- पेरेंटिंग के जरिए बताएंगे एजुकेशन का महत्व

- अगस्त में बैठक के बाद होगा काउंसलर का फैसला

Meerut : यूपी बोर्ड स्कूलों में भी अब सीबीएसई की तर्ज पर काउंसिलिंग क्लासेज चलने जा रही है। एजुकेशन को लेकर होने वाले मानसिक तनाव, किसी विषय को लेकर होने वाली बोरियत या फिर किसी अन्य तरह की परेशानी को अब स्कूल खुद ही कम करेगा, क्योंकि यूपी बोर्ड के स्कूलों में काउंसलर लाने की जो तैयारी चल रही है। शिक्षा विभाग के अनुसार सिटी के एक भी यूपी बोर्ड स्कूल में काउंसलर नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का भी यही मानना है, कि अगर स्कूलों में काउंसलर होंगे, तो वो निश्चित ही स्टूडेंट्स को सकारात्मक सोच देने में मददगार साबित होंगे।

होंगे योग्य टीचर

यूपी बोर्ड के स्कूलों में भी सीबीएसई की तर्ज पर काउंसिलिंग क्लास चलाने की तैयारी चल रही है। स्कूलों में हर वीक फ्री पीरियड में स्टूडेंट्स को काउंसिलिंग दी जाएगी। यह काउंसिलिंग विशेषज्ञों द्वारा दी जाएगी। इनमें यूपी बोर्ड द्वारा चयनित मनोवैज्ञानिक या फिर कोई योग्य टीचर ही काउंसिलिंग देने का काम करेंगे। हर वीक की काउंसिलिंग के जरिए स्टूडेंट्स को किताबों की बोरियत और किसी भी सब्जेक्ट में आने वाली समस्या को दूर करना है। ताकि स्टूडेंट्स तनावमुक्त होकर अच्छी एजुकेशन से रुबरु हो सकें। वहीं अगर कोई स्टूडेंट बुरी संगत में पड़ जाता है, या फिर संस्कारों में कुछ नकारात्मक प्रभाव पढ़ने लगता है, तो उसे भी काउंसिलिंग के जरिए दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

पेरेंट्स भी कर सकेंगे अपनी बात

काउंसलर न केवल स्टूडेंट्स के लिए ही मददगार होंगे, बल्कि पेरेंट्स को भी काउंसिलिंग देना इनका ही काम होगा। काउंसलिंग के जरिए बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना, एजुकेशन के प्रति जागरुक करना, अगर बच्चा पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत करता है, या फिर बच्चा घर में मिस लैंग्वेज का यूज करने लगे, तो पेरेंट्स को सिखाया जाएगा कि आखिर किस तरह से अपने बच्चे को उसकी गलती का अहसास दिलाया जा सकता है। इसके अलावा पेरेंट्स को बताया जाएगा कि पेरेंट्स किस तरह से बच्चे में बिना दवाब के पढ़ाई में रुचि बढ़ा सकते हैं।

कर सकेंगे सवाल जवाब

अगर पेरेंट्स को किसी बच्चे की स्टडी से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आ रही है। तो वह उससे संबंधित सवाल जवाब भी काउंसलर से कर सकेंगे। वह जान सकेंगे कि किस तरह से वह किस सब्जेक्ट को पढ़ाए ताकि बच्चा पढ़ते हुए बोर न हों। इसके अलावा यह भी जान सकेंगे कि उनका बच्चा पेरेंट्स से क्या चाहता है, और बच्चे कि जिद को किस हद तक पूरा करना चाहिए और अगर पेरेंट्स अपने बच्चे में कोई बदलाव देख रहे हैं, तो उसका कारण भी काउंसलर के जरिए जान सकते हैं।

तो बैठक के बाद बनेंगे काउंसलर

स्कूलों में काउंसलर बनाने के लिए पहले शिक्षा विभाग की बैठक आयोजित की जाएगी। डीआईओएस शिव कुमार ओझा ने बताया कि बैठक के बाद ही तय होगा कि स्कूलों में काउंसलर का चयन किस तरह से किया जाएगा। अगले माह की बैठक में ही तय होगा स्कूलों में कितने काउंसलर चुनने हैं, उनकी योग्यता व अन्य विषयों पर चर्चा भी बैठक में ही की जाएगी।

Posted By: Inextlive