आपने मास्टर साहब के समझावन लाल यानि डंडे केबारे में तो सुना ही होगा और स्कूल में शायद इसका स्वाद भी चखा हो. मास्टर साहब समझावन लाल का इस्तेमाल शरातती और उपद्रवी स्टूडेंट्स की अकल ठिकाने लाने के लिए किया करते थे. सिटी के बिजनेसमेन भी अब मास्टर साहब के नक्शे कदम पर चल निकले हैं.


Rahul Tripathi

 रास्ते में मिलने वाले बैड एलिमेंट्स और उपद्रवियों से निपटने के लिए वो अपनी गाड़ी में बाकायदा समझावन लाल  किट साथ लेकर चलते हैं। व्यापारियों की मानें तो समझावन लाल का नुस्खा एकदम कारगर साबित हो रहा है। हालांकि पुलिस का रवैया देखकर अपनी सिक्योरिटी के लिए मजबूरी में उन्हें इसका सहारा लेना पड़ रहा है।डंडा देखकर ही खुल जाता है रास्ता


गाड़ी में हर वक्त डंडा लेकर चलने की जरूरत क्यों पड़ी इस पर बिजनेसमैन प्रदीप केडिया कहते हैं कि सिटी में आए दिन टेम्पो ड्राइवर कार में टक्कर मारने के बाद झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैैं। कई बार रास्ते में बेवजह जाम का भी सामना करना पड़ता है। छोटी-छोटी बातों पर रास्ता ब्लॉक कर देते हैं। ऐसी स्थिति में समझावन लाल की बेहद जरूरत पड़ती है। गाड़ी से डंडा निकालकर इधर-उधर घुमाया तो लोग खुद ही रास्ता दे देते हैं। छोटी-छोटी बातों में पुलिस तो सुनने से रही। इन्होंने किया मजबूर

सिटी में कई जगह ऐसी भी हैैं जहां अराजक तत्व सीधे साधे लोगों को परेशान करते हैैं। वे जानबूझकर कार के सामने आ जाते हैैं। चोट लगने की बात कहकर जबरन रुपया मांगते हैैं। मना करने पर साथियों को बुला लेतें हैं और मारपीट पर उतारू हो जाते हैैं। नशेबाज और टेम्पो ड्राइवर भी कई बार छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करने लगते हैैं। कानपुराइट्स के साथ इस तरह की घटनाएं तो आम हो गई हैैं। बिजनेसमैन ने इनसे छुटकारा पाने के लिए खुद ही ‘डंडा कानून’ बनाया है। कारगर है डंडे का फंडाबिजनेसमैन उमंग अग्रवाल ने बताया कि जब से ये डंडा रखा है काफी फायदा हुआ है। ये बेवजह झगड़ा करने वालों को एक दम राइट कर देता है। देर रात सूनसान एरियाज में कई बार कार देखकर शरारती लोगों ने लूटपाट की कोशिश की, लेकिन समझावन लाल की मदद से उनके इरादों पर पानी फिर गया। डंडा देखते ही सभी भाग खड़े हुए। पुलिस के भरोसे तो रह नहीं सकते

बिजनेसमेन कहते हैं कि चोर-उचक्कों और बदमाशों के निशाने पर व्यापारी ही रहते हैं। क्योंकि ज्यादातर के पास माल और कैश भी साथ होता है। आए दिन लुटेरे व्यापारियों को निशाना बना लेते हैं। हर जगह वक्त पर पुलिस तो पहुंच नहीं सकती है ऐसे में हमें अपनी सिक्योरिटी के बारे में खुद ही सोचना पड़ा। सिटी में क्राइम इतना बढ़ गया है और चोर-लुटेर इस कदर खुलेआम घूम रहे हैं कि पता नहीं कब कौन सी आफत आ जाए। उमंग का कहना है कि हमारा उद्देश्य न कानून अपने हाथ में लेना है और न किसी को नुकसान पहुंचाना। सिर्फ वक्त-जरूरत पर अपनी सेफ्टी के लिए ये नुस्खा अपनाना पड़ा है। कई बार दूसरों की मदद और शोहदों को सबक सिखाने में भी डंडा सफल साबित हुआ। मार्केट में मौजूद है डंडा किटडिमांड को देखते हुए मार्केट में डंडा किट भी आ गई है। इसका रेट 3000 से 4000 के बीच में हैैं। इसमें अलग-अलग साइज के पांच डंडे होते हैैं। मिर्च स्प्रे और अन्य बचाव सामान भी होते हैैं। बिजनेसमैन संजीव जैन ने बताया कि  उनके पास इस तरह की दो किट्स हैैं। वे अपनी दोनोंं कारों में किट रखकर चलते हैैं।

Posted By: Inextlive