-आईआईटी कानपुर के दस एक्सप‌र्ट्स की टीम ने सीएनजी पर तीन साल रिसर्च की

- डिफरेंट टाइप के इंजन व फ्यूल के साथ लगातार सीएनजी का ट्रायल किया

KANPUR:

सीएनजी को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहा था कि यह सेहत के लिए ज्यादा खतरनाक है। उसको आईआईटी की एक्सपर्ट टीम ने लगातार तीन साल तक रिसर्च करने के बाद झुठला दिया है। आईआईटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो। अविनाश अग्रवाल के डायरेक्शन में डिफरेंट फील्ड के एक्सपर्ट की टीम ने सीएनजी के साथ-साथ पेट्रोल व डीजल का परीक्षण किया, जिसमें सीएनजी सेहत के लिए ज्यादा हानिकारक नहीं पाई। जिससे ये भी पुष्टि हुई कि सीएनजी से न तो फेफड़े खराब होंगे और न ही कैंसर होगा।

2015 से कर रहे थे रिसर्च

पॉल्यूशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पहल पर दिल्ली में करीब 18 साल पहले सीएनजी का यूज शुरू किया गया था। लेकिन करीब तीन से चार साल बाद सीएनजी को लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाने लगा कि वह सेहत के लिए काफी खतरनाक है। इस इश्यू को मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो। अविनाश अग्रवाल ने गंभीरता से लिया। प्रो अग्रवाल के साथ-साथ आईआईटी के बायो साइंस व इनवायमेंटल इंजीनियरिंग के अलावा मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पीएचडी स्कॉलर की टीम ने ईयर 2015 में सीएनजी, पेट्रोल व डीजल का ट्रायल लेना शुरू कर दिया।

डीजल में 30 से 50 गुना ज्यादा फाइन पार्टिकल्स निकलते हैं

प्रो अविनाश अग्रवाल ने बताया कि टीम ने लगातार लैब में इसका ट्रायल किया। अलग-अलग स्टाइल के इंजनों पर अलग-अलग फ्यूल का प्रयोग किया गया। इस ट्रायल में सीएनजी सेहत के लिए कम हानिकारक निकली। इससे न फेफडे़ खराब होंगे न ही किडनी इफेक्टिव होगी और न ही कैंसर होगा। सीएनजी की तुलना में डीजल से 30 से 50 गुना ज्यादा फाइन पार्टिकल्स निकलता है। जो कि फेफड़ों को डैमेज करता है और अस्थमा का रोगी बना देता है।

पॉल्यूशन से बचना है तो सीएनजी का यूज करें

अप्रैल महीने में इनवायरमेंटल पॉल्यूशन जर्नल में आईआईटी के प्रो अविनाश अग्रवाल, प्रो तरुन गुप्ता प्रो बुसरा अतीक का रिसर्च पेपर पब्लिश हुआ है। इस ट्रायल में करीब 7 पीएचडी स्कॉलर ने भी काम किया है। सीएनजी के नैनो पार्टिकल्स पर सीएसआईआर के रिसर्च में उंगली उठाई गई थी। कानपुर जैसे सिटी में सभी वेहिकल को सीएनजी बेस कर देना चाहिए ताकि पॉल्यूशन से राहत मिल सके। देश के मेगा सिटी में भी सीएनजी का ही यूज करना बेहतर होगा।