Kanpur: प्रदेश सरकार ने बिजली बचाने के नाम पर शाम को 7 बजे ही बाजारों को बंद करने 15 दिनों के लिए खास तरह के उद्यमों पर ताले लगाने का तुगलकी फरमान दे डाला. आदेश पर प्रदेश भर के शहरों सहित कानपुर के लोगों की तीखी प्रतिक्रया मिली. लोगों का रिएक्शन था कि सरकार महानगरों को गांव बना डालना चाहती है.


A happening day


प्रदेश सरकार के तुगलकी फरमान से मंडे को शहर में दिनभर खलबली मची रही। चौक, गली, चौराहे, हर तरफ बस इसी बात की चर्चा थी की शाम सात बजे से ही अगर मार्केट बंद हो जाएगी तो क्या होगा। शहर तब कैसा दिखने लगेगा। सरकार को कोसते हुए लोग अपने-अपने डेली शिड्यूल को नए सिरे से मैनेज करने के बारे सोचने लग गए थे। बिजनेसमेन से लेकर कस्टमर्स तक में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली। दिनभर सरकार के इस फरमान की सभी के बीच जमकर आलोचना हुई। शाप्स बंद करने के आइडिया को ‘अजीब’ बताते हुए लोग पावर क्राइसिस को रोकने के लिए अपने अपने सुझाव भी दिए। जैसे शॉप्स बंद कराने के  बजाए सात बजे के बाद बिजली ही न दें, वैसे भी कौन सा रेगुलर बिजली आती है आदि। हांलाकि शाम होते होते सरकार ने जब अपना फरमान वापस ले लिया, तब जाकर लोगों को सुकून आया। इन सब के बीच आई नेक्स्ट ने लोगों की प्रतिक्रियाएं जानीं। आइए आपको भी बताते हैं कैसी रहीं गवर्नमेंट इंड्यूस्ड डे लॉन्ग एक्टििविटीज एंड रिएक्शंस ऑफ कानपुराइट्स।गर्मी की वजह से

चिलचिलाती गर्मी के कारण ज्यादातर कस्टमर्स शाम को ही घर से निकलते हैैं। यह टाइम शॉपिंग के लिए पीक टाइम होता है। कई छोटे शॉप ओनर्स की सेल तो सिर्फ शाम को ही हो पाती है। ऐसे में अगर शाम को मार्केट बंद कर दी जाएंगी। तो शॉपिंग पर काफी असर पड़ेगा। पी रोड सीसामऊ व्यापार मंडल के प्रेसिडेंट महेश मेघानी ने बताया कि शाम की बंदी से शहर के बिजनेस को लगभग 120 करोड़ रूपए का प्रतिदिन नुकसान होगा। और भी हैं रास्तेव्यापारियों का मनाना है कि अगर बिजली संकट से बचना है तो शाम की बंदी के अलावा और भी कई रास्ते हैैं। जिन पर अमल कर बिजली संकट से बचा जा सकता है। महेश मेघानी ने बताया कि सबसे पहले सरकारी दफ्तरों से शुरुआत होनी चाहिए। इन दफ्तरों में यूज होने वाली बिजली में कटौती की जाए। अफसरों के कमरे में चलने वाले एसी बंद किए जाएं। सिर्फ व्यापारियों पर आदेश थोपने से कोई फायदा नहीं होगा। नवीन मार्केट व्यापारी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दिलीप सिंह अरोरा का कहना है वैसे भी पूरे दिन बिजली नहीं आती है। रोस्टिंग करके इतनी बचत तो की जा रही है। इससे तो रोस्टिंग भली

गवर्नमेंट के फरमान से नाराज लोगों ने कहा कि इस तरह तो व्यापारियों का गला घोंटा जा रहा है। वैसे भी पूरे दिन बिजली गायब ही रहती है। दिन में पांच घंटे की कटौती के  कारण वैसे ही परेशानी होती है। अगर कटौती ही करनी है तो सभी शहरों में समान कटौती होनी चाहिए। इटावा, कन्नौज, लखनऊ के कम्पैरिजन में कानपुर में रोस्टिंग का समय ज्यादा है। जबकि कानपुर सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला शहर है। "ये तो तुगलकी फरमान है। बिना किसी लाजिक के ये आदेश सुना दिया गया था। ठीक टाइम पर सरकार को अपने फैसले की असलियत पता चल गई। इसीलिए फैसला वापस ले लिया गया है."महेश मेघानी, प्रेसिडेंट, पी रोड सीसामऊ व्यापार मंडल"शाम सात बजे के बाद शॉप बंद करने से करोड़ों का नुकसान होता। अगर यह निर्णय रेाल बैक न भी होता तो भी हम शॉप न बंद करते."विजय बजाज, उपाध्यक्ष, पी रोड युवा व्यापार मंडल"सरकार को इस तरह का आदेश देने से पहले एक बार सोचना जरूर चाहिए था। हम लोग तो कल से काफी परेशान थे। आज रोल बैक के बारे में सुनकर चैन आया."श्याम पांडे, प्रेसिडेंट, लेनिन पार्क व्यापार मंडल"आजकल तो गर्मी की वजह से शाम को ही कस्टमर्स आते थे। ऐसे में अगर रोलबैक न भी होता तो भी शॉप बंद कर पाना तो पॉसिबल ही नहीं था."संजय टंडन, प्रेसिडेंट, गुमटी व्यापारी संगठन

 

Posted By: Inextlive