Gorakhpur : हमारी पंरपरा में महिलाओं को जीवन दायिनी माना जाता है लेकिन गोरखपुर की फीमेल्स किसी का जीवन बचाने में बहुत पीछे हैं. इन पर लाखों रुपए खर्च करके ब्लड डोनेट करने के लिए अवेयर करने वाले विज्ञापन का भी कोई असर नहीं पड़ रहा है. यह बात गोरखपुर के ब्लड बैंक्स के डाटा से साफ साबित हो जाती है. जहां डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में अप्रैल 2012-13 में 1476 डोनर्स में महिलाओं की संख्या केवल 280 थी तो गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय में जनवरी 2013 से सितंबर 2013 तक ब्लड डोनर्स की संख्या 13630 थी जिनमें से 493 मात्र वूमेन की भागीदारी रही. कुछ इसी प्रकार का हाल सिटी के अन्य छह ब्लड बैंक्स का है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर वूमेन रेगुलर ब्लड डोनेट करे तो उनकी बोन मेरो एक्टिव रहती है और उनके शरीर में खून शुद्ध बनता रहता है.


जिला अस्पताल में छह माह में ब्लड डोनेट करने वालों की संख्याअप्रैलMale-  166 Female- 10मईMale - 107 Female- 5 जूनMale - 97 Female- 5जुलाईMale - 98 Female- 4अगस्तMale -101 Female- 6सितंबरMale - 142 Female- 15गुरू गोरखनाथ चिकित्सालयप्लेटसमेंट के रूप में ब्लड डोनेट करने की संख्याTotal - 13230 डोनरFemale - 459Male - 12771स्वेच्छा से ब्लड डोनेट करने वालों की संख्याTotal- 402Female -34Male- 368 (जनवरी 2013 से सितंबर 2013 तक)जागरूकता और मानसिकता की कमी ने किया वूमंस को पीछे


ब्लड डोनेट करने वालों में पीछे करने में जागरूकता पूरी तरह से हावी है। भ्रांतियों ने बहुत पीछे ढकेल दिया है। ब्लड डोनेट करने को लेकर सिटी में भ्रम है कि नपुसंकता, बीमार रहने के साथ ही साथ पूरे जीवन भर कमजोर बने रहते हैं। कई माताएं तो अपने बच्चों को इसलिए रोकती हैं क्योंकि उनका मानना है कि एक बार ब्लड निकल जाने के बाद खून की कमी जीवन भर बनी रहती है। भ्रांतियां और जागरूकता की कमी को दूर करके ही फीमेल्स में ब्लड डोनेशन को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही उन्हें शारिरिक रूप से कमजोर मान कर उन्हें इससे दूर रखा जाता है।

-डॉ। अवधेश अग्रवाल, प्रभारी ब्लड बैंक व उप चिकित्साधिकारी गुरू गोरक्षनाथ चिकित्सालयअक्सर महिलाओं में हीमग्लोबीन की कमी के कारण ब्लड बैंक उनका ब्लड लेने से कतराते हैं। इसका यही तरीका है कि फीमेल्स को अमरूद, गुड़, पालक, सेब को खाना चाहिए, ताकि फीमेल्स में हीमोग्लोबिन की कमी न हो।-डॉ। केएम सिंह, प्रभारी, ब्लड बैंक, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटलमहिलाओं को आगे आकर ब्लड डोनेट करना चाहिए। हालांकि गोरखपुर में अवेयरनेस की कमी है। हम सामाजिक संगठनों द्वारा लगातार महिलाओं को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं।शालिनी सिंह, सामाजिक कार्यकर्ताघरेलू महिलाओं में बहुत परेशानी होती है। ब्लड डोनेट करने की इच्छा तो होती है, लेकिन झिझक के चलते वे अपनी इच्छा कई बार किसी से कह नहींपाती हैं।-श्रीमती स्मृति संतोषreport by : saurabh.upadhyay@inext.co.in

Posted By: Inextlive