DEHRADUN : क्या कभी उत्तराखंड क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता नहीं मिलेगी? क्या उत्तराखंड का क्रिकेट टैलेंट बस यूं ही सफर करेगा? क्या उत्तराखंड 13 साल बीत जाने के बाद भी दूसरे राज्यों का मुंह ताकता रहेगा? ऐसे ही कई सुलगते सवाल उन हजारों युवा क्रिकेटर्स के मन में कौंध रहे हैं जिन्होंने सचिन धोनी और विराट कोहली बनने के सपने संजोए हुए हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन यद्धबीर सिंह ने एक बयान देकर क्रिकेट प्रेमियों व क्रिकेट की प्रतिभाओं के सामने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. यद्धबीर सिंह ने कहा था कि उत्तराखंड के क्रिकेट टैलेंट को उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन यूपीसीए मंच देगा. उत्तराखंड को 12 वां जोन बनाकर यहां भी रणजी के लिए ट्रायल लिया जाएगा. हालांकि इस पर बीसीसीआई अब तक जवाब नहीं दे पाया है लेकिन यूपीसीए ने स्पष्ट किया है कि ऐसा संभव नहीं है.


12वां जोन बनाने की बातयुद्धवीर सिंह के बयान में यूपीसीए के अन्तर्गत उत्तराखंड को 12 जोन बनाने की बात सामने आई थी। जिसमें उत्तराखंड में डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन को टूर्नामेंट व ट्रायल कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं उत्तराखंड में क्रिकेट एक्टिविटी में सक्रिय उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव चंद्रकांत आर्य ने स्पष्ट किया कि कोई भी राज्य क्रिकेट संघ किसी अन्य स्टेट में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। यह बीसीसीआई के संविधान के खिलाफ है। इस संबंध में उनकी बीसीसीआई के सीईओ रत्नाकर सेठी से बात हुई, जिसमें उन्होंने भी इसे बीसीसीआई के संविधान के खिलाफ बताया है। जल्द ही उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन इस संबंध में बीसीसीआई को लिखित शिकायत करेगी। कोई लिखित आदेश नहीं


चंद्रकांत आर्य ने बताया कि उनकी यूपीसीए के डेवलपमेंट कमेटी के चेयरमैन युद्धवीर सिंह से भी बात हुई है। युद्धवीर सिंह ने कहा है कि यह यूपीसीए के सेक्रेट्री राजीव शुक्ला ने लिखित रूप में नहीं, बल्कि पर्सनली उत्तराखंड को 12 वां जोन बनाने की कही थी। चंद्रकांत आर्य ने कहा कि यूपीसीए का उत्तराखंड में कोई रोल नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखंड को आज 13 साल बाद भी बीसीसीआई की मान्यता न मिलने के पीछे भी यूपीसीए जिम्मेदार है।अगर हुआ भी तो क्या होगा?

एक तरफ जहां उत्तराखंड को 12वां जोन बनाने की बात से युवा क्रिकेटर्स खुश हैं तो वहीं कई पुराने क्रिकेटर्स की राय कुछ जुदा है। उनका कहना है कि अगर यह संभव हुआ भी तो हमारे स्टेट का कहीं नामो निशान नहीं होगा। जिस राज्य से प्लेयर खेलेगा वहीं का नाम आगे होगा। आखिर कब तक यहां का टैलेंट दूसरे राज्यों का मोहताज बना रहेगा?बीसीसीआई ने किया प्रयासऐसा नहीं है कि बीसीसीआई उत्तराखंड को मान्यता नहीं देना चाहती है। बीसीसीआई ने अपनी एफिलिएशन कमेटी को 2001 व 2004 में दो बार उत्तराखंड भेजा था। इसमें वर्तमान बीसीसीआई के सीईओ रत्नाकर सेठी स्वयं उस समय कमेटी का हिस्सा बने थे, लेकिन उत्तराखंड में क्रिकेट संघों के बीच चल रही तनातनी के कारण उत्तराखंड को आज तक बीसीसीआई की मान्यता नहीं मिल पाई है। यह बीसीसीआई के संविधान के खिलाफ है। यूपीसीए, उत्तराखंड में दखलअंदाजी नहीं कर सकता है। प्लेयर्स को गुमराह किया जा रहा है। हमारी बीसीसीआई के सीईओ रत्नाकर सेठी से बात हुई है। उन्होंने भी बताया कि यूपीसीए का उत्तराखंड में कोई रोल नहीं है। यह रूल में नहीं है। एसोसिएशन इस संबंध में बीसीसीआई को लिखित रूप में शिकायत करेगी। -चंद्रकांत आर्य सचिव, उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन

बीसीसीआई के बॉयलाज में ऐसा प्रावधान नहीं है, लेकिन उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश का हिस्सा रहा है। इसको देखते हुए यूपीसीए ने यह व्यवस्था की है। उत्तराखंड की प्रतिभाओं को ट्रायल का मौका दिया जाएगा। किसी भी जिले या स्टेट से कोई प्लेयर हमारे यहां खेलने आता है तो हम मना नहीं कर सकते हैं। उत्तराखंड को अगर बीसीसीआई की मान्यता मिल जाती है तो उसके बाद प्लेयर को यूपीसीए से खेलने के लिए एनओसी लेनी पड़ेगी। -मोहम्मद अली खान (तालिब)प्रवक्ता, उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशनडिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन को यूपीसीए की ओर से जनवरी के फस्र्ट वीक  में एक लेटर प्राप्त हुआ है। इसमें यूपीसीए ने यहां अपना 12वां जोन बनाया है। आईडीबीआई बैंक में रजिस्ट्रेशन फॉर्म मिलेगा, जो कोई भी प्लेयर भर सकता है। फिर हम वह सभी रजिस्ट्रेशन फॉर्म यूपीसीए भेजेंगे। फाइनली हमें यूपीसीए की ओर से रजिस्टर्ड प्लेयर्स की लिस्ट मिलेगी। इसके बाद जोनल वाइस मैच होंगे। जिसमें प्लेयर के परफॉरमेंस के आधार पर यूपी टीम के लिए चयन होगा।- पीसी वर्मा, प्रेसीडेंट डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन एंड सेक्रेट्री क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड

Posted By: Inextlive