Jamshedpur: लाइफ में कुछ करना है. भीड़ से अलग एक पहचान बनानी है. सेल्फ डिपेंडेंट होना है. सिर्फ घर के काम और बच्चों की देखभाल ही क्यों. पढऩा है और पढ़ते जाना है. तब तक जब तक कि खुद का सेट किया हुआ गोल अचीव न हो जाए. यकीन मानिए कुछ ऐसे ही माइंडसेट के साथ गल्र्स आगे बढ़ रही हैं. हमारी इन बातों को पुख्ता करती हैं सिटी के कॉलेजेज का वह डाटा जो बताता है कि गल्र्स हायर एजुकेशन में ब्वॉयज से आगे हैं. हायर एजुकेशन हासिल करने वालों में गल्र्स स्टूडेंट्स की न सिर्फ संख्या ज्यादा है बल्कि प्लेसमेंट के मामले में भी वे ब्वॉयज से काफी आगे हैं. इससे मालूम पड़ता है कि फेयरेर सेक्स अब किसी भी मामले में ब्वॉयज से कम नहीं. यह तो होना ही था क्योंकि ऐजुकेशन वक्त की जरूरत बन गई है और साथ ही सोशल इविल्स से लडऩे का हथियार जो है. अब ब्वॉयज इसे खतरे की घंटी मानें या एलर्ट होने का समय पर सच तो यही है.

Co-ed colleges में भी girls हैं आगे
हायर एजुकेशन की बात करें तो सिटी स्थित दो वीमेंस कॉलेजेज में लगभग 10600 स्टूडेंट्स इन्रॉल्ड हैं। सिटी के को-एड कॉलेजेज में भी यूजी और पीजी में इन्रॉल्ड टोटल स्टूडेंट्स में गल्र्स की संख्या ब्वॉयज स्टूडेंट्स से ज्यादा हैं। सिटी के 5 को-एड कॉलेजेज में 24 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं जिनमें गल्र्स स्टूडेंट की संख्या 50 परसेंट यानी 12 हजार से ज्यादा है। यानी दोनों वीमेंस कॉलेज के स्टूडेंट्स को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो गल्र्स स्टूडेंट की टोटल संख्या 22600 से ज्यादा हो जाएंगी जबकि ब्वॉयज स्टूडेंट की संख्या होगी लगभग 12 हजार।

Toppers की list में भी है इनका दबदबा
इस साल केयू के पीजी फाइनल रिजल्ट के मेरिट लिस्ट में भी गल्र्स ने बाजी मारी है। कुल 19 सब्जेक्ट्स के टॉपर्स में 14 गर्ल स्टूडेंट्स शामिल हैं। इनमें से 7 तो सिर्फ को-ऑपरेटिव कॉलेज की ही स्टूडेंट्स शामिल हैं। सिर्फ इसी साल नहीं बल्कि लास्ट इयर भी टॉपर्स की लिस्ट कुछ इसी तरह की थी। केयू के फस्र्ट कॉन्वोकेशन में गोल्ड मेडल लेने के लिए ये गल्र्स बिल्कुल तैयार हैं।

Placement में भी रहीं आगे
गल्र्स न सिर्फ हायर एजुकेशन की तरफ तेजी से बढ़ रही हैं बल्कि उन्होंने जॉब हासिल करने में भी ब्वॉयज को काफी पीछे छोड़ दिया है। सिटी के डिफरेंट कॉलेजेज में पिछले 6 महीने प्लेसमेंट की बात करें तो जॉब हासिल करने वालों में गल्र्स की संख्या ब्वॉयज से काफी आगे है। सिटी के चार कॉलेजेज के प्लेसमेंट रजिस्टर को खंगालने पर पता चला कि पिछले 6 महीने में लगभग 450 से ज्यादा स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट हुआ है इनमें गल्र्स की संख्या 392 है। आइए जानते हैं कि किस कॉलेज में कितने स्टूडेंट्स का कैंपस प्लेसमेंट हुआ है।

-जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज -300
-वर्कर्स कॉलेज - 58 (इनमें 16 गर्ल स्टूडेंट्स शामिल हैं)
-ग्रेजुएट कॉलेज - 50
-करीम सिटी कॉलेज - 44 (इनमें 26 गर्ल स्टूडेंट्स शामिल हैं)

