शहर को पानी की सप्लाई देने में नगर निगम की ढांचागत व्यवस्था ही कमजोर

17 ओवरहेड टैंक 29 नलकूपों से पानी की सप्लाई शुरू होने तक किल्लत

BAREILLY:

बरेली में नगर निगम की वॉटर सप्लाई की व्यवस्था खतरे के लाल निशान पर है। नगर निगम की तमाम कवायदों और योजनाओं के बावजूद शहर में पानी की सप्लाई का इंफ्रास्ट्रक्चर अपने पैरों पर ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा है। हर साल शहरी एरिया की बढ़ती तादाद और पानी की मांग में हो रहे इजाफे के मुकाबले निगम की सप्लाई का रिकार्ड निचले स्तर पर ही जा रहा है। योजनाओं के लंबित रहने से जनता को पानी की किल्लत झेलने से राहत नहीं मिल रही। जहां पानी की सप्लाई है भी, वहां भी गंदे पानी की शिकायत आम है। पानी में क्लोरीन न मिले होने व बीमार करने हद तक का गंदा पानी होने की शिकायतें भी नगर निगम में सामान्य हैं।

नए सोर्स शुरू होने में देरी

शहर में पानी की भरपूर सप्लाई मुहैया कराने की कवायद से नगर निगम कोसों दूर है। हालांकि योजनाओं में शहर की प्यास बुझाने के इंतजाम कर दिए गए है। बरेली की साढ़े नौ लाख की आबादी के लिए निगम के पास 55 नलकूप और 22 ओवरहेड टैंक की व्यवस्था थी। यूआईडीएसएसएमटी के तहत बरेली में 17 नए ओवरहेड टैंक व 29 नए नलकूपों का निर्माण हो रहा। लेकिन नए निर्माण से महज 5 जगहों पर सिठौरा, विश्वनाथपुरम, कर्मचारीनगर, वीरभट्टी और वीर सावरकर नगर में ही नए ओवरहेड टैंक से सप्लाई शुरू हो सकी है। जबकि नलकूपों व अन्य ओवरहेड टैंक से सप्लाई की कवायद रुकी हुई है। इन नए ओवरहेड टैंक व नलकूपों से सप्लाई न होने से शहर का 28 फीसदी एरिया पानी की किल्लत झ्ोल रहा।

पब्लिक भ्ाी जिम्मेदार

शहर में पानी की कमी के लिए कुछ हद तक जनता भी जिम्मेदार है। पानी की किल्लत और गंदे पानी की सप्लाई पर शिकायत करने वाली जनता जलकल विभाग से पानी का कनेक्शन लेने में गैर जिम्मेदार बनी है। शहर के रजिस्टर्ड करदाताओं की संख्या 1.42 लाख है। इनमें से अगर 20 फीसदी भी पानी की पाइप लाइन न बिछने से वॉटर कनेक्शन लेने के नियम में नहीं आते, तो भी करीब 1.13 लाख करदाता वॉटर टैक्स अदा करने वालों की कटेगरी में आते है। लेकिन जलकल विभाग में महज 59,224 लीगल वॉटर कनेक्शन ही दर्ज हैं। बाकी के कनेक्शन अवैध तरीके से पानी की लाइन में जोड़े गए हैं। इससे हर साल निगम को बड़ा रेवेन्यू लॉस होता है। साथ ही टैक्स देने वाले जिम्मेदार करदाता ही पानी की किल्लत से जूझ्ाते हैं।

बने वॉटर रेगुलेटर बॉडी

पानी की कमी और इसकी रेगुलर व साफ सप्लाई पर नजर रखने को किसी मॉनीटरिंग बॉडी के न होने से हालात लगातार खराब हुए हैं। वार्डो में पानी की शिकायतों को जलकल विभाग तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पार्षदों की है। जिनकी अक्सर सुनवाई नहीं होती। जलकल विभाग खुद अधिकारियों की कमी से जूझ रहा। विभाग में 2 एई के पद पर एक की तैनाती है। वहीं 4 जेई के पद पर भी महज एक इंजीनियर है। इससे शिकायतों का डिस्पोजल नहीं होता। वॉटर रेगुलेटर बॉडी होने से शहर के हर जोन व हर वार्ड में पानी की समस्या पर निगाह रखना और इनका डिस्पोजल करना जल्द होना मुमकिन होता।

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Posted By: Inextlive