- विंडरमेयर में उमड़ा संवेदनाओं का हुजूम, मदहोश हुए दर्शक भी बन गए कलाकार

- थर्सडे को पटना के 'निर्माण कला मंच' द्वारा 'कहां गए मेरे उगना' प्ले का होगा मंचन

BAREILLY:

अनछुए पहलुओं से रूबरू हुए तो न मुस्कुराहटें रूकी और न ही आंखों के आंसू। प्ले एक मुकाम पर पहुंच कर खत्म होना था वह हो गया, लेकिन कई दबी छिपी न जाने कितनी भावनाएं, संवेदनाएं को उकेर गया। कुछ ऐसे ही उतार चढ़ाव की प्रवाहित धारा संग प्ले में कलाकार और दर्शक का बहाव दिखाई दिया। वेडनसडे को मशहूर बॉलीवुड एक्टर वीरेंद्र सक्सेना द्वारा निर्देशित और फेम एक्ट्रेस समता सागर द्वारा लिखित प्ले 'जाना था रोशनपुरा' का भावपूर्ण मंचन हुआ। प्रॉप्स एंड प्रॉपर्टी समेत लाइटिंग के बेहतरीन तालमेल ने कलाकारों की प्रस्तुति को बेजोड़ बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस 'कैमरा ऑब्सकरस' और 'यहां' की परफार्मेस हुई।

जाना था रोशनपुरा

यह रिश्तों की कहानी थी। जो बताती है कि जीवन अनिश्चितताओं से भरा है। ससुर ईश्वर प्रसाद अवस्थी अपने दामाद चन्दन श्रीवास्तव के साथ एक साल से एक घर में रह रहे होते हैं। साथ रहने की वजह उनकी बेटी पंजा है जो कैंसर की वजह से इस दुनिया में नहीं रही। मृत्यु से पहले उसने उन दोनों से वादा ले लिया था की वो एक साल तक एक दूसरे के साथ एक ही घर में रहेंगे और एक दूसरे को पता नही चलने देंगे की वो ऐसा उसके कहने पर साथ हैं। नाटक उस आखिरी दिन पर समेटा हुआ था, जिसमें उन दानों को अलग होना था। आपसी मतभेदों और अलग व्यक्तित्व के दो लोग एक साल किस तरह साथ गुजारा होगा यह नाटक में बखूबी दर्शाया गया।

थिएटर एक अलग विद्या है

आयोजित प्ले में परफार्म करने वाले सभी कैरेक्टर बॉलीवुड मूवी और सीरियल एक्टर थे। समता सागर मुख्य रूप से सीरियल एक्ट्रेस, वीरेंद्र सक्सेना जिन्होंने करीब सौ से ज्यादा मूवी में अभिनय की छाप छोड़ चुके हैं। रवि महाबुद्धे जो कई सीरियल और मूवीज में रोल निभा चुके हैं। वह सभी थिएटर को एक अलग विद्या मानते हैं। मंच और कैमरा आखिर क्या कहते हैं विषय पर जब बात की गई तो उन्होंने मंच को ऑडियंस के ज्यादा करीब बताया। तीनों ने ही मूवी से ज्यादा थिएटर को तवज्जो दी। उनके मुताबिक थिएटर कलाकार की प्रतिभा और मूवी प्रैक्टिस को निखारती है। बॉलीवुड से जुड़ने को बेकरार युवाओं को संदेश दिया कि एक बेहतर थिएटरिस्ट ही अच्छा एक्टर बन सकता है।

Posted By: Inextlive