दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित करने के लिए गुजरात सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टेंडर आमंत्रित किए हैं.


इसके लिए गुजरात सरकार ने अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'इकॉनॉमिस्ट' पत्रिका में एक पूरे पेज का विज्ञापन दिया है.गुजरात सरकार के अनुसार ये मूर्ति स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लौह पुरुष कहलाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की होगी.वे भारत के पहले गृहमंत्री थे और भारतीय राजाओं को अपनी रियासत को भारत में मिलाने के लिए राज़ी करने में उनकी अहम भूमिका थी.कहा गया है कि ये मूर्ति 182 मीटर यानी 597 फ़ुट ऊँची होगी यानी अमरीका की स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी से दोगुनी.इस समय दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति चीन की बुद्ध की मूर्ति है जो 128 मीटर ऊँची है.इस परियोजना में 26.6 करोड़ डॉलर यानी लगभग 1200 करोड़ रुपए की लागत आएगी और इसके लिए प्रस्ताव जमा करने की आख़िरी तारीख़ 11 जुलाई है.बड़ी योजनासरदार पटेल के स्मारक के रूप में मूर्ति स्थापित करने की योजना कुछ समय पहले बनाई गई थी.
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में अक्तूबर, 2010 में लिखा था कि इस स्मारक को 'स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी' कहा जाएगा और यह लोगों के लिए 'प्रेरणा स्रोत' होगा.उन्होंने लिखा था,"इसमें एक हाईटेक संग्रहालय होगा जिसमें भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के 90 वर्षों का इतिहास होगा."


उनका कहना था कि ये एक शोध केंद्र के रुप में विकसित किया जाएगा जो देश की एकता और अखंडता को बढ़ावा देगा.नरेंद्र मोदी ने लिखा था, "इस तरह से देखें तो ये स्मारक न केवल मीटर और फ़ुट में ऊँचा होगा बल्कि ये अकादमिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय व आध्यात्मिक मूल्यों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा."मुख्यमंत्री को उम्मीद है कि ये परियोजना तीन वर्षों में पूरी हो जाएगी.नरेंद्र मोदी एक विवादित मुख्यमंत्री रहे हैं. एक ओर उन्हें राज्य के विकास और समृद्धि का श्रेय दिया जाता है तो दूसरी ओर उन पर हाल के भारतीय इतिहास के सबसे बुरे सांप्रदायिक दंगों में सहभागी होने के आरोप लगाते रहे हैं.उनकी इस परियोजना के बारे में अहमदाबाद की संस्था पर्यावरण मित्र के निदेशक महेश पंड्या ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा, "यदि नरेंद्र मोदी सचमुच सरदार पटेल के प्रति सम्मान दिखाना चाहते हैं तो उन्हें यह राशि गुजरात में ग़रीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों की स्थिति सुधारने और ढाँचागत निर्माणों पर खर्च करनी चाहिए."उनका कहना है कि जब लोग ग़रीबी और भूख से मर रहे हों तो मूर्ति बनाने में इतना पैसा खर्च करने को सही नहीं ठहराया जा सकता.

Posted By: Divyanshu Bhard