-आइसा के नेतृत्व में छात्राओं ने किया विरोध, कुलपति को सौंपा ज्ञापन

-न टॉयलेट दुरुस्त न ही

ALLAHABAD: सर, हास्टल से गोजर-बिच्छू निकल रहे हैं। पीने को साफ पानी नहीं है। रहने को स्वच्छ कमरा नहीं है। पढ़ने को किताब नहीं मिल रही। आप ही बताइये, हम कहां जाएं, किससे अपनी पीड़ा कहें। कोई सुनने वाला नहीं है। ये अल्फाज ग‌र्ल्स हास्टल की लड़कियों के हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में वुमेन कॉलेज कैम्पस की छात्राएं थर्सडे को वाइस चांसलर ऑफिस पहुंची तो उनका दर्द जुबां पर आ गया। सुनने वाले भी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे।

गुस्से से हुई लाल पीली

थर्सडे को वीसी ऑफिस पहुंची छात्राएं गुस्से से लाल पीली नजर आई। उन्हें यह भी भय सता रहा था कि विरोध करने पर कहीं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न कर दी जाए। ऐसे में छात्राएं मुंह पर कपड़ा बांधकर पहुंची थीं। बावजूद इसके छात्राओं ने विरोध तो दर्ज करवाया ही, एक के बाद एक कई आरोप भी जड़े। सरोजनी नायडू छात्रावास की दर्जन भर छात्राओं ने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के नेतृत्व में प्रदर्शन किया।

इन सवालों पर घेरा

प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने आरोप लगाया कि छात्रावास का उचित रख रखाव नहीं हो रहा। नलों का पानी लगातार टपक रहा है। शौचालय की सीट का टूटी फूटी है। वाटर प्यूरी फायर खराब पड़े हैं। इससे एक कदम आगे बढ़कर छात्राओं ने यह भी आरोप जड़ा कि छात्रावास के कर्मचारी हास्टल अधीक्षिका के घर पर काम कर रहे हैं। यही नहीं छात्रावास के फर्नीचर एवं कंप्यूटर तक का उपयोग अधीक्षिका अपने घरों पर कर रही हैं। बोलीं कि परिसर में बड़ी-बड़ी घासें उग आई हैं। जिससे हास्टल सांप, गोजर, बिच्छुओं का बसेरा बन गया है। इससे डरी सहमी छात्राओं ने अनहोनी की आशंका भी जाहिर की है।

वार्डेन व सुपरिटेंडेंट पर उठे सवाल

इस दौरान छात्राओं ने सवाल उठाया कि छात्रावास की संरक्षिका और अधीक्षिका पद्रह सालों से कैसे काबिज हैं। उन्हें क्यों नहीं हटाया जा रहा। प्रदर्शन के दौरान आइसा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सिंधुजा मौर्य ने कहा कि महिला हास्टल में छात्राओं की हालत जानवरों जैसी बना दी गई है। आइसा ने चेतावनी दी है कि यदि छात्रावास की हालत न सुधरी तो छात्रसंघ चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जाएगा। प्रदर्शन में सुनील मौर्य, शक्तिरजवार, सुभाष कुशवाहा, गीतांजलि साहू, मुस्कान पांडेय, मधु तिवारी, कंचन वर्मा आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive