइकिलों को पुलिस लाइन में खड़ा कर दिया गया था। अब इन साइकिलों के बारे में किसी के पास कोई जानकारी नहीं है।

हाईटेक थीं साइकिलें
इन सभी साइकिलों में हूटर, लाइट, डिग्गी और जीपीएस सिस्टम लगाया गया था। माना जा रहा था कि इनसे जब पुलिस शहर की तंग गलियों में गश्त करेगी तो अपराध नियंत्रित होंगे। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। एसएसपी यशस्वी यादव के हटते ही राजधानी पुलिस की साइकिल पुलिसिंग की व्यवस्था की हवा निकल गई। डेढ़ लाख रुपये की लागत से खरीदी गईके साइकिलें कुछ दिनों तक पुलिस लाइन की शोभा बन धूल खाती रहीं। अधिकारियों ने भी पुलिस लाइन में खड़ी इन साइकिलों को नजरअंदाज कर दिया।

सरकारी खजाने से मंगवाई थीं
14 हाईटेक रेंजर साइकिलें और 44 नार्मल साइकिल मंगवाई गई थी। औसतन एक नार्मल साइकिल की कीमत 2 हजार रुपये होती है। वहीं हाईटेक रेंजर साइकिल की कीमत करीब 4 हजार रुपये के करीब होती है। 14 रेंजर और 44 नार्मल साइकिलों की कीमत 1 लाख 48 हजार रुपये हुई। सरकार के खजाने से 1 लाख 48 हजार में खरीदी गई थी।

साइकिलों के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है। पुलिस लाइन में विभाग से जुड़ी कई संपत्ति रखी हैं। अधिकारी और कर्मचारी भी बदल गए हैं। जिसके चलते इन साइकिल की कोई डिटेल उपलब्ध नहीं है.
राणा महेंद्र प्रताप सिंह,

आरआई लाइन, पुलिस लाइन

Posted By: Inextlive