थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति इस साल पिछले आठ महीने से शून्य से नीचे बनी हुई है। जून में भी यह शून्य से 2.4 प्रतिशत नीचे रही। वहीं सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में शून्य से 2.36 प्रतिशत नीचे थी। जब कि एक साल पहले जून 2014 में यह 5.66 प्रतिशत थी। ऐसे में उम्‍मीद की जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई अगले महीने के मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दर घटाने का फैसला ले सकता है।


मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में इंटरेस्ट रेट
कल मंगलवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से देश की थोक महंगाई दर इस साल लगातार जून महीने में शून्य से नीचे यानी की नाकारात्मक रही। खाद्य पदार्थो के दाम मंहगे होने बाद भी मई की तुलना में जून 2015 में थोक महंगाई दर घटी है। मई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 2.36 प्रतिशत नीचे थी। जब कि पिछले महीने जून में यह महज 2.4 प्रतिशत दर्ज की गई। इस दौरान अधिकारिक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित यह वार्षिक महंगाई दर पिछले साल की समान अवधि में 5.66 प्रतिशत रही थी। वहीं इसके साथ ही यह बात भी सामने आई है कि खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा बढ़कर आठ महीने के उच्च स्तर, 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गया। जिससे अब उम्मीद की जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगस्त महीने की 4 तारीख को होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में इंटरेस्ट रेट घटा सकता है। आरबीआई की ओर से यह मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा में होने वाले इस फैसले को लेकर सकेंत ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने दिए हैं। मूडीज एनॉलिटिक्स एसोसिएट इकनॉमिस्ट फराज सईद ने इस पर एक रिसर्च किया है। जिसके आधार पर उसका कहना है कि खाने-पीने के सामान की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है।मुद्रास्फीति 2.1 प्रतिशत थीवहीं यह भी माना जा रहा है कि करीब के सप्ताहों में बारिश औसत के आसपास रही है। जिससे इससे भी भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया रेट कट करने का फैसला ले सकता है। उनका कहना है कि मई में इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन (IIP) पिछले साल के 5.6 पर्सेंट से घटकर 2.7 पर्सेंट रह गया है। अप्रैल में यह पर्सेंट 3.4 पर थी। इसके साथ ही कुछ बैंक अधिकारियों का कहना है कि बैंक ऐसा फिलहाल कोई कदम उठाने के मूड में नहीं दिख रही है। पिछले महीने आरबीआई ने रेपो दर 7.5 प्रतिशत से घटाकर 7.25 प्रतिशत कर दी लेकिन अन्य नकदी आरक्षित अनुपात चार प्रतिशत और सांविधिक नकदी अनुपात को 21.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। वहीं पुराने आकंडों पर नजर डालें तो 2014-15 में औसत थोक मुद्रास्फीति 2.1 प्रतिशत थी। जब कि वहीं 2013-14 में 6.0 प्रतिशत पर रही। इसके पीछे माना जा रहा है। इस संबंध में वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि मानसून की कमजोरी की वजह से 2014 में भी रोपाई और बुआई में काफी कम रही। जिससे 2014-15 में औसत थोक मुद्रास्फीति 2.1 प्रतिशत रही।

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Posted By: Shweta Mishra