राम्या की मौत के बाद कठघरे में एडवेंचर स्पोर्टस्
ये क्षेत्र अभी विकास की शुरुआती अवस्था में है और फ़िलहाल किसी नियम क़ानून के ज़रिए नहीं चल रहा है.इस दुर्घटना में राम्या विनोद कथित रूप से आपातकालीन पैराशूट नहीं खुल पाने के चलते 10,000 फीट की ऊंचाई से नीचे जा गिरीं. इतनी ऊंचाई से धरती पर गिरने बाद अस्पताल ले जाते ही उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.बंगलौर में रहने वाला ये जोड़ा अपनी शादी की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए सेलम आया था.एक आउटडोर एडवेंचर कंपनी नेचर ऐडमायर के देव बालाजी ने बीबीसी को बताया, "ये तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा कि राम्या की मौत की वजह क्या थी, पैराशूट की तकनीकी समस्या या एक दुर्घटना या कोई स्वाभाविक कारण. लेकिन इस मामले ने हमें ध्यान दिलाया है कि भारत में एडवेंचर स्पोर्टस् खेलों के लिए कोई नियम नहीं हैं."प्रशिक्षण की कमी
राम्या विनोद. राम्या की स्काईड्राइविंग करने के दौरान मृत्यु हो गई.रामनाथन के मुताबिक़, "ये बुनियादी बात है. स्कूबा डाइविंग या स्काईडाइविंग के मुक़ाबले कहीं अधिक लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटना या गर्भावस्था के दौरान होती है. इस बात को साल दर साल के आंकड़े साबित करते हैं."
रामनाथन के मुताबिक़ साल 2000 में दुनिया भर में 1.16 लाख लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति की मौत स्काईडाइविंग के दौरान हुई. इसी तरह 2010 में 2.12 लाख लोगों में सिर्फ एक व्यक्ति की मौत स्कूबा डाइविंग से हुई. दूसरी ओर प्रत्येक 5,555 लोगों में एक की मौत कार चलाने के दौरान हुई.रामनाथन इस बात से सहमत हैं कि साहसिक खेलों में सभी गतिविधियों के लिए सुरक्षा निर्देशों का पालन एक बुनियादी शर्त है लेकिन इसकी निगरानी के लिए कोई भी नियम या नियामक संस्था नहीं है.कारोबार में तेज़ीबालाजी बताते हैं, "एडवेंचर स्पोर्टस् काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहे हैं. एक मोटे अनुमान के मुताबिक़ भारत में इसका बाज़ार प्रतिवर्ष क़रीब 250 करोड़ रुपए है."हॉलीडे आईक्यू के संस्थापक सीईओ हरी नायर के मुताबिक़, "यह क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है क्योंकि भारत की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत से अधिक है. इसके बावजूद देश में साहसिक यात्राओं का आयोजन कराने वालों में शायद पांच प्रतिशत से अधिक लोग पंजीकृत नहीं हैं. कोई भी उद्योग संगठन इसकी देख रेख नहीं करता है."
नायर कहते हैं कि देश में एडवेंचर स्पोर्टस्, यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों को तत्काल नियमों के दायरे में लाने की आवश्यकता है और इस बारे में राज्य और केंद्र सरकारों को आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि नियम प्रणाली का गठन किया जा सके.