ऑटो एक्सपोः कहां है मंदी?
इतनी चमक-दमक के बीच यह यकीन करना आसान नहीं था कि एक दशक से ज़्यादा समय में कार उद्योग अपने सबसे ख़राब वक़्त से गुज़र रहा है.पिछले साल कारों की बिक्री 10% गिरी है. भारतीय वाहन निर्माता संस्था दि सोसाएटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफ़ैक्चरर्स का अनुमान है कि इस साल यह और गिर सकती है.एशिया में भारत में मुद्रास्फ़ीति की दर सबसे ज़्यादा है और अर्थव्यवस्था की विकास दर 5% से भी कम है.महंगा कर्ज़ग्राहक शोरूम तक मुश्किल से आ रहे हैं. पिछले कुछ साल में क़र्ज़ भी महंगे हो गए हैं.भारत में दो-तिहाई कारें लोन पर ख़रीदी जाती हैं. महंगे क़र्ज़ का मतलब है कि ख़रीद के फ़ैसले टाले जा रहे हैं.लेकिन फिर भी भारतीय ऑटो शो में ज़्यादातर निर्माता भारतीय बाज़ार के दीर्घकालिक संभावना पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
टाटा मोटर्स ने चार साल बाद अपनी नई कारें उतारी हैं. कंपनी ने हैचबैक बोल्ट और सिडान ज़ेस्ट से पर्दा उठाया.भारत के सबसे बड़े कार निर्माताओं में से एक टाटा की बिक्री में पिछले साल एक तिहाई से ज़्यादा की कमी आई है- यह उसके किसी भी भारतीय प्रतिद्वंद्वी से ज़्यादा है.कंपनी को इसकी उम्मीद नहीं थी.
इसकी बेहद सस्ती छोटी कार नैनो को कंपनी का सबसे प्रमुख उत्पाद होना चाहिए था. इसे कार उद्योग की सूरत बदल देनी थी. लेकिन 2009 में लाँच के बाद से क़रीब सवा लाख रुपए की नैनो ने निराश ही किया है.कंपनी अब अपनी बिक्री की रणनीति को बदलना चाहती है.
भारत की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी का नया लक्ष्य है- ग्रामीण भारत.दो नई कांसेप्ट कारों- एसएक्स4 एस- क्रॉस और सियाज़ को लॉंच करते हुए कंपनी के महाप्रबंधक और सीईओ केनिची अयुकावा ने कहा कि अच्छी ख़बर ग्रामीण इलाक़ों से ही मिलेगी.
ऑडी इंडिया के प्रमुख जो किंग कहते हैं कि काँसेप्ट लग्ज़री श्रेणी महत्वपूर्ण है और ए3 इसके लिए सबसे अच्छी रहेगी.उन्होने कहा, "हमें लगता है कि साल के पहली छमाही में तो बाज़ार सुस्त ही रहा लेकिन साल के मध्य में चुनावों के बाद हमें उछाल नज़र आ रहा है. मैं उम्मीद करता हूं कि बाज़ार पिछले साल की तरह बढ़ेगा, कम से कम लग्ज़री श्रेणी में. हम अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की उम्मीद कर रहे हैं."