क्या आप सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे के बारे में जानते हैं ? क्या आपको पता है कि अन्ना एक खुली किताब की तरह हैं जिसके हर पन्ने से आप कुछ नया सीख सकते हैं. आईए हम आपको बताते हैं अन्ना की ए बी सी.


अन्ना हजारे का पूरा नाम डॉ. किसन बाबूराव हजारे है.हजारे को प्रमुखता से महाराष्ट्र के एक गांव रालेगन सिद्धि के डेवलपमेंट के लिए जाना जाता है. इन्होंने इस गांव के विकास के लिए एक अलग प्रकार की अलख जगाई थी. इस गांव को हजारे ने अपने प्रयासों से मॉडल विलेज बनाया. इस कार्य के लिए हजारे को गर्वनमेंट की तरफ से 1992 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. अन्ना ने एक बंजर गांव को न सिर्फ दोबारा जीवित किया, बल्कि उसे मॉडल विलेज की श्रेणी में भी ला दिया. उन्होंने सूचना का अधिकार कानून के लिए शुरुआती तौर पर काम किया. सेना में हुए शामिल


1962में इंडो-चाइना युद्ध के बाद जब कई सैनिक शहीद हो गए थे, तब गर्वनमेंट द्वारा युवाओं से सेना में शामिल होने का आग्रह किया. देशभक्ति के जज्बे से भरे हजारे इसके बाद 1963 में भारतीय सेना में शामिल हो गए. सेना में अपने 15 वर्षो के कार्यकाल के दौरान हजारे ने सिक्किम, भूटान, जम्मू-कश्मीर, असम, मिजोरम, लेह और लद्दाख जैसे कई क्षेत्रों में तैनात रहकर देश की सेवा की. सेना से वीआरएस लेने के बाद उन्होंने समाज सेवा की दिशा में काम करना शुरू किया.भ्रष्टाचार की पहली लड़ाई

अन्ना हजारे ने ठीक ही सोचा था कि भ्रष्टाचार देश के विकास को बाधित कर रहा है. इसके लिए उन्होंने 1991 में भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन शुरू किया.उन्होंने पाया कि महाराष्ट्र में 42 वन अधिकारी सरकार को धोखा देकर करोड़ों रुपए की चपत लगा रहे हैं. उन्होंने इसके सबूत सरकार को सौंपे, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि सत्ताधारी दल का एक मंत्री उनके साथ मिला था. इससे बाद हजारे ने पद्मश्री और वृक्ष मित्र पुरस्कार लौटा दिया. उन्होंने आलंदी गांव में इसी मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल कर दी. आखिर में सरकार कुंभकर्णी नींद से जागी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की. हजारे का यह आंदोलन काफी काम आया और छह मंत्रियों को त्याग-पत्र देना पड़ा.अब तक मिले सम्मानपद्म भूषण: 6 अप्रैल 1992पद्मश्री: 24 मार्च 1990 प्रियदर्शनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड: 19 नवंबर 1986

Posted By: Kushal Mishra