- एक के बाद एक ट्रेनों में लूटपाट, रेलवे की सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल

-एक साल में दर्जन भर वारदातें एक भी लुटेरा नहीं चढ़ा जीआरपी आरपीएफ के हत्थे

- आधुनिक हथियारों व उपकरणों से लैस होकर भी सिपाही नहीं कर रहे लुटेरों का सामना

KANPUR : दिल्ली-कानपुर रेल रूट लुटेरे और बदमाशों की फेवरेट डेस्टीनेशन बन गई है। अभी अप्रैल बीता भी नहीं है और एक के बाद एक बदमाशों ने इस रूट पर तीन बड़ी वारदातों सनसनीखेज वारदातों को अंजाम दे डाला है। पुरुषोत्तम एक्सप्रेस, प्रयागराज, संगम एक्सप्रेस और मंडे को लालकिला एक्सप्रेस में डकैती व जमकर लूटपाट हुई। इस दौरान ट्रेनों में मौजूद जीआरपी ने कोई एक्शन नहीं लिया। सेमी आटोमेटिक इंसास रायफल से लैस जीआरपी सिपाही क्यों तमंचे और चाकू लिए बदमाशों का सामना नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बदमाशों के सामने हथियार क्यों डाल दिए। यह सवाल जीआरपी और रेलवे की यात्रियों की सुरक्षा के तमाम दावों की पोल खोलता है। कैसे गाजियाबाद से कानपुर के बीच एक साल में हुई लूटपाट की एक दर्जन से ज्यादा वारदातों में जीआरपी या आरपीएफ एक भी खुलासा नहीं कर सकी। इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि रेलवे और जीआरपी के पास इस तरह की वारदातों से निपटने के लिए कोई एक्शन प्लान है ही नहीं। यात्रियों की सुरक्षा असल में भगवान भरोसे है।

आजतक किसी वारदात का नहीं हुआ खुलासा

ख्9 अप्रैल ख्0क्ब्- अलीगढ़ स्टेशन के पास जनरल कोच में लुटेरों का धावा महिला समेत ब् को ट्रेन से फेंका

9 अप्रैल ख्0क्ब्- पुरूषोत्तम एक्सप्रेस में साहिबाबाद के पास आउटर पर बदमाशों ने की लूटपाट

ख् अप्रैल-ख्0क्ब्- संगम एक्सप्रेस में भर्थना स्टेशन से पहले बदमाशों ने स्लीपर कोच में घुस कर लूटपाट की और तीन डॉक्टरों को गोली भी मारी, पुलिस और जीआरपी ने इस मामले में कथित रूप से शामिल एक बदमाश को जेल भेजने का दावा किया है लेकिन बाकी कुछ पता नहीं है।

क् अप्रैल ख्0क्फ् - जनसाधारण एक्सप्रेस में टूंडला स्टेशन के पास डकैती, लूटपाट के बाद चलती ट्रेन से कूदे बदमाश घायल भी हुए लेकिन जीआरपी नहीं पकड़ सकी।

ख् अप्रैल ख्0क्फ् - डाउन नीलांचल एक्सप्रेस में शिकोहाबाद जसवंत नगर के बीच लूटपाट

क्7 जून ख्0क्फ् - सीमांचल एक्सप्रेस में कानपुर सेंट्रल के पास आउटर में युवक को गोली मार कर लूटपाट

ख्0 अगस्त ख्0क्फ्- प्रयागराज एक्सप्रेस में लूटपाट

क्ब् अक्टूबर ख्0क्ख्- अवध एक्सप्रेस में फफूंद स्टेशन के पास लूटपाट। चेनपुलिंग कर भागे बदमाश

क्8 नवंबर ख्0क्ख्- आनंद विहार से पटना जाने वाली जनसाधारण एक्सप्रेस में लूटपाट

ख्ब् दिसंबर ख्0क्ख्- दिल्ली भागलपुर के बीच चलने वाली साप्ताहिक एक्सप्रेस में लूटपाट

क्म् जनवरी ख्0क्ख्- ऊंचाहार एक्सप्रेस में लूटपाट जीआरपी ने घटना से ही इंकार कर दिया।

इंसास पर क्यों भारी हैं देसी कट्टे

जीआरपी सिपाहियों के पास सेमीआटोमैटिक इंसास रायफल होती हैं। इसकी एक मैगजीन में फ्0 गोलियां होती हैं। इसका फायर रेट भी एके-ब्7 जितना ही होता है। ऐसे में देसी तमंचे जैसे हथियार इस गन पर कैसे भारी पड़ जाते हैं यह बड़ा सवाल है। दरअसल यह रायफले सिपाहियों को मिले ज्यादा समय नहीं हुआ है। इन रायफलों को सिपाहियों को चलाना आता भी है या नहीं यक बड़ा सवाल है। इन्हें चलाने को लेकर सिपाहियों को क्या ट्रेनिंग दी गई यह पूछने पर भी कोई अधिकारी भी स्पष्ट नहीं कर पाया।

स्टेशन के आउटर भी लुटेरों के निशाने पर

दिल्ली- कानपुर रेल रूट के बीच बीते एक साल में हुई लूटपाट की सारी घटनाएं आउटर पर ही हुई हैं। जोकि रेलवे स्टेशन के नजदीक हैं। ऐसे में सुनसान जगहों पर ट्रेन के रुकने पर जीआरपी सिपाही क्या करते हैं ये भी बड़ा सवाल है। इस स्थिति में सिपाहियों को ट्रेन के सभी डिब्बों के दरवाजे बंद है या नही यह सुनिश्चित करना होता है। लेकिन आमतौर पर ऐसा होता नहीं।

सुरक्षा तो जीआरपी का काम है.?

उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ नवीन बाबू बताते हैं कि ट्रेनों में सुरक्षा के लिए जीआरपी जिम्मेदार है जोकि राज्य सरकार के अंतर्गत आती है। रेलवे की ओर से भी पैसेंजर्स को उनकी सुरक्षा के लिए अवगत कराया जाता है। इसके अलावा स्टेशन पर कौन सा यात्री किस इंटेंशन के साथ आता है इसे भी चेक नहीं किया जा सकता है। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे की ओर से राज्य पुलिस के साथ कोआर्डिनेट करने की जरूरत है।

जीआरपी का एक्शन प्लान फेल

सेंट्रल स्टेशन पर स्थित जीआरपी थाने से ख्क् ट्रेनों में स्कॉर्ट में डयूटी लगाई जाती है। जीआरपी इंस्पेक्टर त्रिपुरारी पांडेय ने बताते हैं कि इन ख्क् ट्रेनों में सुरक्षा में चलने वाले स्कॉर्ट को हर घंटे ट्रेन में होने वाली गतिविधियों को थाने में बताना होता है। इसके अलावा ट्रेन जिस भी स्टेशन से गुजरेगी। वहां के जीआरपी स्टॉफ और जिले की पुलिस से भी वायरलेस के जरिए संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। गाजियाबाद से टूंडला और टूडंला से पनकी के बीच का रूट में वारदात होने की ज्यादा संभावना होती है। इस दौरान कोचों के दरवाजे बंद है या नहीं इसकी जिम्मेदारी भी सिपाहियों की होती है।

Posted By: Inextlive