आज है लाफ्टर डे।

- हंसना एक्सरसाइज भी है और जीने की कला भी

- बड़े से बड़े मजाक पर भी मुस्कुरा कर रह जाते हैं

PATNA: हंसना बड़ा काम हो गया है। हंसाने के लिए टीवी पर कई लाफ्टर शोज चल रहे हैं। सुबह-सुबह हाथ उठाकर हंसना उस लाफिंग योग का हिस्सा हो गया है। आपने सोचा है कभी, हम हंसते क्यों हैं? हम इसलिए हंसते हैं कि हमें हंसी आती है। हंसी क्यों आती है? हंसी इसलिए आती है कि कहीं कोई बेवकूफ बनता है। हंसना मजा देता है। बहुत दिन हुए हम लोटपोट होकर नहीं हंसे। ऐसा नहीं है कि हमें हंसने के बहाने नहीं मिले, बल्कि हम इसलिए नहीं हंस पाए कि हम हंसना भूल गए हैं। बड़े से बड़े मजाक पर भी हम मुस्कुरा कर रह जाते हैं। अब हमारे बदले टीवी हंसता है। बचपन में हम एक-दूसरे को खूब जोक सुनाया करते थे, अब वह जोक भी भूल गए। जहां हर दिन परेशानी है, वहां हंसने का कोई बहाना आप चूक गए तो लटकले कि गेले वाली हालत हो जाएगी। कहीं हंसने वाली कोई चीज मिले तो हंसिए। जमाने के लिहाज से हंसी रोक ली आपने, तो घर आकर उस सीन को याद कर हंसिए। मजा आएगा। पटना के डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी की मानें, तो हंसने से एंडार्फिन जैसे इंटरनल हार्मोन निलकले हैं, जिसमें एंटी ऑक्सीडेंट होता है। यह बॉडी में ब्लड सप्लाई को बढ़ाता है।

दूसरे पर हंसना आसान है

अगले की बेवकूफी पर तो हर कोई हंस सकता है। कभी अपनी बेवकूफी पर भी हंसिए। अपनी बेवकूफी पर हंसिएगा, तो और ज्यादा मजा आएगा। हास्य वैज्ञानिक ईजी गेसेल ने हास्य दिवस की शुरुआत की थी। कभी चार्ली चापलिन ने हमें हंसाया और कभी मिस्टर बीन ने। राजू श्रीवास्तव और कपिल की हंसी ने हंसी का नया बाजा बनाया। हम सुरेन्द्र शर्मा की घरारी पर खूब हंसे। महमूद, पेंटल, जॉनी वाकर, असरानी को कोई भूल सकता है क्या? मुकेश कुमार बड़े गायक हुए, लेकिन कई फिल्मों में उन्होंने खूब हंसाया। शोले वाले गब्बर सिंह की हंसी याद है ना आपको? हंसना एक्सरसाइज भी है और हंसना जीने की कला भी। कभी बच्चों की तरह अपना चेहरा देखा है ठीक से आइने में। ठीक से देखिए खूब हंसी आएगी। आज दुनिया के कई देशों में हंसी के आयोजन हो रहे हैं। हंसते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि दूसरे पर हंसना ज्यादा आसान है। आप बड़े तभी हैं, जब खुद पर हंसाना आपको आता हो। हंसते समय ये मत सोचिए कि हंसे तो फंसे।

Posted By: Inextlive