आज यानी कि 1 दिसंबर को पूरे विश्व में एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद सिर्फ लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना होता है।


कानपुर। आज यानी कि 1 दिसंबर को पूरी दुनिया में ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरूक करना होता है। इस दिन लोगों को एड्स के लक्षणों, बचाव, उपचार और कारणों के बारे में बताया जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाईजेशन के मुताबिक, एड्स एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे किसी इंसान को अंदर से खोखला बनाती है। यह बीमारी सिर्फ असुरक्षित यौन संबंधों के अलावा संक्रमित सुई, खून और अजन्मे बच्चे को उसके मां से भी हो सकता है। बता दें कि एड्स ऐसे कोई बीमारी नहीं है लेकिन इससे पीड़ित व्यक्ति बीमारियों से लड़ने की क्षमता खो देता है। यह बीमारी होने के बाद उसके शरीर में सर्दी-जुकाम जैसा संक्रमण भी आसानी से हो जाता है। एचआइवी यानि ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंसी वायरस से संक्रमण के बाद की स्थिति एड्स है। एचआइवी संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में आठ से दस साल या कभी-कभी इससे भी अधिक वक्त लग सकता है।बीच में नहीं छोड़ सकते ईलाज
बता दें कि टी.बी और एड्स का रिश्ता बेहद खास है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाईजेशन ने बताया है कि जिस व्यक्ति को पहले से टी.बी है और उसे एड्स भी हो जाता है या इसके विपरीत किसी को एड्स है और बाद में टीबी भी हो जाए तो उसके मरने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया था कि दुनिया भर में मरीजों की मौत का प्रमुख कारण एचआईवी संक्रमण के साथ टी.बी होना है। ऐसे तो टी.बी किसी भी साधारण व्यक्ति को भी हो सकता है लेकिन एड्स पीडि़त व्यक्ति के लिए यह खतरा सामान्य से दोगुना है। हालांकि, ऐसा नहीं इसे ईलाज के जरिये खत्म नहीं किया जा सकता, अगर सही समय पर इसका ईलाज हो तो इससे निजात पाया जा सकता है। इसके अलावा यह भी बता दें कि यदि एच आई वी पीडि़त व्यक्ति किसी कारण से टी.बी का ईलाज बीच में ही छोड़ देता है तो उसके ठीक होने की संभावना भी लगभग कम हो जाती है।

Posted By: Mukul Kumar