आप भी मतदान करना न भूलें

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PRAYAGRAJ: 'ड्यूटी है, इसलिए मजबूरी है'. मतदान प्रक्रिया में लगे मतदान कर्मचारियों के लिए सिर्फ एक लाइन में ये कह देना बिल्कुल उचित नहीं होगा. ड्यूटी करना चुनाव संपन्न कराना इनका काम है, इनकी जिम्मेदारी है. लेकिन, धूप में जलना और फिर कोयला, बालू लादने वाले ट्रक में सवार होकर सफर करना इनका काम नहीं है. चाहें तो आवाज उठा सकते हैं. फिर भी लोकतंत्र की रक्षा के लिए, लोकतंत्र के महापर्व में अपनी आहुति देने के लिए किसी भी स्टॉफ ने कोई सवाल नहीं किया. कार्मिक प्रिंटिंग इंस्टीट्यूड के मैदान से चुनाव के लिए रवानगी के दौरान मतदान कर्मचारियों में निष्ठा का भाव दिखाई दिया.

ट्रक के छत पर नहीं था तिरपाल, दीवार पर लगा था कोयला
छठें चरण का चुनाव संपन्न कराने के लिए शनिवार को चार स्थलों से पोलिंग पार्टियां रवाना की गई. तेलियरगंज स्थित कार्मिक प्रिंटिंग इंस्टीट्यूट भी एक था. जहां से बड़ी संख्या में मतदान कर्मियों को रवाना किया गया. अन्य रवानगी स्थल पर हां कर्मचारी बसों व छोटी गाडि़यों से रवाना हुए. कार्मिक प्रिंटिंग इंस्टीट्यूट के मैदान में बस कम ट्रकें ज्यादा खड़ी थीं. वो भी बिल्कुल ओपेन. ट्रक के छत पर तिरपाल तक नहीं था. इसकी वजह से मतदान कर्मचारियों को खुले ट्रक में सवार होना पड़ा. कड़ाके की धूप में जलते हुए कर्मचारी मतदान केंद्र तक पहुंचे. ट्रकों से जाने वाले मतदान कर्मचारियों में पुरुषों के साथ ही महिला कर्मचारी भी शामिल थीं, जो बड़ी मुश्किल से ट्रक पर चढ़ पाई. जिन ट्रकों से मतदान कर्मचारी रवाना हुए वे ट्रकें कोयला लादने वाली, बालू व गिट्टी लादने वाली थी, जिसमें गंदगी लगी हुई थी.

ये कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
जब 50 से 80 हजार रुपये महीना पाने वाले, एसी ऑफिस में बैठकर ड्यूटी करने वाले अधिकारी, कर्मचारी धूप में जल कर पसीना बहाकर 48 घंटे के लिए घर से बाहर रह कर चुनाव संपन्न कराने की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं, तो फिर मतदाताओं की भी जिम्मेदारी है कि वे मौसम की परवाह किए बगैर घर से बाहर निकलें और मतदान जरूर करें.