Kanpur : साल भर से एनसीईआरटी के सिलेबस पर आधारित एनईईटी नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट की प्रिपरेशन में जुटे स्टूडेंट्स प्रदेश स्तरीय परीक्षा सीपीएमटी की घोषणा सुनकर शॉक्ड रह गए. इस डिसीजन से केवल स्टूडेंट्स ही नहीं टीचर्स और पेरेंट्स तक फाइनेंशियली और मेंटली प्रभावित हो रहे हैं. तीनों ही वर्गों की मेहनत भी डबल हो रही है. शायद इसी कारण दो दिन पहले स्टूडेंट्स का गुस्सा ऐसा उबला कि वो सड़कों पर उतरे जोरदार हंगामा हुआ तोडफ़ोड़ और लाठीचार्ज तक भी बात पहुंची. फिर क्लासों और हॉस्टल्स तक में छापे मारकर पुलिस ने स्टूडेंट्स को उठाया. वहीं कई सवाल भी खड़े हो गए हैं जिनका जवाब ढूंढने पर ये पता चलता है कि आखिर क्यों स्टूडेंट्स सीपीएमटी परीक्षा नहीं चाहते.


पेरेंट्स, स्टूडेंट्स का बिगाड़ा बजट


पीएमटी कोचिंग करने के लिए काकादेव के हॉस्टल्स में रह रहे हजारों एस्पिरेंट्स का कहना है कि सीपीएमटी की घोषणा ने उनका और पेरेंट्स का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। 5 मई को होने जा रहे 'नीट'  एग्जाम के लिए वो अप्रैल लास्ट में हॉस्टल्स छोड़ देते, फूडिंग और लॉजिंग का खर्च वहीं पर रुक जाता। लेकिन अब 16 जून को प्रस्तावित सीपीएमटी परीक्षा तक के लिए हॉस्टल और फूडिंग का खर्च वहन करना पड़ेगा। कोई हॉस्टल 10 या 15 दिन के पैसे चार्ज नहीं करते। सीधे दो महीने का हॉस्टल और मेस का चार्ज चुकाना पड़ेगा, जो मिनिमम 12 से 13 हजार रुपए के बीच बैठता है। इतना ही नहीं, सीपीएमटी की टेस्ट सीरीज के लिए हर टीचर लगभग 2 से 4 हजार रुपए फीस अलग से चार्ज कर रहे हैं। फिर सीपीएमटी के लिए यूपी बोर्ड के कोर्स वाली महंगी बुक्स भी खरीदनी पड़ेंगी। कुल मिलाकर इस बेटाइम सीपीएमटी के कारण हर स्टूडेंट और उसके पेरेंट्स पर कम से कम 25 से 30 हजार रुपए का अचानक और एक्स्ट्रा बोझ उठाना पड़ेगा।किस्सा कोर्स के 'कॉक्रोच' का

एक पीएमटी कोचिंग के डायरेक्टर केके गुप्ता ने बताया कि यूपी बोर्ड पर आधारित सीपीएमटी का सिलेबस 'नीट' के सिलेबस से 5 या 6 गुना ज्यादा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि स्टूडेंट्स एनसीईआरटी की जिस बायोलॉजी किताब से नीट की ट्रेनिंग कर रहे हैं, उसमें 'कॉक्रोच' का चेप्टर मात्र पांच पन्नों का है। वहीं सीपीएमटी के लिए चलने वाली रमेश गुप्ता की किताब में ये कॉक्रोच का चेेप्टर पूरे 32 पन्नों का है। इतना ही नहीं, टीचर केके गुप्ता के अलावा ढेरों स्टूडेंट्स ने आई नेक्स्ट टीम को बाकायदा बुक स्टॉल पर ले जाकर नीट और सीपीएमटी की किताबों का कंपेरिजन करते हुए दिखाया कि जहां एनसीईआरटी की दो किताबों में टोटल पेज नंबर 650 हैं, वहीं सीपीएमटी में एपीयर होने के लिए यूपी बोर्ड पैर्टन वाली एमपी कौशिक, रमेश गुप्ता और एके मित्तल आदि राईटर्स के 3000 पन्ने पढऩे पड़ते हैं। अब स्टूडेंट्स का सवाल है कि जब 650 पन्नों को तैयार करने के लिए एक साल मिला तो आखिर स्टेट गवर्नमेंट ये कैसे एक्सपेक्ट कर सकती है कि स्टूडेंट्स सीपीएमटी पास करने को डेढ़ महीने से कम टाइम में 3000 पन्ने रट डालेंगे?

कोचिंग को भी फाइनेंशियल फटका और एक्स्ट्रा मेहनत !


