वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे है आज। जानिए इससे कैसे बचा जा सकता है और क्या हैं बचाव के तरीके।

केस 1
सीमा 8 मंथ्स की प्रेग्नेंट है. क्लीनिकल टेस्टिंग के दौरान पता चला की बेबी की ग्रोथ प्रॉपर नहीं हैं. डायग्नोज व काउंसलिंग में पता चला की वह मोबाइल का बहुत यूज करती है. जिसकी वजह से हाइपर टेंशन की शिकार है.

केस 2
3 मंथ्स की प्रेग्नेंट आरती सारा दिन मोबाइल में लगी रहती थी. न ठीक से खाना, न केयर. डॉक्टर्स के इंस्ट्रक्शंस भी फॉलो नहीं किए. हॉयपरटेंशन की शिकार हो गई, जिसकी वजह से मिसकैरिज हो गया.

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Meerut: आरती-सीमा सिर्फ एग्जाम्पल हैं. स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की लत, प्रेग्नेंट लेडीज को हाईपरटेंशन का शिकार बनी रही है. एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक करीब 25 प्रतिशत प्रेग्नेंट लेडीज इस बीमारी की चपेट में हैं. बीमारी का सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ रहा है. वहीं दिल, दिमाग, किडनी भी इससे इफेक्टेड हो रहे हैं. हार्टअटैक और स्ट्रोक के मामलों में सबसे बड़ी वजह हाईपरटेंशन ही है.

ये है स्थिति
- जिला महिला अस्पताल में रोजाना 10 प्रतिशत प्रेग्नेंट लेडीज में हायपरटेंशन डायग्नोज हो रहा है.
- मेडिकल कॉलेज की गायनी ओपीडी में करीब 30 प्रतिशत केस हायपरटेंशन के हैं.
- जिला अस्पताल की मेंटल हेल्थ ओपीडी में करीब 30 से 40 पेशेंट्स डेली हाइपरटेंशन के आते हैं. जिनमें 25 प्रतिशत फीमेल हैं.

- मेडिकल कॉलेज की मेंटल हेल्थ ओपीडी में यह आंकडा 60 से 70 पेशेंट्स का हैं, इनमें 30 प्रतिशत फीमेल हैं.

- जिला अस्पताल में डेली 150 से 200 ईसीजी होती हैं.

- मेडिकल कॉलेज में 600 से 700 पेशेंट्स की ईसीजी डेली होती है.

- सरकारी अस्पतालों में किडनी की समस्या के 60 प्रतिशत केस हाइपरटेंशन की वजह से हैं.

गर्भ में शिशु का रूक रहा विकास
प्रेग्नेंट लेडीज में हायपरटेंशन गर्भस्थ शिशु के लिए घातक साबित हो रहा है. डॉक्टर्स के मुताबिक ऐसी महिलाएं हाईरिस्क प्रेग्नेंसी की चपेट में आ जाती हैं. जिसकी वजह से बच्चे का संपूर्ण विकास नहीं होता. साथ ही दिमाग कमजोर रह जाता है. इसके अलावा खून की कमी, अंगों का विकास का न होना जैसी समस्या पैदा हो जाती हैं. अमूमन डिप्रेशन, स्ट्रेस और गुस्सा इसकी सबसे बड़ी वजह है.

ये हैं वजह
- फोन पर ज्यादा बात करना.

- सोशल मीडिया पर अधिक टाइम स्पेंड करना.

- अकेले रहना, किसी बात को बहुत ज्यादा सोचना, अकारण परेशान होना.

- खाने-पीने में लापरवाही, मोटापा, आनुवांशिक, जरूरत से ज्यादा काम करना.

यह हैं लक्षण
- बीपी 140 से अधिक होना.

- चक्कर आना, उल्टी होना, सिर घूमना.

- सिर में तेज दर्द, नाक से खून आना.

- तनाव और थकान होना.

ऐसे करें बचाव
- हाइपरटेंशन से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार लाएं.

- खाने में नमक का कम से कम सेवन करें.

- स्ट्रेस फ्री रहने के लिए योग का सहारा लें.

- रोजाना 20 से 30 मिनट का व्यायाम अवश्य करें.

प्रेग्नेंट लेडीज में हायपरटेंशन तेजी से बढ़ रहा है. इससे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा भी बढ़ जाता है. इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह महिलाओ का अधिक टाइम मोबाइल पर बिताना है.
- डॉ. मनीषा वर्मा, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल

हार्ट में ब्लड सकरुेलेशन ठीक से नहीं हो पाता है. थक्के बनने शुरू हो जाते हैं. धमनियों में खून नहीं पहुंचता है इससे हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.
- डॉ. आरती फौजदार, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल

Posted By: Lekhchand Singh