RANCHI : किसी की जिंदगी सही मायने में तभी खास होती है जब वह दूसरों की हेल्प करने की सोचता है. स्वार्थ से ऊपर उठकर सोसाइटी में बदलाव लाने की पहल करता है. सिटी में भी कुछ यूथ हैं जो अलग तरह का काम कर अपनी डिफरेंट आइडेंटिटी बना रहे हैं. इनके अंदर लंबी लकीर खींचने का जोश और जुनून है. ऐसे ही कुछ यूथ्स से आई नेक्स्ट करा रहा है रू-ब-रू.


'ब्लड वाले भैयाÓ यानी अतुलसिटी के अतुल गेरा एक ऐसे यूथ हैं, जिन्होंने Žलड की प्रॉŽलम को दूर करने की ठानी है। उनका बस एक ही सपना है कि किसी की भी Žलड की कमी के कारण जान नहीं जाए। इसके लिए वह कई ऑर्गनाइजेशन्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और हर साल Žलड कलेक्ट करते हैं। लाइफ सेवर के नाम से उन्होंने अपना ऑर्गनाइजेशन भी बनाया है और इसके माध्यम से जरूरतमंद लोगों को Žलड प्रोवाइड कराते हैं। अतुल को इस फील्ड में काम करने के लिए कई अवाड्र्स भी दिए गए हैं। अभी हाल में ही उनको नेशनल लेवल के Žलड ऑर्गनाइजेशन फेडरेशन ऑफ इंडियन Žलड डोनर ऑर्गनाइजेशन का नेशनल ट्रेजरर चुना गया है। उन्हें झारखंड, ओडि़शा, बिहार, बंगाल का इंचार्ज भी बनाया गया है। लोग अक्सर उन्हें 'Žलड वाले भैयाÓ कहकर भी पुकारते हैं।लाइफ सेवर ग्रुप है बनाया


अतुल गेरा बताते हैं कि हम लोग लाइफ सेवर ग्रुप की ओर से हर महीने कैंप लगाते हैं और Žलड कलेक्ट करते हैं। पूरे साल में हम लोग डिफरेंट कॉलेजेज, स्कूल्स और ऑर्गनाइजेशन्स के साथ मिलकर करीब 2500 यूनिट Žलड कलेक्ट करते हैं और जरूरतमंद लोगों को देते हैं। हर दिन हमलोगों के पास चार से पांच लोगों की क्वेरी आती है।

नई राह बना रहे शादाब हसन

मैं लड़कियों के खाना बनाने के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मेरी चाहत है कि वे ऐसा अपने शौक से करें। यह कहना है रांची से 25 किमी दूर ब्रांबे के गरीब और मजबूर बच्चों में शिक्षा का दीप जलानेवाले शादाब का। यह शादाब हसन और उनकी टीचर्स की टीम की मेहनत का कमाल है कि उनके स्कूल के बच्चे न सिर्फ फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं, बल्कि लैपटॉप और एलसीडी पर गूगल के टीचर्स से सवाल-जवाब भी करते हैं। बच्चों को पढ़ानेवाले टीचर्स को लीड कर रहे शादाब खुद मैनेजमेंट में पीएचडी कर रहे हैं। यह उनके मैनेजमेंट का ही कमाल है कि गरीब बच्चों को बिना फीस के न सिर्फ अच्छी डे्रस मिल जा रही है, बल्कि उन्हें आईआईएम और आईआईटी जैसे संस्थानों में पढ़ रहे युवाओं का ज्ञान मिल रहा है। नतीजा शादाब के हामिद हसन हाईस्कूल ब्रांबे में पढ़ रहे बच्चे ज्ञान की नित नई ऊंचाइयों को छूने में लगे हैं। शादाब कहते हैं कि उनके पिता ने बड़े ही अभावों में पढ़ाई की और उनकी चाहत है कि वे जिन परिस्थितियों में पढ़ें,उनसे बेहतर परिस्थितियों में गांव में रहकर बच्चे पढ़ें। वे गांव में रहें, पर उन्हें शहर के मॉडर्न स्कूलों की बेहतरीन शिक्षा मिले।एंकरिंग के बादशाह हैं रवि तिवारी  रांची यूनिवर्सिटी के एमबीए के स्टूडेंट रहे हैं रवि तिवारी। यह एंकरिंग के टैलेंट के लिए फेमस हैं। आरयू का कोई कल्चरल इवेंट हो, हॉकी इंडिया लीग में एंकरिंग की बात हो या फिर लीडर बनकर कोई आंदोलन करना है, हर फील्ड में रवि ने अपनी छाप छोड़ी है। रवि ने एमबीए में दो साल पहले एडमिशन लिया था.इस दौरान इन्होंने हर फील्ड  में  अपना जौहर दिखाया.पढ़ाई के साथ-साथ रवि दूरदर्शन में एंकरिंग भी करते थे और इसके अलावा एक्टिंग में भी अपना जलवा दिखाते थे.यूनिवर्सिटी लेवल पर होने वाले किसी भी एक्ट के लिए रवि हमेशा तैयार रहते थे.यहां तक कि यूथ फेस्टिवल में भी रवि ने कई डिफरेंट कॉम्पटीशन्स में पार्टिसिपेट किया और मेडल भी अपने नाम किया।

Posted By: Inextlive