प्री मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट के लिए फिजिक्स पढ़ाने वाले टीचर आशीष श्रीवास्तव और बायो टीचर केके गुप्ता के अनुसार प्रॉब्लम केवल स्टूडेंट्स को ही नहीं हुई है। सीपीएमटी की अचानक घोषणा के बाद सभी कोचिंग संचालकों को सारा काम छोड़ कर तुरंत सीपीएमटी पैटर्न के हिसाब से नई टेस्ट सीरीज और स्टडी मैटीरियल तैयार करने में जुट जाना पड़ा है। दिन और रात इसपर काम हो रहा है। जबकि इस टेस्ट सीरीज और मैटीरियल का इस्तेमाल मात्र एक महीने ही हो सकेगा। वहीं मार्च-अप्रैल में जहां कोचिंगों के बंद होने का समय निर्धारित था, अब 16 जून को केवल सीपीएमटी की वजह से कोचिंगें एक-डेढ़ महीने के लिए एक्स्ट्रा खोलनी पड़ेंगी। इससे कोचिंग संचालकों को अपने टीचर्स को दो महीने और रोकने के लिए पेमेंट भी करना पड़ेगा। जानकारों के अनुसार ये फाइनेंशियल फटका 8 से 10 लाख का होगाजो स्टूडेंट्स की जेब से ही फीस के रूप में निकाला जाएगा।तो सीपीएमटी से फायदा किसको?
सवाल ये है कि नेशनल लेवेल की नीट परीक्षा होने के बावजूद सीपीएमटी परीक्षा कराने से स्टूडेंट्स को फायदा नहीं, नुकसान ही हैतो आखिर इससे फायदा किसको है? टीचर्स का कहना है कि पिछले साल अकेले कानपुर क्षेत्र से ही सीपीएमटी परीक्षा (2012) में लगभग 73 हजार स्टूडेंट्स एपियर हुए थे। पिछले साल सीपीएमटी का फॉर्म ही 1500 रुपए का था। इस बार भी अगर प्रदेश सरकार 1500 रुपए का फॉर्म बेचती है तो लगभग 80 हजार फॉर्म बेचकर ही स्टेट गवर्नमेंट की अच्छी खासी कमाई हो जाएगी। तो क्या केवल इनकम करने के लिए गवर्नमेंट ने लाखों स्टूडेंट्स की मुसीबतें बढ़ा दी गईं हैं? जानकार तो कह रहे हैं कि प्राइवेट कॉलेजों और सीपीएमटी बुक्स के पब्लिशर्स की खुराफात ही स्टूडेंट्स की परेशानी बनी।उठ खड़े हुए ये सवाल5 मई को 'नीट' और 16 जून को सीपीएमटी एंट्रेंस प्रस्तावित हैं। आखिर बिलकुल ही अलग और बेहद विस्तृत सिलेबस वाली सीपीएमटी की तैयारी स्टूडेंट्स मात्र डेढ़ महीने में कैसे करेंगे? जबकि वो तो पिछले एक साल से एनसीईआरटी के पैटर्न पर आधारित नीट की तैयारी कर रहे हैं। फिर जब नीट से ही स्टेट वाइज मेरिट लिस्ट भी डिक्लेयर की जानी है तो अलग से सीपीएमटी का क्या औचित्य है? वहीं कोर्ट का अग्रिम आदेश आने तक  सीपीएमटी परीक्षा का रिजल्ट प्रदेश सरकार घोषित नहीं कर पाएगी। यानि, ये कांपटीशन देने के बाद भी स्टूडेंट्स को रिजल्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। फिर ऐसी परीक्षा कराने से क्या फायदा?सीपीएमटी की कशमकश के बीच क्या चाहते हैं स्टूडेंट्स और पेरेंट्स1. स्टूडेंट्स के हित में सीपीएमटी को इस साल नहीं कराया जाए।
2. यूपी के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में 'नीट' परीक्षा के आधार पर स्टेट लेवेल मेरिट लिस्ट्स से ही दाखिले लिए जाएं।3. अगर ये स्टेट लेवेल परीक्षा होती ही है तो इसे पूरी तरह एनसीईआरटी (नीट) के सिलेबस के आधार पर ही करवाया जाए, इससे स्टूडेंट्स की परेशानी 90 फीसदी सुलझ जाएगी। उन्होंने पूरे वर्ष एनसीईआरटी बुक्स से नीट की तैयारी जो की है।फॉर योर हेल्पस्टूडेंट्स का टेंशन ऐसे कम हो सकता है1. टीचर्स का मानना है कि एस्पिरेंट्स 5 मई को 'नीट' का एग्जाम देने के पहले सीपीएमटी का सिलेबस न पढ़ें। वर्ना कन्फ्यूजन हो सकता है। पूरा ध्यान नीट की तैयारी पर ही रखें। 2. ज्यादा से ज्यादा ये करें कि कोचिंग्स में सीपीएमटी की टेस्ट सीरीज ही ज्वाइन करें। ताकि इस परीक्षा के फॉर्मेट की जानकारी मिल सके।3. नीट परीक्षा देने के बाद सीपीएमटी के लिए केवल वही टॉपिक्स तैयार करें, जो एनसीईआरटी के सिलेबस में नहीं हैं। यानि कि दोनों कोर्सेज के अन-कॉमन टॉपिक्स ही पढ़ें। साथ ही पुराना सिलेबस रिवाइज जरूर करते रहें।

Posted By: Inextlive