भारत की अंडर 19 टीम ने हाल ही में श्रीलंका को हराकर एशिया कप जीता है। भारत की इस जीत के हीरो 17 साल के यशस्वी जायसवाल रहे। जायसवाल वही खिलाड़ी हैं जो गोलगप्पे बेचकर गुजारा करते थे।


कानपुर। भारत की अंडर 19 क्रिकेट टीम ने हाल ही में एशिया कप अपने नाम किया है। बांग्लादेश में आयोजित इस टूर्नामेंट में भारत की जूनियर टीम ने फाइनल में श्रीलंका को हराकर खिताब पर कब्जा किया था। भारत की इस जीत में सबसे बड़ा योगदान 17 साल के ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का रहा। यशस्वी ने पूरे टूर्नामेंट में ताबड़तोड़ रन बनाए। उनके बल्ले से 79.50 की औसत से कुल 318 रन निकले। इसी के साथ वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी रहे। बाएं हाथ के ओपनर बल्लेबाज यशस्वी पहली बार तक चर्चा में आए थे जब उन्होंने इसी साल अगस्त में श्रीलंका दौरे पर शानदार शतकीय पारी खेली थी। इसकी बदौलत भारत की अंडर 19 टीम श्रीलंकाई टीम पर 3-2 से जीत दर्ज कर पाई थी।दिन में प्रैक्टिस कर रात में बेचते थे गोलगप्पे


उत्तर प्रदेश के भदोही में एक साधारण परिवार में जन्में यशस्वी ने बचपन में ही क्रिकेटर बनने का सपना देख लिया था। इस सपने को पूरा करने यशस्वी मुंबई आ गए। उस वक्त उनकी उम्र 11 साल थी। मगर यहां उन्हें रहने का उचित ठिकाना नहीं मिला। क्रिकइन्फो से बातचीत में यशस्वी अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं, 'मैं यह सोचकर मुंबई आया था कि मुझे यहीं से क्रिकेट खेलना है। मैं एक टेंट में रहता था जहां बिजली, पानी और टॉयलेट की व्यवस्था नहीं थी। सबसे ज्यादा दिक्कत तब आई जब खर्च के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में मैंने पानी पूरी (गोलगप्पे) बेचने शुरु कर दिए थे। दिन में प्रैक्टिस कर रात में गोलगप्पे का ठेला लगाता था। साथी खिलाड़ी कभी-कभी मेरे पास गोलगप्पे खाने आ जाते थे, मुझे उस वक्त काफी बुरा लगता था कि लेकिन यह जरूरी था।'तीन साल में 51 शतक

यशस्वी जायसवाल को ट्रेनिंग देने वाले उनके कोच ज्वाला सिंह बचपन से ही यशस्वी की प्रतिभा के कायल थे। क्रिकइन्फो से बातचीत में ज्वाला सिंह ने बताया, 'यशस्वी 11-12 साल का रहा होगा, जब मैंने उसे पहली बार बैटिंग करते देखा। वह ए-डिविजन बॉलर के खिलाफ इतना अच्छा खेल रहा था कि मैं उससे प्रभावित हुआ बिना नहीं रह सका। मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया यह लड़का कई मुश्किलों से गुजर रहा है, इसका कोई कोच नहीं है। इसके माता-पिता भी यहां नहीं रहते।' खैर बाद में ज्वाला सिंह ने यशस्वी को ट्रेनिंग देने का फैसला किया। ज्वाला सिंह का दावा है कि बाएं हाथ के बल्लेबाज यशस्वी ने पिछले तीन साल में 51 शतक जमाए हैं और अपने लेग स्पिन के सहारे 300 से ज्यादा विकेट भी चटकाए हैं। उनका मानना है कि यशस्वी इसी तरह बड़े टूर्नामेंटों में रन बनाता रहा, तो उसे टीम इंडिया में जगह बनाने से कोई नहीं रोक सकता।टीम इंडिया में कौन रहेगा या नहीं, इसका फैसला सलेक्शन कमेटी नहीं ये शख्स करता है

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari