-सेल्स रिटर्न और ई-वे बिल में अंतर पर भेजी जा रही है नोटिस

-जीएसटी काउंसिल ने व्यापारियों पर शुरू की कार्रवाई

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PRAYAGRAJ: ई-वे बिल जेनरेट करने में खेल करने वाले और ई-वे बिल जेनरेट किए बगैर ही माल की सप्लाई करने वाले व्यापारी, कारोबारी और कंपनियों के लिए बैड न्यूज है. जिन फर्मो ने टैक्स बचाने के लिए हेर-फेर की है, उनकी चोरी अब पकड़ी जाएगी. वजह, जीएसटी नेटवर्क ने व्यापारियों के सेल-रिटर्न और ई-वे बिल के आंकड़ों की जांच शुरू कर दी है. अंतर मिलने पर व्यापारियों, कारोबारियों और फर्मो को नोटिस भेजा जा रहा है. इनमें प्रयागराज की भी कई फर्म शामिल हैं.

ई-वे बिल का निकाल लिया था जुगाड़

जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चोरी रोकने के लिए जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल लागू किया था. 50 हजार रुपये से अधिक का माल शहर में या शहर से बाहर कहीं भी सप्लाई करने से पहले ई-वे बिल जेनरेट करना अनिवार्य किया गया था. इसके बाद भी व्यापारियों व कारोबारियों ने टैक्स चोरी का जुगाड़ लगा लिया था. जीएसटी काउंसिल ने जांच के बाद कई कारोबारियों, व्यापारियों व फर्मो के सेल रिटर्न और ई-वे बिल में गड़बड़ी को पकड़ा है. सेल रिटर्न और ई-वे बिल के आंकड़ों में अंतर मिलने पर संबंधित फर्मो, व्यापारियों, कारोबारियों व कंपनियों को नोटिस भेजा जा रहा है.

लगातार हो रही थी कम्प्लेन

ई-वे बिल लागू होने के बाद भी कुछ ट्रांसपोर्टर्स एक ही ई-वे बिल पर एक-से अधिक बार माल की ढुलाई कर रहे हैं. बिक्री का रिटर्न दाखिल करते समय ई-वे बिल का चालान नहीं दिखाते हैं. इसके अलावा कुछ कारोबारी आपूर्ति के बावजूद ई-वे बिल नहीं काटते हैं. इस तरह के गुणा-गणित की कम्प्लेन पिछले कई महीनों से लगातार कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट और जीएसटी नेटवर्क तक पहुंच रही थी. इसके आधार पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) ने ई-वे बिल और भुगतान किए गए सेल्स रिटर्न की जांच शुरू कर दी है. इसका ब्यौरा कॉमर्शियल टैक्स के अधिकारियों को दिया जा रहा है. ताकि कर अधिकारी किसी भी तरह की अनियमितता का पता आसानी से लगा सकें.

फिलहाल नहीं आएंगे नए फॉर्म

जीएसटी की मंथली रिटर्न भरने के लिए सरल फार्म जारी करने की एक अप्रैल से शुरू होने वाली पायलट परियोजना को फिलहाल टाल दिया गया है. नए फॉर्म तभी उपलब्ध कराए जाएंगे, जब उन्हें अधिसूचित कर दिया जाएगा. इन फॉमरें का सॉफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा है.

ये थी योजना

जीएसटी काउंसिल ने पिछले साल जुलाई में तय किया था कि जीएसटी रिटर्न भरने के लिए सरल फॉर्म, सहज एवं सुगम फॉर्म को पायलट प्रोजेक्ट के तहत 1 अप्रैल 2019 को जारी कर दिया जाएगा. ऐसे नए फार्म के तहत देशभर में रिटर्न भरने का काम जुलाई से शुरू करने की योजना थी.

वर्जन

टैक्स चोरी रोकने के लिए ही ई-वे बिल सिस्टम को लागू किया गया था. इसके बाद भी जिन फर्मो ने टैक्स चोरी का खेल किया, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. जीएसटीएन रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी.

-राम प्रसाद

एडिशनल कमिश्नर

ग्रेड-2

वाणिज्य कर

जिन व्यापारियों व फर्मो ने टैक्स चोरी की है, ई-वे बिल में खेल किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन यह भी सुनिश्चित हो कि किसी निर्दोष व्यापारी या फिर फर्म को परेशान न किया जाए.

संतोष पनामा

संयोजक

उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति

Posted By: Vijay Pandey