शहर के बाउंसर वाले डॉक्टर के नाम से सुर्खियों में डीपी सिंह के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हुए थे.

-आर्यन हॉस्पिटल में पिता का उपचार कराने के दौरान जुड़ा रिश्ता

-डॉक्टर ने बढ़ाया प्रेम संबंध, खाक में मिल गई राखी की जिंदगी

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: शहर के बाउंसर वाले डॉक्टर के नाम से सुर्खियों में डीपी सिंह के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हुए थे। लेकिन हर बार पुलिस अधिकारियों के प्रभाव में मामला दबता चला जाता था। शायद, यही वजह थी कि जांच के दौरान एसटीएफ ने पूरी गोपनीयता बरती। पर्दाफाश के पहले तक किसी को कानों-कान भनक नहीं लगी। प्रेमिका के मर्डर में डीपी सिंह के पकड़े जाने की चर्चा पल में जंगल की आग हो गई। करतूत जानने वालों की जुबान से सिर्फ यही निकला कि जिसने लाल चुनरी ओढ़ाई थी। उसने ही राखी को लाल कफन से विदा किया। पुलिस लाइन में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉक्टर सबको टुकुर-टुकुर दखता रहा।

पिता के इलाज के दौरान बढ़ी नजदीकी
बात 2011 की है। जब राखी और डीपी सिंह के बीच प्रेम संबंध परवान चढ़े। 16 मई को शहर के बिंलदपुर मोहल्ला निवासी बिजली विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर हरीराम श्रीवास्तव की तबियत बिगड़ गई। इलाज के लिए परिजन उनको दाउदपुर के आर्यन हॉस्पिटल में डॉक्टर डीपी के पास ले गए। दो भाईयों दो बहनों में सबसे छोटी राखी पिता की तीमारदारी के लिए अस्पताल आती जाती थी। इस दौरान उसकी जान पहचान डॉक्टर से हो गई। दोनों के बीच नजदीकियां इस कदर बढ़ी कि 28 मई को पिता के निधन के बाद दोनों एक दूसरे से मिलते-जुलते रहे। उसी समय राखी बीएड का एग्जाम देने के लिए गोंडा के सैदुल्लानगर में गई। एग्जाम में मदद के बहाने डीपी सिंह भी पहुंचा था। राखी एग्जाम देकर लौटी तो उसके पर्स से पोस्टपेड मोबाइल फोन की पर्ची गिरी, जो डीपी के नाम से थी। बहन की हरकतों की जानकारी होने पर लोगों ने डांट-फटकार लगाई तो उसने भाईयों से रिश्ता तोड़ दिया।

मर्डर की आशंका जताती रहती थी राखी
2012 में गोंडा के एक मंदिर में डॉक्टर और राखी ने शादी कर ली। राखी के लिए डॉक्टर ने शहर में एक मकान का इंतजाम कर दिया। लेकिन बाद में राखी को पता लगा कि डीपी सिंह पहले से शादीशुदा थे। इसलिए संबंधों में खटास आ गई। राखी ने डॉक्टर के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया। यह विवाद लंबा खिंचता चला गया। वह डॉक्टर पर मकान अपने नाम से करने का दबाव बनाने लगी। रोजगार के लिए राखी ने हरिओम नगर में कोचिंग सेंटर भी खोला था। एक साल बाद कोचिंग सेंटर में ताला लग गया। पुलिस अधिकारियों को पत्र देते समय राखी हर बार अपने हत्या की आशंका जताती रही। लेकिन किसी ने उसकी बात का संज्ञान नहीं लिया.

फेसबुक पर जुड़ा मनीष, राखी से की शादी
डॉक्टर से मुकदमेबाजी और परिवार से अलग रहने पर राखी को खतरा सताने लगा था। दो साल पूर्व उसकी जान पहचान बिहार, गया के लोहगरा वजीरगंज निवासी मनीष श्रीवास्तव से हो गई। इसी साल फरवरी में दोनों ने शादी कर ली। एक जून को वह पति के साथ काठमांडू गई थी। इसकी जानकारी डॉक्टर को हो गई थी। नेपाल में राखी के लापता होने पर मनीष ने दो दिनों तक उसकी तलाश भी की। जब कोई जानकारी नहीं मिली तो उसने भाई को बहन के लापता होने की सूचना दी। चार जुलाई को राखी के अपहरण का केस दर्ज हुआ।

मोबाइल चलाते रहे, व्हाट्सअप ग्रुप से किया बाहर
राखी के मर्डर के बाद डीपी सिंह ने उसका मोबाइल फोन अपने पास रख लिया था। पुलिस को गुमराह करने के लिए उसने उसका मोबाइल गुवहाटी भेज दिया। उसे डिजिटली जिंदा दिखाते रहे। राखी के रिश्तेदारों और फैमिली मेंबर्स का एक ग्रुप बना था। चार अक्टूबर को उस ग्रुप से राखी का नंबर अचानक लेफ्ट हो गया। इसकी जानकारी जब पुलिस को हुई तो मामले की जांच में तेजी आई।

राखी के भाई को ले जाना था नेपाल, दिए कई आफर
बहन के लापता होने पर अमर श्रीवास्तव ने उसकी तलाश के लिए पुलिस अधिकारियों से मदद मांगी। पूर्व में होने वाली शिकायतों को डॉक्टर अपनी पहुंच की बदौलत दबा देता था। इसलिए भाई को किसी पर भरोसा नहीं रह गया था। मामला बिगड़ने के डर से डॉक्टर डीपी सिंह ने अमर को भी नेपाल ले जाने का कई आफर दिया। अमर ने पुलिस को बताया कि डॉक्टर उससे कहता था कि नेपाल में चलो तो पता लग जाएगा कि वह कहां गई हैं।

पांच हजार अधिक वेतन पर किया सौदा
प्रेमिका के मर्डर के लिए डीपी सिंह ने अपने विश्वनीय दो कर्मचारियों को साजिश में शामिल किया था। राखी को रास्ते से हटाने के बदले दोनों कर्मचारियों को हर माह पांच-पांच हजार रुपए अतिरिक्त वेतन देने की बात पर सौदा तय हुआ। यहीं दोनों कर्मचारी राखी की गतिविधियों पर नजर भी रखते थे। फूलप्रूफ प्लानिंग करने वाले डॉक्टर को लगा था कि मामला दब जाएगा। एसटीएफ की गोपनीय जांच में सारी हकीकत सामने आ गई। डॉक्टर के बिहैवियर, साक्ष्य, अन्य तथ्यों के आधार पर पुलिस ने उसे दबोच लिया। पकड़े जाने पर डॉक्टर ने अपना रौंब जमाया था। कई पुलिस अधिकारियों से अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए उसने खुद को बेकसूर बताया। एसटीएफ के कर्मचारियों को बाद में देखने की धमकी भी दी।

Posted By: Inextlive