AGRA: एसएन मेडिकल कॉलेज में मजबूरों से भी कमीशन की दरकार डॉक्टर्स को रहती है. वे इसके लिए पैतरेबाजी भी करते है. अपने पैतरे में वे महज दिखावे के लिए कुछ करीबियों के अल्ट्रासाउंड और अन्य टेस्ट करते है. इसके बाद टाइम ओवर होने की दुहाई के साथ मजबूरों को रिफर कर दिया जाता है. मजूबरी भी जो कराए वो कम है. मगर डॉक्टर्स को अपना शेयर मिलता ही है. ट्यूजडे को एक ऐसी ही मजबूर महिला की हालत खेल के चलते गंभीर हो गई. ज्यादातर रिफर मेडिकल कॉलेज स्थित एक प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए होते हैं.


करते हैं रेफर पीपीपी मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेज में इंद्रा डायग्नोस्टिक सेंटर खोला गया था। प्राइवेट के कम्परेजिन में यहां पर कम रेट में सभी टेस्ट होते हैं। मगर, कमीशनखोरी के चलते ज्यादातर मरीजों को यहां पर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स रेफर करते है। वहीं इसके बगल में बने गवर्नमेंट के अल्ट्रासाउंड सेंटर में 12 बजे के बाद मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए मना कर दिया जाता है। हर दिन मेडिकल कॉलेज में आने वाले 60 परसेंट  अल्ट्रासाउंड, एक्सरे और सीटी स्कैन के लिए रेफर किया जाता है। इनमें से ज्यादातर को इंद्रा डायग्नोस्टिक सेंटर पर रेफर कर दिया जाता है।परेशान होते रहे मरीज
यहां सुबह नौ बजे पहुंचे कई मरीजों को भी डॉक्टर्स ने इंद्रा डायग्नोस्टिक सेंटर पर रेफर कर दिया। डॉक्टर के आने के इंतजार में कई सीरियस पेशेंट्स अपने दर्द से लड़ रहे थे। हीरा देवी पत्नी छोटेलाल निवासी पृथ्वीनाथ फाटक,शाहगंज को नौ महीने की प्रेगनेंसी में तबियत खराब होने पर अल्ट्रासाउंड के लिए रेफर किया गया था। बच्चे का मूवमेंट न होने के चलते हीरादेवी की हालत नाजुक बनी गई थी। वो सुबह 9:30 बजे से दर्द में यहां पड़ी हुई थीं। डॉक्टर के आने के बाद भी उनका अल्ट्रासाउंड नहीं किया गया था। जब परिजनों ने हंगामा किया तो दो बजे पेशेंट को अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाया गया।

Posted By: Inextlive