आइए जानते हैं कि किस कॉलेज में हायर एजुकेशन में कितनी संख्या है गल्र्स स्टूडेंट की
-वीमेंस कॉलेज
जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज     7063
ग्रेजुएट कॉलेज फॉर वीमेन     3500
को-एड कॉलेजेज

-को-ऑपरेटिव कॉलेज
टोटल स्टूडेंट्स की संख्या     7500
गल्र्स स्टूडेंट की संख्या     4000

-वर्कर्स कॉलेज
टोटल स्टूडेंट्स की संख्या     7000
गल्र्स स्टूडेंट की संख्या    3800

-एबीएम कॉलेज
टोटल स्टूडेंट्स की संख्या     2500
गल्र्स स्टूडेंट की संख्या     1400

-एलबीएसएम कॉलेज
टोटल स्टूडेंट्स की संख्या     3600
गल्र्स स्टूडेंट की संख्या     1900

ये तो होना ही था, आगे और भी changes होंगे
हायर एजुकेशन और जॉब हासिल करने में गल्र्स के दबदबे पर हमने सायकोलॉजिस्ट पीके सिंह से बात की। उनसे जानना चाहा कि इस बदलाव के पीछे क्या कारण हैं। और आगे इसके क्या फायदे होंगे। बातचीत में क्या सामने आया, आइए जानते हैं
-पेरेंट्स का माइंडसेट बदला है
-वीमेन के लिए फ्रीडम के मायने बदले हैं
-वीमेन इंपावरमेंट के प्रति अवेयरनेस बढ़ा है
-इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने वाइटल रोल प्ले किया है
-गल्र्स अपने कॅरियर को मैरेज से उपर रख रही हैं
-वे खुद को घर में बंद नहीं रखना चाहती
-सेल्फ डिपेंडेंट होना चाहती हैं आज की लड़कियां
-बढ़ती महंगाई और नेसेसिटी को पूरा करने के लिए गल्र्स के लिए जॉब करना जरूरी हो गया है
-सिंसियर होने की वजह से उन्हें सक्सेस जल्दी मिल जाती है
-हर फिल्ड में गल्र्स के सक्सेस ने सोसायटी में पॉजिटिव इंपैक्ट डाला है
-वीमेन में एजुकेशन बढ़ेगा तो नेक्सट जेनरेशन भी पढ़ा लिखा होगा
-डोमेस्टिक वायलेंस के केसेस में कमी आएगी
-सोसायटी में एक संतुलन पैदा होगा जो मेल और फीमेल के बीच की खाई को कम करेगा

गल्र्स के एजुकेशन हासिल करने और आगे बढऩे से निश्चित तौर पर ग्रोथ रेट बढ़ा है। गल्र्स सिंसियर होती हैं। यही वजह है कि वे सक्सेस पा लेती हैं। अटेंडेंस के मामले में भी वे ब्वॉयज से काफी आगे हैं।
- डॉ डीपी शुक्ला, प्रिंसिपल वर्कर्स कॉलेज

इसमें कोई डाउट नहीं कि पिछले कुछ सालों में पेरेंट्स और गल्र्स के माइंडसेट में काफी चेंजेज आए हैं। गल्र्स हायर एजुकेशन की तरफ तेजी से बढ़ तो रही हैं पर उनसे कहना चाहती हूं कि वे सिर्फ शादी के लिए पढ़ाई न करें।
- डॉ शुक्ला महंती, प्रिंसिपल जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज
गल्र्स एजुकेटेड होंगी तो इसका सीधा फायदा सोसायटी को होता है। एजुकेशन में गल्र्स का जिस तरह का परफॉर्म कर रही हंै उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में वे और भी आगे जाएंगी।
- डॉ आरके दास, प्रिंसिपल को-ऑपरेटिव कॉलेज
कहते हैं न एक लडक़ा अगर शिक्षित होता है तो वह सिर्फ एक को शिक्षित कर सकता है लेकिन एक लडक़ी शिक्षित होती है तो वह पूरी फैमिली को शिक्षित करती है। हमारे कॉलेज में कई ऐसी स्टूडेंट्स हैं जिनके घर में पहले किसी ने पढ़ाई नहीं की। यह एक बदलाव तो है।
- डॉ उषा शुक्ला, प्रिंसिपल एबीएम कॉलेज

Report by: amit.choudhary@inext.co.in


Posted By: Inextlive