क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: सिटी के लोगों के लिए महीनों पहले लो-फ्लोर बसों की घोषणा की गई, लेकिन इस दिशा में आजतक नगर विकास विभाग या परिवहन विभाग एक कदम तक नहीं चला है. फरवरी 2018 में ही घोषणा की गई थी कि राजधानी की ट्रैफिक को सुगम करने के लिए लो-फ्लोर बसों का परिचालन शुरू किया जाएगा. इसके रखरखाव और परिचालन की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी जानी थी. प्रस्ताव भी तैयार हुआ लेकिन फाइल आजतक नगर विकास विभाग में ही अटकी है. सिटी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम से सिटी बसों का परिचालन शुरू किया गया था लेकिन उनमें अधिकतर पिछले कई वर्षो से बंद हैं जबकि कुछ एक बसें ही सड़कों पर दिखाई देती हैं.

प्रदूषण पर नकेल की कवायद

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद 6 फरवरी 2018 को नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने पेट्रोलियम कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद घोषणा की थी कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सिटी में लो फ्लोर बसों का परिचालन किया जाएगा. लेकिन अब तक बसों के प्रस्ताव पर न तो सहमति बनी है न ही उसकी स्वीकृति ही मिली है.

10 साल पुराने ऑटो जब्त करने का निर्देश

सिटी में चलने वाले 10 साल पुराने ऑटो को जब्त नहीं किया जा रहा है. विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जांच में पाया गया कि केवल 2285 ऑटो को ही परमिट मिला है उसमें भी कई ऑटो 10 साल पुराने हैं, जिन्हें बदलकर नया खरीदने का आदेश जारी किया गया था. पुराने ऑटो का परिचालन बंद करते हुए उसे जब्त करने की बात थी लेकिन सिटी में आज भी करीब 6000 से ज्यादा ऑटो का परिचालन किया जा रहा है.

वर्जन

प्रस्ताव पर फाइल मूव कर चुकी है और जल्द ही सहमति बनने के बाद विभागीय स्तर पर कार्रवाई भी शुरू की जाएगी. फिलहाल आचार संहिता लगने के बाद किसी भी तरह की नई योजना शुरू नहीं की जा सकती. सिटी बसों के परिचालन को भी दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है.

मनोज कुमार, नगर आयुक्त