मध्य प्रदेश के रीवा शहर में एक महिला ने दस बच्चों को जन्म दिया. हालांकि अपरिपक्व होने के कारण कोई भी बच्चा बच नहीं सका लेकिन चिकित्सकीय जगत में अजूबी मानी जा रही इस घटना पर शोध की तैयारियां शुरू हो गई हैं.


यह मामला रीवा के संजय गाधी मेमोरियल अस्पताल का है.अस्पताल के सहायक अधीक्षक डॉ एसके पाठक कहते हैं, "हालांकि यह शोध का विषय है कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन गर्भ रोकने के लिए ज़्यादा मात्रा में दवाइयों का इस्तेमाल भी इसका कारण हो सकता है."रविवार रात को 28 वर्षीय अंजू कुशवाह को अस्पताल लाया गया. अंजू सतना जिले के रन्नैही थाना क्षेत्र के ग्राम कोठी की रहने वाली हैं.दस मृत बच्चों को जन्म देने के बाद अंजू की हालत बेहद ख़राब हो गई थी.डॉ पाठक ने बीबीसी को बताया कि उनकी हालत में अब सुधार है.दस वर्ष बाद संतान"अंजू का विवाह संतोष से दस साल पहले हुआ था. इन दस वर्षो में अंजू को कोई संतान नहीं हो पाई."


अंजू का विवाह मजदूरी करने वाले संतोष से दस साल पहले हुआ था. इन दस वर्षो में अंजू को कोई संतान नहीं हो पाई.

करीब चार माह पहले अंजू को पेट में दर्द हुआ तो उनके पति संतोष उन्हें अपने गांव कोठी के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए. वहां मौजूद नर्स ने उन्हें बड़े दवाखाने ले जाने की सलाह दी.

इसके बाद वे अपनी पत्नी को सतना के सरकारी अस्पताल ले गए. सरकारी अस्पताल में जाँच करने के बाद दवा लिखकर उन्हें छुट्टी दे दी गई.लेकिन इसके बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं होने पर पति संतोष अंजू को जबलपुर ले गए. डाक्टरों द्वारा सोनोग्राफी कराए जाने पर उनके पेट में एक से अधिक भ्रूण दिखे.अंजू के पति को जबलपुर के डाक्टरों द्वारा सलाह दी गई कि वो तत्काल 'फ़ीटल रिडक्शन' करा लें. यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें डाक्टर दवाई के माध्यम से एक भ्रूण को बचाते हुए शेष को नष्ट कर देते हैं. महिला का पति इसके लिए तैयार नहीं हो पाया.रास्ते में बच्चे"सभी बच्चे प्री मेच्योर थे जिनकी आयु बारह सप्ताह की थी. सभी बच्चे मृत अवस्था में ही गर्भ से बाहर निकले थे."रविवार रात करीब ग्यारह बजे अंजू के पति उन्हें लेकर मेडिलकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल लेकर आए. सेतिन रास्ते में ही अंजू ने नौ बच्चों को जन्म दे दिया था. संतोष सभी नौ बच्चों को तौलिए में लपेट कर अस्पताल तक लाए थे.ये सभी बच्चे प्री मेच्योर थे जिनकी आयु बारह सप्ताह की थी. सभी बच्चे मृत अवस्था में ही गर्भ से बाहर निकले थे. दसवें बच्चे को गर्भाशय से निकाला गया.डाक्टर पाठक के मुताबिक बांझपन मिटाने के नाम पर महिला का काफ़ी उपचार किया गया था.
वे बताते हैं, "हो सकता है कि उसका आईवीएफ ट्रीटमेंट भी किया गया हो."पाठक के मुताबिक, "अंजू के मेडिकल रिकार्ड का अध्ययन किया जा रहा है, हालांकि उसके परिजनों ने डाक्टरों को ऐसे किसी भी ट्रीटमेंट लेने से इनकार किया हैं. हां उन्होंने यह जरूर बताया कि बच्चा ठहराने के लिए सतना के एक डाक्टर ने कुछ दवाएं दी थी."

Posted By: Subhesh Sharma